दीक्षार्थी से साध्वी कृतार्थप्रभाश्री बनते ही झूम उठी कृति

इंदौर। शहर के श्वेताम्बर जैन समाज के नाम आज एक और कीर्तिमान जुड़ गया। एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग पर आज सुबह शहर की उच्च शिक्षित 27 वर्षीया कृति कोठारी अपने संसारी जीवन को त्याग कर तप, त्याग और वैराग्य के मार्ग पर चलते हुए साध्वी बन गई। गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा में 100 से अधिक साधु-साध्वी भगवंतों की मौजूदगी में करीब साढ़े 3 घंटे चली इस शास्त्रोक्त प्रक्रिया के साक्षी हजारों समाज बंधु बने। इस दौरान महावीरबाग में बार-बार जयघोष एवं हर्ष-हर्ष के उद्घघोष गूंजते रहे। गच्छाधिपति की अनुमति से अब कृति कोठारी को साध्वी कृतार्थ प्रभाश्री के नए नाम से जाना जाएगा।

       आयोजन समिति के दिलसुखराज कटारिया, दिनेश डोसी एवं नवीन ललवानी जैन ने बताया कि सुबह सबसे पहले सुश्री कृति कोठारी संसारी वेशभूषा में सज-धजकर सुर्ख जरी वाली लाल साड़ी पहनकर रेम्प पर चलते हुए मंच पर आई और आचार्यश्री सहित सभी साधु-साध्वी भगवंतों को प्रणाम किया। सुबह ठीक 8.36 बजे सबसे पहले कृति को उनके परिजन मंच पर लेकर आए। दीक्षार्थी के मंच पर आने पर आचार्यश्री ने उन्हें पिच्छी और आसन देकर, मंत्र पढ़कर, सिर पर वासक्षेप की वर्षा कर सुरक्षा कवच प्रदान किया। पिच्छी लेकर कृति ने नृत्य करते हुए समवशरण की परिक्रमा की। चैत्य वंदन, नंदी सूत्र के वाचन एवं सकल श्रीसंघ की अनुमति के बाद रिश्तेदारों ने अंतिम विजय तिलक लगाकर उन्हें अपना वेश बदलने के लिए अलग कक्ष में जाने की सहमति प्रदान की। महावीर बाग के सभागृह में रेम्प के दोनों ओर जमा अपार जन समूह उनके इस प्रस्थान का साक्षी बना। मंच पर गच्छाधिपति के सानिध्य में दीक्षार्थी के धर्म माता-पिता बनने की बोली 2.51 लाख में शहर के मनोज-अनीता ओस्तवाल परिवार ने लगाई, वहीं नामकरण के लिए चेन्नई के पुखराज कैलाश सुराणा परिवार ने 1.75 लाख में बोली लगाकर दीक्षार्थी के नाम की घोषणा का पहला श्रेय प्राप्त किया। समारोह में बेंगलुरु, चेन्नई, रायपुर, दुर्ग एवं राजस्थान तथा महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों के समाज बंधु भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। गीत और भक्ति संगीत के बीच दीक्षार्थी के पुनः मंच पर आने तक आगामी चार्तुमास एवं विभिन्न जिनालयों, मंदिरों एवं भवनों के मुहूर्त भी गच्छाधिपति ने हर्ष ध्वनि के बीच घोषित किए। पंचकुइयां राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद भी समारोह में मौजूद रहे।

साध्वी वेश की झलक पाने के लिए उमड़े समाज बंधु – लगभग डेढ़ घंटे बाद जब वे 10.10 बजे वापस उसी मार्ग से मंच पर आईं तो उनका परिवेश साध्वी का था और साध्वी जीवन में प्रयुक्त होने वाली सभी चीजें उनके कांधे व हाथों में सुशोभित थी। जैसे ही उन्होंने साध्वी वेश में रेम्प पर प्रवेश किया, उनके दर्शन की एक झलक पाने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। मंच पर पहुंचने के बाद चार साध्वीवृंद के सहयोग से उनके बचे हुए केश लोचन कर मां पुष्पादेवी को सौंप दिए गए। साध्वी परिवेश के बाद उन्होंने सत्तरभेदी पूजा भी संपन्न की। रजोहरण, वेश परिवर्तन, केश लोच, पचकाण की विधियां संपन्न होते ही गच्छाधिपति ने उन्हें नया नाम कृतार्थप्रभाश्री प्रदान किया। अब कृति का नया नाम साध्वी कृतार्थप्रभाश्री म सा  होगा और वे प.पू. सूर्यप्रभाश्री म सा की इक्सीसवी शिष्या के रूप में जानी जाएंगी। इस अवसर पर शहर के प्रमुख जैन श्रीसंघों की ओर से ललित सी. जैन, प्रकाश भटेवरा, सुजानमल चोपड़ा, दीपक जैन टीनू ने भी दीक्षा स्थल पहुंचकर कृति के इस दीक्षा महोत्सव के साक्षी बनने का पुण्यलाभ उठाया। इसी तरह जानकी नगर श्रीसंघ के राजेश मेहता, शांतिलाल मोदी, अनोप कोचर, विनोद पगारिया, अजीत कोठारी सहित अनेक समाज बंधूओं ने पूरे समय व्यवस्थाएं संभालने में सहयोग प्रदान किया।

पहला विहार महावीर बाग के मंदिर का – दीक्षा लेने बाद गच्छाधिपति की आज्ञा से साध्वी कृतार्थ प्रभाश्री ने महावीर बाग स्थित चिंतामणी पार्श्वनाथ मंदिर के लिए पहला विहार किया और साध्वी वृंद के साथ मंदिर पहुंचकर दर्शन किए। इसके बाद वे अन्य साध्वीवृंद के साथ महावीर बाग के अपने कक्ष में चली गई।

मां दीक्षा ले तो मैं उन्हें भी सुरक्षा प्रदान करूंगी- बीती शाम महावीर बाग परिसर में आयोजित एक भावपूर्ण समारोह में शहर के विभिन्न सामाजिक जैन संगठनों एवं कृति के परिजनों ने उन्हें आत्मीय बिदाई देकर सन्यास के मार्ग पर चलने के निर्णय के लिए उनका अभिनंदन किया। समाज के प्रमुख बंधु भी इस अवसर पर मौजूद थे। कार्यक्रम में कृति की माताश्री पुष्पादेवी कोठारी, छोटी बहन श्रुति, जीजा मनीष बोथरा एवं मौसेरे भाई पीयूष जैन सहित अनेक नजदीकी रिश्तेदार भी मौजूद थे, कृति ने इस अवसर पर अपने आधे घंटे के उद्भबोधन में मां एवं अन्य परिजनों के साथ ही जानकी नगर जैनश्रीसंघ एवं अन्य स्नेहीजनों से मिले आत्मीय सहयोग एवं संबल के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने अपनी मां पुष्पादेवी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि मैं तो दीक्षा ले रही हूं, कल मेरा दीक्षा महोत्सव होगा, लेकिन यदि माता पुष्पादेवी भी दीक्षा ले तो उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए मैं हमेशा तैयार रहूंगी। उपस्थित समाज बंधूओं ने करतल ध्वनि से दीक्षार्थी के इस प्रस्ताव का स्वागत किया। इस अवसर पर खतरगच्छ जैन श्रीसंघ  इंदौर एवं वर्धमान जैन युवा मंच जानकी नगर सहित अनेक संगठनों ने कृति कोठारी का अभिनंदन किया। मंच का संचालन गौतम बारिया एवं हेमेन्द्र वेदमुथा ने किया।