छोटे-छोटे अनावश्यक खर्चों के नियंत्रण से ही, संभव हो सकती है, बड़े कर्ज की देनदारी…..

धर्मेंद्र श्रीवास्तव…….
मध्य प्रदेश प्रदेश दर्शन न्यूज़ पोर्टल…..
आओ बात करते हैं,

कर्ज की देनदारियों पर……… 
वर्तमान समय कर्ज लेकर घी पीने का चल रहा है,

पुरानी कहावत है,

कि कर्ज ले लो और घी पिलो…….

धन का प्रबंधन ना हो तो व्यक्ति दरिद्र योग से कभी बाहर नहीं आ पाता है,

यह हम कई वर्षों से देख रहे हैं,

वही मध्यम वर्गीय परिवार में धन का सुचारू गणित बहुत आवश्यक है,

जहां “मितव्ययिता”

के साथ दैनंदिन कार्य नहीं है,

वहां निर्धनता का वास है,

और आज का मध्यम वर्गीय परिवार कर्ज के बोझ से दबा हुआ है,

“90%” परिवारों ने कहीं ना कहीं से कर्ज ले रखा है,

कर्ज के गणित को यदि हम सतर्कता से ले तो इससे मुक्ति और पार पाया जा सकता है, सबसे महत्वपूर्ण बात है, कि जब हमने कोई बड़ा कर्ज लिया है, तो छोटे छोटे खर्चे पर सावधानीपूर्वक नियंत्रण करना आरंभ करें, जैसे कि अनाप-शनाप रूप से वस्त्रों की खरीदी पर रोक लगाएं, होटल के खाने पर प्रतिबंध लगाएं,

घर का बना भोजन करने से आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और इससे अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण होगा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर लिए गए कर्ज क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिए गए सीमित अवधि के कर्ज को शीघ्रता से पूर्ण करने का प्रयास करें,

बड़े कर्ज का भुगतान नियमित रूप से करें…. अपने मिलने वाले या अन्य व्यक्तियों से उधार पैसा लेने से भी दूरी बनाएं,

यह थोड़ा-थोड़ा करके लिया गया रुपया कब बड़ा आकार ले लेता है,

हमें पता ही नहीं चलता और इसकी देनदारी नहीं होने पर संबंधों में खटास आ जाती है,

रिश्ते बिगड़ जाते हैं,

और कर्ज का बोझ बढ़ता ही जाता है,

उपरोक्त सभी सावधानियों के साथ-साथ आय के नए स्रोतों को भी खोजना चाहिए जिससे आपका पारिवारिक खर्च भी चलता रहे और करजो की देनदारी या भी होती रहेगी,

आय से अधिक व्यय पर नियंत्रण से ही,

आप लिए गए कर्ज से मुक्त हो सकते हैं…!!!!