सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने माना कि हिन्दुस्तान के मिसाइल एवं वायुसेना के जहाजों ने उसे बहुत नुकसान पहुंचाया। हुआ यहां तक कि उसकी एटॉमिक साईट भी हिट हो गई और भूकंप के झटके आने लगे। ये झटके अभी भी आ रहे हैं। उनकी एक बड़ी जेल टूट गई जिसमें से कई बंदी भाग गए। पाकिस्तान ने यह भी माना कि भारत का कोई वायुसेना पायलट उनके पास बंदी नहीं है। युद्ध होता है तो नुकसान तो होता ही है। प्रसिद्ध कहावत है कि लड़ाई में लड्डू नहीं बंटते। युद्ध में निष्कर्ष महत्वपूर्ण होता है। पाकिस्तान ने खुद माना कि भारत ने उसे बहुत नुकसान पहुंचाया और जितना भारत बता रहा है उससे अधिक नुकसान पाकिस्तान का हुआ है। किन्तु भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी प्रश्न उठा रहे हैं कि कितने हवाई जहाज भारत के पाकिस्तान ने मार गिराये। गंभीरता से विचार करें तो यह एक बहुत शातिर प्रश्न है। यह एक सोची-समझी शातिर चाल है।
स्मरण करें तो याद आएगा कि जब राफेल युद्धक विमान खरीदे गये तब राहुल गांधी ने अनेक आरोप भ्रष्टाचार के मोदी सरकार पर लगाये थे। भ्रष्टाचार के आरोप सरकार पर नहीं बल्कि सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगाये गये थे और मामला सुप्रीमकोर्ट तक ले गये। सुप्रीमकोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। परिणाम स्वरूप राहुल गांधी को निराशा हाथ लगी। अभी जो प्रश्न राहुल गांधी पूछ रहे हैं वह इसी आरोप की निरंतरता है, उसी की एक कड़ी है। यदि सरकार कहती कि पाकिस्तान पर हवाई आक्रमण के समय इतने राफेल गिरे तो राहुल गांधी फिर राफेल की गुणवत्ता पर सवाल उठाते और हो सकता है फिर सुप्रीमकोर्ट जाते और कहते कि उनके भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं; राफेल की गुणवत्ता सही नहीं है इसलिए युद्ध में गिर गये। राहुल गांधी के दुर्भाग्य से पाकिस्तान तक ने यह नहीं कहा कि कोई राफेल उसने मार गिराया। जितना सटीक और सफल हवाई आक्रमण ऑपरेशन सिंदूर में हुआ उतना बहुत कम होता है। परन्तु राहुल गांधी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से बहुत निराश हैं जबकि उनकी पार्टी के कुछ समझदार-देश भक्त नेता ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की प्रशंसा कर रहे हैं।
राहुल गांधी का पाकिस्तान प्रेम सभी जानते हैं। जवाहरलाल नेहरू का भी पाकिस्तान प्रेम जग जाहिर रहा है। उनके पाकिस्तान प्रेम से बने नासूर को भारत आज भी भुगत रहा है और पता नहीं कब तक भुगतेगा? इतिहास साक्षी है कि कश्मीर में जीतती हुई सेना को रोकने का काम जवाहरलाल ने किया था। सरदार पटेल ने इसका विरोध किया था किन्तु जवाहर नहीं माने। इसी निर्णय के फलस्वरूप पीओके बना। सिंधू जल संधि भी पाकिस्तान के पक्ष में की गई। नेहरू ने सिंधू का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया। उन्होंने पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा दिया था जिसके तहत पाकिस्तान को कई सुविधाएं भारत के विरूद्ध मिलती रही हैं। राहुल गांधी जवाहरलाल नेहरू के पाकिस्तान प्रेम को ही आगे बढ़ा रहे हैं।
राहुल गांधी का भारत विरोध जग जाहिर है; उनके लिए भारत विरोध और मोदी विरोध में कोई अंतर नहीं। पूरा देश जानता है कि विदेश में जाकर भारत की छवि धूमिल करने का काम राहुल गांधी वर्षों से कर रहे हैं। कारण भी स्पष्ट है, वे प्रधानमंत्री का पद अपनी बपौती समझते हैं। वे यह बात हजम कर ही नहीं पा रहे कि उनके अलावा कोई अन्य व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर बैठे। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत जिस तरह से अद्भुत प्रगति कर रहा है वह कई विदेशी शक्तियों को रास नहीं आ रहा। भारत विरोधी विदेशी तत्व एक कमजोर भारत देखना चाहते हैं; कमजोर भारत देश विरोधी तत्वों के लिए फायदेमंद है। वर्तमान सशक्त भारत सरकार के कारण उनके हित पूरे नहीं हो रहे। इतिहास साक्षी है कि भारत हमेशा से विदेशियों की चरागाह रहा है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से उनके हितों पर चोट पहुंची है इसीलिए वे भारत के ऐसे व्यक्तियों और तत्वों का उपयोग करते हैं जो नरेन्द्र मोदी विरोधी हैं। राहुल गांधी उनका सहयोग कर रहे हैं। देश बोफोर्स को भुल नहीं सकता और राहुल गांधी को प्रत्येक सौदे में बोफोर्स ही दिखाई देता है। भारत का इतिहास साक्षी है कि देश ने विदेशियों से जितनी भी लड़ाईयां हारीं वे अपने लोगों की वजह से ही, फिर चाहे जयचंद हो या शक्ति सिंह।
राहुल गांधी इतने भोले तो हैं नहीं कि वे जो कुछ बोलते हैं उसका अर्थ उन्हें नहीं मालूम। कितने जहाज गिरे प्रश्न भी बहुत शातिर प्रयास है भारत सरकार और नरेन्द्र मोदी को फंसाने का। उन्हें प्रत्येक सौदे में बोफोर्स की छवि दिखाई देना बहुत स्वाभाविक है। राहुल गांधी को नरेन्द्र मोदी के घोर विरोधी नेताओं से सबक लेना चाहिए जिन्होंने देश हित में भारत सरकार के साथ एकजुटता दिखाई। यही प्रजातंत्र की विशेषता है। विरोध करेंगे, लड़ेंगे किन्तु जब देश संकट में होगा तब एक होंगे; किन्तु राहुल गांधी अपने निजी स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पाते। कारण स्पष्ट है, सत्ता से बाहर रहना उनके लिए असहनीय है। सत्ता मद एक बार जिस पर चढ़ जाता उतरता नहीं।
नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी या अन्य कोई व्यक्ति सबके लिए देशहित, देश सुरक्षा और देश का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए। जिस तरह हम अपने घर की सुरक्षा और सम्मान की चिंता करते हैं उसी तरह देश की सुरक्षा करनी चाहिए। किसी भी देशवासी को गलती से भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़े। दुर्भाग्य से राहुल गांधी के अतिरिक्त भी कई ऐसे तत्व देश में मौजूद हैं जिनके लिए व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वार्थ अधिक महत्वपूर्ण है। देश सुरक्षित और सशक्त रहेगा। तो सभी देशवासी सुरक्षित-शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ईश्वर सद्बुद्धि प्रदान करें।