व्यस्तता ही, प्रसन्नता की जननी है,

मध्य प्रदेश न्यूज़ पोर्टल,
धर्मेंद्र श्रीवास्तव……
व्यस्त रहकर कर्मशील बने व्यक्तियों के जीवन में प्रसन्नता वास करती है,
कर्म ही जीवन का मूल मार्ग है,
कर्मशील व्यक्ति ही जीवन में प्रसिद्धि के साथ-साथ अपनापन और प्रसन्नता प्राप्त करता है, यह अटल सत्य है, कि आप सभी को प्रसन्न नहीं रख सकते किंतु व्यस्त रह कर वास्तविकता से निकटता बड़ा सकते हैं,

आलोचनाओं को अपने ऊपर हावी ना होने दें, यह भी प्रसन्नता प्राप्त करने का मुख्य मार्ग है, तूने सबकी करें मन की, धैर्य को अपने जीवन का मुख्य अंग बनाएं, क्रोध को अपने निकट फटकने भी ना दें,

वास्तविक जीवन में जीना, ही….. 

जीवन का मूल आधार हो, कर्म सिलता के साथ-साथ व्यस्तता जब जीवन का अंग होगी तो व्यस्तता प्रसन्नता का रूप धारण कर लेगी,

और यही व्यस्तता ही,

प्रसन्नता की जननी है…..