वन स्टॉप सेंटर की कार्यशैली से बच रहे कई नाजुक रिश्ते
इंदौर । स्वाति (परिवर्तित नाम) जिसकी शादी २१ साल की उमर में हो गई। पति समीर (परिवर्तीत नाम) स्वाति के पीछे पड़ा था शादी के लिए, जिसके चलते स्वाति के दो जगह तय हुए रिश्ते टूट गए क्योंकि समीर नही चाहता था की स्वाति की शादी कहीं और हो।
समीर के बार बार पीछे पड़ने के फलस्वरूप स्वाति भी समीर से प्रेम करने लगी।
स्वाति के पिता केंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे तब मां उनकी सुश्रृषा में व्यस्त थी, तभी समीर के भैया, भाबी की उपस्थिति में स्वाति ने बिना घर पर बताए समीर से आर्य समाज में शादी कर ली।
स्वाति की मां ने भी रिश्ता स्वीकार लिया परंतु इसी दौरान दुर्भाग्यवश स्वाति की पिता की मृत्यु हो गई।
यूं तो समीर एक अच्छा इंसान था पर मां बाप की संकुचित मानसिकता के चलते विवाह के बाद अचानक स्वाति पर रोक लगाने लगा। जींस न पहनना, कॉलेज नही जाना, स्वाति केलिए कुछ लाना हो तो भी छुपाकर लाना, दोस्तों के साथ लेट होने पर स्वाति को कहना बार बार फोन मत करना,कहना मैं कभी भी घर आऊं तुम्हे क्या?
स्वाति भी थोड़ी गरम मिजाज थी तो वो हर बात में समीर से बहस करती थी और बार बार नाराज होकर मायके चली जाती थी।
ऐसे ही एक दिन दोनो में थोड़ी नोकझौक हुई और स्वाति रात के दो बजे मां के पास जाने निकली। इसपर कहा सुनी हुई और समीर ने स्वाति को रोकने के लिए उसपर हाथ उठा दिया।
जो मसाला बातों से सुलझ सकता है वो आज भी पितृसत्तात्मक समाज की सोच से पीड़ित होकर पत्नी पर हाथ उठाकर सुलझाना आसान माना जाता है।
विवाह के सिर्फ चार महीने में प्रेमविवाह से बना रिश्ता टूटने की कगार पर आ गया।
स्वाति वन स्टॉप सेंटर पहुंची और कहा मेरे साथ पति मारपीट करता है मुझे तलाक चाहिए।
मामला OSC प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहार के संज्ञान में लाया गया। केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास ने कहा की लड़की में बचपना है मुझे लगता है मामला परामर्श से सुलझ जाएगा।
डा परीहार ने तुरंत समीर को बुलाकर कथन लेने और तत्पश्चात काउंसलिंग के निर्देश दिए।
OSC की काउंसलर सुश्री अल्का फणसे ने स्वाति की मां को भी बुलाया, उसने कहा मेरी बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो रही है। इसे छुटकारा दिलवा दो। में बेटी को फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करवा रही थी, बेटी होशियार है, ससुराल वालों ने कॉलेज जाना बंद करवा दिया है, मेरे घर आ जायेगी तो सुखी रहेगी।
स्वाति ने भी दृढ़ता से कहा मैं किसी भी हालत में पति के साथ नही रहूंगी। उसे दिलासा दिया गया की अगर उसपर हाथ उठाया गया है तो यह सर्वथा गलत है। तुम घरेलू हिंसा का केस करने का अधिकार रखती हो। तब स्वाति ने कहा मुझे कोई केस नही करना बस तलाक चाहिए। तब उसे समझाया गया अगर तलाक चाहती हो तो कोर्ट से मिलेगा, उसकी अपनी शर्ते होती हैं। उससे पहले आपको तीन बार काउंसलिंग के लिए आना होगा।
फिर पति समीर को भी बुलाया गया। एकल सत्र में चर्चा में मालूम हुआ की स्वाति भी बहुत गुस्सैल है, बात बात में गुस्सा करती है, जिद्दी भी है। मैं काम से लेट हो जाऊं तो उसे लगता है मैं किसी लड़की के साथ हूं ( इसके पीछे भी पूर्व की कोई घटना थी)।
रात के २ बजे बैग उठाकर अकेली निकल पड़ी, मेरे चिल्लाने पर मुझे ईंट फेक् कर मारने लगी तब मैने उसे खींचा और एक चाटा मारा।
मेरे घर का माहौल अलग है तो उस हिसाब से रहना पड़ता है।
स्वाति समीर से मिलना भी नही चाह रही थी फिर परामर्श सत्र के बाद राजी हुई।
दोनों पति पत्नी का संयुक्त सत्र लिया गया। परामर्शदात्री ने दोनो को बड़े हल्के फुल्के अंदाज में परिस्थिति की विषमता से अवगत करवाया। फिर कुछ देर दोनो को कक्ष में अकेला छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद दोनो प्यारी नोक झोंक के साथ मुस्कुराते रहे।
धीरे धीरे दोनो का मन मुटाव दूर हुआ, दोनो को ही एक दूसरे को समझने, सही गलत व्यवहार का ध्यान रखने, सामंज्यस स्थापित करने, एक दूसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने की समझाइश दी गई।
दोनो को ही एक दूसरे पर हाथ न उठाने की और समीर को स्वाति को कॉलेज जाने से न रोकने की ताकीद दी गई। प्रशासक डॉक्टर वंचना सिंह परिहार ने बताया कि
इस तरह नया नया नाजुक रिश्ता Osc की टीम के संयुक्त प्रयासों ने बचा लिया।