प्रत्येक जिले में एक स्थानीय परिवाद समिती का गठन अनिवार्य है

इंदौर । कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन सरंक्षण प्रतिषेध अधिनियम 2013 के अधिनियमित होने की 8 वीं वर्षगांठ पर आदरणीय जिला कार्यक्रम अधिकारी महोदय डॉक्टर सी एल पासी सर की अध्यक्षता में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।जिसमे स्थानीय परिवाद समिती जिला इन्दौर के सदस्य, बाल कल्याण समिति जिला इन्दौर के अध्यक्ष एवम सदस्य, मीडिया गण, गैर सरकारी संगठन के सदस्य, कर्यालय के आंतरिक परिवाद समिती के सदस्य ने हिस्सा लिया। मंच संचालन एवम अधिनियम के बारे में विस्तृत पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी डॉ वंचना सिंह परिहार, प्रशासक, वन स्टॉप सेंटर ( सखी),महिला बाल विकास विभाग जिला इंदौर के द्वारा दी गई। कार्यशाला में स्थानीय परिवाद समिती और आंतरिक परिवाद समिती का गठन, कार्य, कर्त्तव्य,और अधिकार पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन सरंक्षण प्रतिषेध अधिनियम 2013 ,, का निर्माण माननीय उच्चतम न्यायालय के विशाखा दिशा निर्देश के आधार पर हुआ था। यह अधिनियम महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक शोषण से संरक्षण का अधिकार देता है।इसमें संगठित और गैर संगठित दोनो प्रकार के कर्मचारी और कार्यस्थल को सम्मिलित किया गया है। कोई भी ऐसा कार्यालय जिसमे 10 या 10 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं , उस कार्यालय में आंतरिक परिवाद समिती का गठन होना अनिवार्य है और साथ ही उस समिति की संरचना और उसके सदस्यों का नाम दूरभाष नंबर और मेल आईडी, संपर्क हेतु पता सब कुछ लिखा होना चाहिए,, तथा अधिनियम का उद्देश्य भी पोस्टर में प्रत्येक कार्यालय के सूचना पटल पर चस्पा होना अनिवार्य है।साथ ही प्रत्येक जिले में एक स्थानीय परिवाद समिती का गठन अनिवार्य है,,जिसमे ऐसे सभी शिकयत आवेदन स्वीकार किए जाते हैं ,जिन कार्यालय में आंतरिक परिवाद समिती गठित नही होती है। प्रत्येक महिला जो अपने कार्यस्थल में यदि शोषण का शिकार होती है तो वह आवेदन कर सकती है। किसी भी प्रकार से किसी महिला को नौकरी,प्रोन्नति या किसी अन्य कार्य के लिए प्रलोभन के रूप में भी अनुचित मांग इस अधिनियम के दायरे में आती है।यह अधिनियम परिवाद समितियों को दीवानी न्यायालय का दर्जा प्रदान करता है।