राम और कृष्ण पृथ्वी लोक के कल्याण  हेतु ही अवतरित हुए – पं. गौतम

इंदौर, । भगवान जब भी अवतार लेते हैं, सज्जनों का कल्याण और दुष्टों का विनाश ही होता है। भारत अवतारों की भूमि है। हमारी संस्कृति में नदी, पर्वत, वृक्ष और जीवों को भी पूजनीय एवं वंदनीय माना गया है। दुनिया के किसी अन्य देश में ऐसे विराट चिंतन का प्रमाण नहीं मिलता। राम और कृष्ण अपनी लीलाओं से पृथ्वीलोक का कल्याण करने के लिए ही अवतरित हुए हैं। राम हमारे रोम-रोम और कृष्ण देश के कण-कण में व्याप्त हैं। राम और कृष्ण जन-मन की आस्था के केन्द्र बिन्दू हैं।

ये प्रेरक विचार हैं मालवा माटी के युवा संत भागवत मर्मज्ञ पं. अर्जुन गौतम के, जो उन्होंने लालाराम नगर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के पास चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव में राम एवं कृष्ण प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में आज शाम कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भक्तों ने एक दूसरे पर पुष्पों की वर्षा की और बधाई दी। नंद में आनंद भयो  भजन पर समूचा पांडाल थिरक उठा। कथा शुभारंभ के पूर्व ठा. विजयसिंह परिहार, राजेन्द्रसिंह सौलंकी (सनावद), दुलेसिंह राठौर, अशोक चौहान ‘चांदू’, अजयसिंह चौहान, पप्पू ठाकुर, सज्जनसिंह कुशवाह, गुलाबसिंह चौहान कर्णावत, लोकेन्द्रसिंह राठौर, दिलीपसिंह पंवार, परसराम वर्मा  आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। सांध्य दैनिक 6 पीएम के संपादक संजय लुणावत, प्रमोद टंडन ने भी व्यासपीठ का पूजन किया।

पं. गौतम ने कहा कि आज भी ब्रज क्षेत्र की मिट्टी से राधा-कृष्ण की सुगंध महकती है। भागवत करने और सुनने वाले से भी बड़ा वह होता है जो हम सबको भागवत कथा सुनाने का निमित्त बनता है। भगवान की सभा कथाएं जीवन को सदगुणों से श्रृंगारित करती हैं। हमारे व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण करने में भगवान की कथाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भगवान कृष्ण की लीलाओं में प्राणी मात्र के कल्याण का भाव ही निहित है। उन्होंने भी अपने साथ शोषित, दलित और पीड़ित लोगों तथा बाल-ग्वालों को साथ रखकर समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों को साथ रखने का संदेश दिया है।