हर मौसम के अनुरूप खादी और हर उत्सव की शान बढ़ाता सिल्क

युवाओं को खादी के कुरते, मोदी कुरते कर रहे आकर्षित

उज्जैन: खादी एक ऐसा फैब्रिक है जिसके इस्तेमाल से गर्मी में गर्मी कम लगती है और सर्दी में यदि इसे पहना जाए तो सर्दी का अहसास भी अपेक्षाकृत कम होता है। शत प्रतिशत सूती होने के साथ-साथ इसकी निर्माण प्रक्रिया इसे और भी खास बनाती है। इसी तरह सिल्क भी है जो न केवल रॉयल लुक देता है बल्कि त्वचा को भी नुकसान नहीं पहुंचाता। सिल्क और खादी के खूबसूरत परिधानों के लिए इन दिनों शहर में विशेष राज्य स्तरीय खादी प्रदर्शनी शर्मा परिसर, यूनिवर्सिटी रोड, में 15 दिवसीय खादी बाज़ार प्रदर्शनी “खादी बाज़ार-2022” जारी है।जो आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में खादी ग्रामोद्योग भवन, खादी ग्रामोद्योग आयोग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित की गई हैl देश के दूर-दराज के गांवों की कारीगरी को लोगों तक सीधे पहुंचाने के उद्देश्य से खादी ग्रामोद्योग भवन, खादी ग्रामोद्योग आयोग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यह खादी बाजार लगाया गया है।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में शहर के शर्मा परिसर में लगे इस खास बाजार में स्टाल नंबर 6 से चेतन शुक्ला जी मंत्री सर्वोदय मिशन इंदौर वे बताते हैं कि उज्जैन में विशेष प्रदर्शनी का आयोजन पहली बार आयोजीत कि जा रही है जिसे बहुत अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है l यहाँ पर हम खादी कि पूरी श्रंखला हम लेकर आए जिसमे कोसा, कटीया, मटका तथा रेडीमेट में खादी के कुरते, जैकेट, शाल और लुंगी वही ये सब सूती में रेशमी में इसनकी पूरी रेंज शामिल है l इस बार युवाओं को खादी के कुरते, मोदी कुरते बहुत आकर्षित कर रहे है l चूँकि इस बार प्रदर्शनी गर्मी के मौसम में लगाई गई है तो सभी लोग कपड़ो कि खरीदारी उस हिसाब से कर रहे है l
यहाँ पर मसलिन खादी और सिल्क खादी की भी आई है l मसलिन खादी 100 प्रतिशत सूती होता है और इसके धागे बहुत महीन व पास-पास होते हैं। यह खादी का बहुत फाईन रूप है। इसके लिए चरखे पर ही सूत काता जाता है और उससे कपड़ा बनाने की प्रक्रिया भी पूरी तरह हथकरघा पर ही निर्भर होती है। आज भी इसमें पावरलूम का प्रयोग नहीं होता है। सूत कातने का काम बेशक महिलाओं के जिम्मे है लेकिन कपड़े की बुनाई महिला और पुरुष दोनों मिलकर करते हैं। सिल्क खादी का निर्माण कोकून से होता है और इसकी कताई भी चरखे पर ही होती है। रेशम पाने के लिए कोकुन की खेती भी हमारे गांव में ही होती है। मसलिन सिल्क की धोती, कुर्ते, शर्ट, साड़ी और ड्रेस मटेरियल बनते हैं और सिल्क खादी से भी कई डिजाइनर गारमेंट्स बनने लगे हैं।
प्रदर्शनी के संयोजक श्री पंकज दुबे ने बताया – यहां केवल खादी और सिल्क के कपड़े ही नहीं बल्कि बहुत सी वस्तुएं उपलब्ध हैं l यहाँ आए कुटीर और गृह उद्योगों जेसे हर्बल उत्पादों कि भी अच्छी डिमांड हैl जिनमें रोजमर्रा की जरूरतें, घर की सजावट और स्वाद व पूजन से संबंधित सामग्रियाँ भी शामिल हैं। यहाँ पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन किया जा रहा है जो यहाँ का एक मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है l कई प्रख्यात गायक भी समय-समय पर अपनी प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुगध कर रहे है l

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें- प्रदर्शनी संयोजक – पंकज दुबे : 9826930568