पशुपतिनाथ को मिलेगी विशिष्ट पहचान – रेलवे बोर्ड रखेगा ट्रेन का नाम

मंदसौर । मंदसौर की विशिष्ट पहचान पशुपतिनाथ महादेव की प्रतिमा है, यह प्रतिमा पावन शिवना नदी के तट पर विशाल मंदिर में स्थापित है, वर्ष 1940 में शिवना नदी में मिली प्रतिमा की वर्ष 1961 में ब्रम्हलीन स्वामी प्रत्यक्षानंद जी महाराज के कर कमलों से प्राण प्रतिष्ठा हुई ।

जिला कलेक्टर एवं श्री पशुपतिनाथ मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष मनोज पुष्प ने बताया कि पश्चिम क्षेत्र रेलवे मंडल रतलाम से मांग की गई है कि मंदसौर रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली किसी ट्रेन का नामकरण पशुपतिनाथ एक्सप्रेस किया जाय, हर्ष की बात है कि डीआरएम पश्चिम रेलवे मंडल रतलाम ने मांग स्वीकार करते हुए प्रस्ताव केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेजा है ।
कलेक्टर श्री पुष्प ने बताया कि वेस्टर्न रेलवे के चीफ पेसेंजर व ट्रांसपोर्टेशन मेनेजर उदय शंकर झा को उनके मंदसौर प्रवास के दौरान इस संदर्भ में अनुरोध किया गया तथा पत्र भी भेजा गया, ट्रेन का नामकरण पशुपतिनाथ एक्सप्रेस होने से देश भर के रेलवे मेप में मंदसौर का नाम होगा वहीं श्री पशुपतिनाथ का आकर्षण पर्यटकों व यात्रीयों में और बढ़ेगा।
प्राचीन दशपुर वर्तमान मंदसौर की पहचान पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व रही है ।
भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव की प्रतिमा एक पाषाण से बनी है, जिसकी उॅचाई साढ़े सात फीट व ग्यारह फीट गोलाकार प्रतिमा में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों को अष्टमुखो में कलात्मकता से उकेरा गया है ।
पुरातत्वविदों व इतिहासकारों ने इस प्रतिमा को दुर्लभ निरूपित किया है, आज यह प्रतिमा लाखों श्रृदालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है ।
श्री पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र का पूरा संकुल धार्मिक स्थल के रुप में आकर ले रहा है, मंदिर क्षेत्र से कुछ दूरी पर श्री नालछा माता जी का ऐतिहासिक मंदिर व आर्य रक्षित सूरी की पावन नगरी में आर्य रक्षित जैन तीर्थ धाम का विकास पूर्णता की ओर है ।