जीवनशैली में बदलाव के बाद दवाइयां हो जाती है ज्यादा कारगर

इंदौर, . डायबिटीज के इलाज में विभिन्न तरीकों के साथ सही मेडिसीन का चयन किया जाना बहुत जरूरी है। डायबिटीज के विभिन्न रूपों में इसका क्या इलाज हो और इसके साथ मरीज को जीवनशैली में क्या बदलाव करना चाहिए, यह भी महत्वपूर्ण बिंदु है। मरीज की जीवनशैली में बदलाव होने पर दवाइयां और भी ज्यादा कारगर हो सकती है।

ये बातें एशिया डायबिटीज फोरम द्वारा आयोजित मास्टर क्लास इन डायबिटीज कार्यक्रम में सामने आई। प्रख्यात डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू के संयोजन में ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में डायबिटीज के विभिन्न पर चर्चा हुई।

इसके साथ ही देशभर में विपरीत परिस्थितियों में मरीजों का इलाज करने वाले पांच डॉक्टर्स का सम्मान भी किया गया। यह पांचों डॉक्टर देश के अलग-अलग हिस्सों से हैं। कांफ्रेस में भारत के इंडोक्रायनोलॉजिस्ट के साथ ही नौ देशों इंडोनेशिया, उक्रेन, बांग्लादेश, अमेरिका, नेपाल, सऊदी अरब, मिश्र के डॉक्टर्स ने अपनी सहभागिता की।

कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी पद्मश्री जनक पलटा और ख्यात फोटोग्राफर एवं पर्यावरण विद पद्मश्री भालू मोंढे के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर देश के नामी डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. वी. मोहन, डॉ. बंसी साबू और डॉ. ज्योति देव भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में डॉक्टर्स का आव्हान किया कि वर्तमान में डायबिटीज एक सामान्य बीमारी की तरह बहुत तेजी से फैल रही है। इसके साथ ही इसके कई दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। इस कारण इस बीमारी को कंट्रोल करना मरीज के लिए बहुत जरूरी है। इसमें डॉक्टर की भूमिका सबसे अहम है। इस कारण उन्हें अपनी योग्यता को ध्यान में रखकर मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज देना चाहिए।

इस कार्यक्रम में डॉ. वी मोहन को डायबिटीज रीसर्चर ऑफ़ मिलेनियम , डॉ बंशी साबू को “मधुमेह को हराएं” पहल के लिए डायबिटीज अवेयरनेस इनिशिएटिव ऑफ़ द मिलेनियम और जोथीदेव केशवदेव को डायबिटीज टेक्नोलॉजी मैन ऑफ मिलेनियम से सम्मानित किया गया।

भारत के पांच क्षेत्रों के पांच डॉक्टरों को मधुमेह के क्षेत्र में अनुकरणीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
मासिक पत्रिका डायबेटोस्कोप का विमोचन भी इस कार्यक्रम में किया गया।