जब डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीते तब उन्होंने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी। उनमें से कुछ दुनिया को सुकुन देने वाली घोषणाएं थी और कुछ दुनिया में उथल-पुथल मचाने वाली। उन्होंने कहा था कि शपथ लेने के दो दिन बाद ही युक्रेन युद्ध रूकवा देंगे, हुती जैसे आतंकी संगठनों को मिटा देंगे, ईरान को एटमबम नहीं बनाने देंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि कनाडा को अमेरिका का एक प्रांत बनाएंगे और ग्रीनलैंड को भी अमेरिका में मिला लेंगे। पनामा नहर पर भी अमेरिका का आधिपत्य पुनः स्थापित करने की घोषणा भी ट्रम्प ने की थी। इसके विरोध में पनामा ने संयुक्त राष्ट्र में देश की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता के उल्लंघन के लिए शिकायत दर्ज कराई है। वर्तमान में पनामा चीन के प्रभाव में है और पनामा नहर की देख रेख चीन करता है। ट्रम्प को राष्ट्रपति बने करीब 5 माह होने आए। आज की दुनिया में अमेरिका के राष्ट्रपति का पद सबसे अधिक महत्वपूर्ण है यह बताने की आवश्यकता नहीं। इस महत्व को देखते हुए ट्रम्प के व्यवहार और उनके कार्यकाल का एक विश्लेषण तो बनता है।
प्रारंभ करें युक्रेन-रूस युद्ध से, विदित ही है कि यह युद्ध चौथे वर्ष में चल रहा है। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के पूर्व ही ट्रम्प ने कहा था कि उनका पहला कार्यकाल युद्ध से मुक्त रहा है और जहां-जहां युद्ध और अशांति है उन्हें वे रूकवा देंगे। ट्रम्प ने यह भी कहा था कि युक्रेन को रूस से लड़ने के लिए हथियार नहीं देंगे। उन्होंने युक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को अमेरिका बुलाया किन्तु बात नहीं बनी- दोनों के बीच गरमागरम बहस हो गई और ज़ेलेंस्की व्हाइट हाउस में ही ट्रम्प को आंख दिखाकर लौट गये। अभी तक यह समझ में नहीं आया कि ट्रम्प ज़ेलेंस्की से क्या चाहते हैं। क्या वे चाहते हैं कि युक्रेन रूस के सामने समर्पण कर दें? शायद ऐसा ही कुछ ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की से कहा होगा तभी ज़ेलेंस्की व्हाइट हाउस से नाराज होकर निकल आये थे। युक्रेन रूस युद्ध रूकवाने के लिए ट्रम्प ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से कई बार लंबी बातचीत की किन्तु किसी समाधान पर नहीं पहंचे। पुतिन छोटे देशों को तो पहले ही हड़प चुके हैं, किन्तु युक्रेन उनके गले की हड्डी बन गया है। ट्रम्प की बात न पुतिन मान रहे हैं, न जेलेंस्की। ट्रम्प ने यह घोषणा भी की थी कि युक्रेन को अमेरिका हथियार देना बंद कर देगा। किन्तु ऐसा हुआ नहीं और यह निर्णय भी ट्रम्प को बदलना पड़ा। अमेरिका में हथियार बनाने वालों की लॉबी बहुत प्रभावशाली है। अमेरिका का हथियार उद्योग पूरी दुनिया में हथियार बेचकर अपार धन कमा रहा है इसलिए यह उद्योग नहीं चाहता कि युद्ध बंद हो। शायद ट्रम्प ने हथियार लॉबी के दबाव में ही युक्रेन को फिर से हथियार देना प्रारंभ कर दिया है।
कनाडा को अमेरिका में मिलाने की घोषणा करना अव्यवहारिक है। कनाडा एक स्वतंत्र और संपन्न देश है। उसने ट्रम्प की घोषणा का कड़ा विरोध किया। यहां भी ट्रम्प असफल रहे। ट्रम्प के यूएनओ से भी अच्छे संबंध नहीं है। पद ग्रहण करते ही उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को आर्थिक मदद देना बंद कर दिया।
ट्रम्प व्यक्तिगत स्तर पर भी असफल हो रहे हैं। कभी उनके परम मित्र एवं समर्थक एलन मस्क से भी उनके संबंध बुरी तरह बिगड़ गये हैं। एलन मस्क ने ट्रम्प पर महाअभियोग चलाने की मांग की है। अभी अभी खबर आई कि मस्क ने ट्रम्प से माफी मांग ली है और वापस उनसे मित्रता करना चाहते हैं। ट्रम्प ने उनके सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज को भी कुछ ही समय में हटा दिया। अंतर्राष्ट्रीय आतंकी अहमद अल शारा से भी ट्रम्प ने हाथ मिला लिया। इस आतंकी पर अमेरिका ने बड़ा इनाम घोषित कर रखा था अब वह आतंकी सीरिया पर कब्जा करके वहां का राष्ट्रपति बन बैठा है। कहां गई आतंक विरोधी घोषणाएं?
ट्रम्प को शपथ लिये केवल 5 महीने ही होने आये किन्तु इन 5 महीनों में ट्रम्प की प्रतिष्ठा सभी स्तर पर बिगड़ गई। अमेरिका में उनके विरूद्ध हिंसक आंदोलन हो रहे हैं। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नेशनल गार्ड को ड्यूटी पर लगाना पड़ा। यह कई वर्षों बाद हुआ। उनके अपने कट्टर समर्थक उनको छोड़-छोड़कर जा रहे हैं।
ट्रम्प को अपने निर्णय बार-बार बदलना पड़ रहे हैं। ऐसा लगता है कि उनकी मानसिक स्थिति पर उनकी उम्र का दबाव पड़ने लग गया है। इसी कारण वे ठीक से निर्णय नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें अपने निर्णय बदलने भी पड़ रहे हैं। उनकी इस मानसिक अस्थिरता का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। स्पष्ट है कि ट्रम्प का यह कार्यकाल बहुत सफल होने वाला नहीं है।