ज़िन्दगी की तकलीफे, परिवार में आपसी अनबन ,शराब की लत और कोरोना का कहर बना माँ बेटे के बीच झगड़े का कारण

**वन स्टाप सेंटर रखता है माद्दा उम्र के हर पड़ाव पर आई समस्या को हल करने का*

 

कहा जाता है कि विपरीत परिस्थितियों में ही अपनों की पहचान होती है। ऐसा ही एक प्रकरण है जिसमे कुछ दिन पूर्व वन स्टॉप सेंटर पर एक प्रोढ महिला हिमानी आश्रय में आई।
वह काफी परेशान थीं।
केंद्र पर सोशियोलॉजी की केस वर्कर श्रीमती विनीता सिंह ने प्रशासक डॉक्टर वंचना सिंह परिहार से परामर्श कर उन्हें ओएससी पर आश्रय दीया।
आश्रय में रहते हुए पहले दो दिन तक वह गुमसुम रहीं और रोती रहीं, फिर श्रीमती विनीता सिंह सतत उनसे चर्चा करती रहीं, उन्हे दिलासा देती रहीं।

उनकी समस्या थी की वह चाहती थी उनका बड़ा बेटा घर छोड़कर चला जाए। ज्ञात हुआ की छोटा बेटा ब्रेन स्ट्रोक की से पैरालाइज होकर पूरी तरह बिस्तर पर है ।
हिमानी जी का कहना था बेटा शराब पीकर मुझसे दुर्व्यवहार करता है और पति को भी शराब की लत होने से वह भी बेटे के साथ शराब पीते है इसलिए उससे कुछ नहीं कहते।
हिमानी जी की शिकायत थी की बेटा छोटे बेटे की फिजियो थैरेपिस्ट को भी भगा देता है।
तब बड़े बेटे को परामर्श के लिए बुलाया गया और परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने परामर्श की प्रक्रिया शुरू की गई। उसका कहना था की मैं दिन भर भाई की देखभाल करता हूं तब थकान के कारण कभी-कभी शराब पी लेता हूं। मैं अगर घर छोड़कर चला गया तो भाई की देखभाल कौन करेगा, मां भी बीमार हो जाती है, अभी कुछ दिन पहले ही अस्पताल में एडमिट थी, मैं ही ले गया था।
हिमानी जी की बेटी काफी अमीर है,लेकिन इंदौर से बाहर नौकरी करती है,वो भी अपनी माँ को कई बार अपने पास बुला चुकी है लेकिन हिमानी जी अपनी तकलीफों के साथ ऐसी जकड़ गयी थी कि उनको किसी की सकारात्मक बाते भी नकारात्मक ही समझ आती थी।इसलिए वो बेटी के पास भी नही जाना चाहती थी।ये दशा थी उनके मानसिक स्वास्थ्य की, क्योंकि बेटा पैरालाइज है,उसको कौन देखेगा, दूसरा नौकरी नही करता है घर का ख्याल कौन रखेगा। लेकिन नाराज़गी भी अपनो से ही थी। पति ने ज़िन्दगी भर परेशान किया अब रिटायरमेंट के बाद भी परेशान करते हैं और अब तो बड़े बेटे को साथ मे लेकर एकसाथ दोनों परेशान करते हैं। हिमानी जी की लगातार साइकोलॉजिकल कॉउंसललिंग वन स्टॉप सेन्टर में करवाई जा रही थी, साथ ही परिस्थितियों को समझने के लिए उनके परिजनों से भी दूरभाष पर सम्पर्क किया जा रहा था। कॉउंसलर अल्का फणसे द्वारा परिजन को कार्यालय बुलाया गया।
इसी दौरान बड़े बेटे की उपस्थिति में उसके चाचा जी से भी बात की गई उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि बड़ा बेटा ही पूरे घर का खयाल रखता है। भाभी नाराज है इसलिए बेटे को घर से निकालना चाहती है।
बड़े बेटे को समझाया गया की वह कहीं भी पार्ट टाइम जॉब ढूंढे जिससे मां की शिकायत भी दूर हो जाए कि तुम काम पर नहीं जाते और कुछ कमाते नहीं हो। इससे घर में तुम्हारी कद्र भी रहेगी और उतने समय जब मां को भाई की देखभाल करना पड़ेगी तो उन्हें एहसास होगा के तुम जितना काम घर मे करते हो वो बहुत जरूरी है।और इस समस्त प्रकरण को ADM श्री पवन जैन साहब से चर्चा हेतु उनके पास ले जाया गया, जैसा कि वन स्टॉप सेन्टर की गाइड लाइन के अनुसार वन स्टॉप सेन्टर में आश्रयरत अन्तःवासिनी को ADM साहब के आदेश/अनुमोदन से ही निर्मुक्त किया जा सकता है। पवन जैन साहब ने सभी बातों को समझते हुए बेटे को समझाया कि बुजुर्ग माता पिता का ध्यान रखो और अच्छे से व्यवहार करो और इस तरह से परिवार का वापस एकीकरण हुआ।
श्री रामनिवास बुधौलिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी ,महिला बाल विकास इंदौर, ने बताया कि वन स्टॉप सेन्टर के माध्यम से विभाग की पहली प्राथमिकता घर बचाना होता है, अंत मे ही जब कोई सकारात्मक संभावना नज़र नही आती है तभी विधिक और पुलिस कार्यवाही की ओर बढ़ते हैं।
डॉ वंचना सिंह परिहार ,प्रशासक ,वन स्टॉप सेन्टर अपनी टीम के साथ सतत प्रयत्नशील है,कि परिवरिक विच्छेद और आपसी मनमुटाव को कम किया जा सके।