वन स्टॉप सेंटर की छाया में मिल रही ताजगी ढलान पर पहुंचे रिश्तों को

*वन स्टॉप सेंटर की छाया में मिल रही ताजगी ढलान पर पहुंचे रिश्तों को*

इंदौर ।  वन स्टॉप सेंटर (OSC) पर महिलाएं घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना, भरण पोषण की समस्या लेकर आती हैं। प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार के सहयोग,केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास, केस वर्कर सुश्री विनीता सिंह ,सुश्री मोनिका चौहान के जिम्मेदार बर्ताव और परामर्शदात्री सुश्री अलका फणसे के निष्पक्ष परामर्श से बहुतांश मामले सही दिशा में सुलझ जाते हैं। जिलाधीश महोदय श्री मनीष सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर सी एल पासी एवम श्री रामनिवास बुधोलिया जी के मार्गदर्शन में प्रशासक महोदया के सख्त निर्देश रहते हैं की कोई भी मामला पूर्ण संवेदनशीलता से सुलझाया जाए।
OSC इंदौर के सफल प्रयासों के चलते अब केंद्र पर महिलाएं सिर्फ परामर्श के लिए भी आवेदन करने लगी हैं।
ऐसा ही एक मामला OSC पर आया, गीता ने बताया (परिवर्तित नाम) विवाह को २७ साल हो चुके हैं, दो लड़के हैं,बड़ा नौकरी करता है, छोटा पढ़ रहा है।
पति यूं तो बहुत अच्छे हैं , पर आजकल बहुत शराब पीते हैं। सुबह से ही पीने लगते हैं।
ठेकेदारी का काम था, अच्छा चलता था। लॉक डाउन में धंधा बिखर गया। फिर भी पैसे की विशेष समस्या नहीं है। पति मुझ पर बहुत शक करते हैं।उन्हे समझा दीजिए थोड़ा की मुझे थोड़ा बाहर आने जाने के आजादी दे। नही तो मेरा वहां रहना मुश्किल हो रहा है। मुझे बहुत बुरा लगता है और रोना आता है, कहकर गीता रो ही दी।
गीता पति गोविंद, और बेटे के कथन हुए।
परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने बेटे, पति, गीता सभी के एकल और संयुक्त सत्र लिए। गोविंद का हाल ही मे ऑपरेशन हुआ था जिससे वो अस्वस्थ था और बड़ी मुश्किल से केंद्र पर आने के लिए राजी हुआ था।
दुर्भाग्य पूर्ण था की दिन के ३ बजे भी वह शराब पीया हुआ था।
पर गीता की मायूसी को देखते हुए, और नशा करने के बावजूद गोविंद का व्यवहार संतुलित होने से परामर्श सत्र लिए गए।
प्रथम तो गोविंद को सरकारी कार्यालय में यूं शराब पीकर आना गैरवाजबी है ये बताया गया।
गोविंद ने बताया की जब वह शराब नहीं पीता तो ३/४, महीने तक भी छोड़ देता है। पत्नी से बहुत प्यार करता है , कभी उसपर हाथ नहीं उठाया। पत्नी भी पूरा ख्याल रखती आई है पर आजकल ठीक से बात नहीं करती। चिडचिडी हो गई है।
कुछ बताती नही तो मुझे भी बुरा लगता है, मैं यूं भी कम बोलता हूं तो फिर शराब पीने लगता हूं।
गोविंद को समझाया गया की गीता की उम्र में पेरी मेनोपोसल समस्याओं के चलते मूड स्विंग होना, थकान होना, चिड़चिड़ होना ये सब होता है। पति होने के नाते तुम्हे ये बदलाव समझकर उसे सहयोग करना चाहिए। उसे खुश रखने का प्रयत्न करना चाहिए, ढलती उम्र में रिश्ते में ताजगी रखना आवश्यक है।
गीता की सहमती से गोविंद को कहा गया की तुम्हे ६ माह का समय दिया जा रहा है नही तो पत्नी ने स्पष्ट कहा है की वो अब तुम्हारे साथ नही रहना चाहती। बेटा भी मां के साथ ही रहना चाहता है। शराब का साथ देना है तो बीबी बच्चों का साथ छूट जाएगा। सोच लो।
शराब जितनी सहजता से उपलब्ध है और जितनी सहजता से किसी को व्यसनी बना देती है उसे छोड़ पाने के लिए कोई सशक्त कारण और संजीदा प्रयासों की आवश्यकता होती है।
परिवार को खोने के डर से गोविंद ने धीरे धीरे अपने नशे पर काबू पाने की बात की, साथ ही पत्नी को स्वतंत्रता पूर्वक आने जाने देने के उसके अधिकार को न छीनने और उसे सहयोग करने की बात पर सहमती जताई।
६ माह का समय देकर परिवार को रवाना किया गया। २ माह बाद फॉलो अप लेने पर गीता ने परिस्थिति में काफी सुधार की जानकारी दी।
समय के साथ समस्या के पूर्ण समाधान की उम्मीद है।