मशरू कतान सिल्क पर मीनाकारी का काम किए साड़ियां इंदौर में लगे नेशनल सिल्क एक्सपो में
– बास्केटबॉल कॉम्पलेक्स में 27 अक्टूबर तक आयोजन
इंदौर, । मशरू कतान सिल्क पर मीनाकारी का काम… भारतीय बुनाई की विरासत का वो काम जो आज के समय बहुत प्रचलन में हैं। मशरू कतान सिल्क पर मीनाकारी से बनी साड़ियां, किसी भी मौके पर पहनी जा सकती हैं। इन साड़ियों की खासियत है कि ये हैंडलूम पर तैयार की जाती है और डिजाइनर द्वारा तैयार डिजाइन को इस साड़ी पर हैंडलूम से ही उकेरा जाता है। इस साड़ी को एमए क्रिएशन बनारस के हसीन अहमद लेकर आए हैं, जिनकी पीढ़ियां इसी काम को करती रही हैं। हसीन का कहना है कि यह साड़ियां फिलहाल बाहर बहुत कम मिलती है और इस एक साड़ी पर दो से तीन कारीगर मिलकर काम करते हैं।
इस त्योहारी सीजन और अपकमिंग शादियों की सीजन को देखते हुए ट्रेंड में चल रही इस साड़ी मशरू कतान सिल्क को बास्केट बॉल कॉम्पलेक्स में चल रहे नेशनल सिल्क एक्सपो में देखा जा सकता है। ये एक्सपो 27 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें देशभर का सिल्क, कॉटन लेकर बुनकर आए हैं। हसीन के पास प्योर बनारस, प्योर मूंगा सिल्क, जरी का काम किए कई सदियां और मटेरियल उपलब्ध है। इसके अलावा इनके पास बनारसी ट्रेडिशनल कतान बाय कतान सिल्क, जिसे किमखाब डिजाइन कड़वा कहा जाता है, वो भी उपलब्ध है। ये साड़ी कतान के ताना-बाना से हैंड वीविंग से सीनियर कारीगर द्वारा बनाई जाती और ये एक महीने में तैयार होती है।
नेशनल सिल्क एक्सपो के आयोजक जयेश गुप्ता ने बताया कि एक्सपो में कुल 54 स्टॉल लगाए गए हैं। कोलकाता के रामेन दास प्योर सिल्क पर जामदानी साड़ी, मस्लीन सिल्क के ड्रेस मटेरियल और साड़ी लेकर आए है, जो बताते हैं कि इन साड़ियों का काम हैंडलूम पर हैंड वीवंग से किया जाता है। पाटन गुजरात के सुमन कनोजिया राजकोट और पाटन का पटोला लेकर आए है। इसके अलावा इनके पास गुजरात का मशहूर कला कॉटन (भिजोरी वर्क के साथ) भी है, जो लूम में 360 ग्राम धागे से बनता है। इसकी खासियत है कि ये साड़ी बनके के बाद डिजाइन बनती है, जबकि पाटन की पटोला साड़ी में साथ ही डिजाइन भी बनती है और इसे बनने में 6 से 7 महीने लगते हैं। इस एक साड़ी पर दो बुनकर मिलकर काम करते हैं।
एक्सपो में नेचर क्रिएशंस डिजाइन बाय अंजली लेकर कोलकाता से अंजलि दास आई हैं, जिनके साथ महिलाएं ही काम करती है। अंजली के पास प्योर कॉटन, प्योर सिल्क और प्योर तसर में साड़ियों की बड़ी रेंज मौजूद है। इन साड़ियों पर हैंड पेंटिंग पर हैंड वर्क और हैंड पेंटिंग और कांथा वर्क किया गया है। सबसे खास हैंड बाटिक साड़ी है, जो एक साड़ी 20 दिन में बनकर तैयार होती है। इसपर सबसे पहले वेक्स पेंटिंग कर एक दिन रखा जाता है। इस साड़ी में जितनी बार रंगों का काम होता है उतनी ही बार इसे धोया भी जाता है। साथ ही इसपर लाइट शेड से डार्क शेड पर काम किया जाता है। एक्सपो में लखनऊ के फिरोज़ लखनवी चिकन में कुरती, ड्रेस मटेरियल और साड़ी के अलावा लखनऊ का कामदानी वर्क भी है। यहां फेस्टिवल सीजन को देखते हुए लखनवी चिकन पर कामदानी वर्क भी नया है, जो महिलाओं को काफी पसंद आ रहा है। मजीशा हैंडलूम राजस्थान से बेडशीट, सूट, साड़ी, दुपट्टे सहित कुशन कवर आए है। यहां खास तौर पर 300 से 400 ग्राम वजनी जयपुरी रजाई भी मौजूद है। इसके अलावा अजरक प्रिंट और मोडाल क्रेप वनस्पति प्रिंटमें मोडाल सिल्क साड़ी भी इस स्टॉल पर मिल जाएगी, जो इन दिनों काफी प्रचलन में है। इनपर नेचुरल रंगों से ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है। ये साड़ियां 5500 से 7500 हजार तक में मिल रही है।