अमेरिका हमेशा भारत विरोधी रहा है – प्रो. देवेन्द्र कुमार शर्मा

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के कहने से भारत ने पाकिस्तान पर आक्रमण रोक दिया। पता नहीं भारत सरकार ट्रम्प के दबाव में क्यों आ गई? कभी न कभी तो पाकिस्तान को पूरी तरह से निपटाना ही पड़ेगा। ट्रम्प की बात युक्रेन नहीं मान रहा किन्तु भारत जैसा शक्तिशाली देश ट्रम्प के आग्रह को मान गया। ट्रम्प की इज्जत बचा ली। ट्रम्प की बात दुनिया में कोई नहीं मान रहा। नाटों के युरोपीय देश ट्रम्प के नेतृत्व को खुलेआम नकार चुके हैं। हुती अमेरिका से संभल नहीं रहा। उत्तरी कोरिया जैसा देश अमेरिका को एटम बम मारने की धमकी देता रहता है। राष्ट्रपति बनते ही ट्रम्प ने बड़बोले पन से घोषणा की थी कि दो दिन में युक्रेन-रूस युद्ध रूकवा दूंगा। 4 महीने हो गए कुछ नहीं हुआ। युक्रेन का राष्ट्रपति जेलेंस्की व्हाइट हाउस में ही ट्रम्प को आंख दिखाकर आ गया। जब आप का पाला दुष्ट और नीच से पड़ा हो तब सज्जनता का कोई अर्थ नहीं रहता।

इतिहास साक्षी है कि अमेरिका हमेशा भारत विरोधी रहा है। पाकिस्तान बनने के बाद से ही अमेरिका ने पाकिस्तान को बढ़ावा देने का काम किया है। अमेरिका लगातार बड़ी आर्थिक मदद पाकिस्तान को देता रहा है। अमेरिका के सहयोग से ही पाकिस्तान की सेना खड़ी हुई है। सभी सैनिक, साजो सामान और हवाई जहाज अमेरिका ने ही दिये हैं। वर्तमान आतंकी घटना के समय भी बहुत बड़ी रकम पाकिस्तान को दी है। बहाना यह किया कि उसके द्वारा दिये गये हवाई जहाज के रख रखाव के लिए यह रकम दी जा रही है। मतलब साफ है कि अमेरिका पाकिस्तान को भारत के विरूद्ध ताकतवर बनाये रखना चाहता है। अमेरिका को शक्तिशाली भारत पसंद नहीं आता, बल्कि सहन ही नहीं कर सकता। जब शीत युद्ध चलता था तब अमेरिका ने पाकिस्तान को रूस के विरूद्ध खड़ा किया था, परन्तु पाकिस्तान उनके कभी काम नहीं आया। अमेरिका के द्वारा दी गई सैनिक सहायता का उपयोग पाकिस्तान हमेशा भारत के विरूद्ध ही करता रहा है। पाकिस्तान ने अमेरिका को भी धोखा दिया। 9/11 का गुनहगार ओसामा को पाकिस्तान ने छुपाये रखा, फिर भी अमेरिका पाकिस्तान पर प्रेम बरसाता ही रहता है। यूएनओ द्वारा घोषित कई अंतर्राष्ट्रीय आतंकी पाकिस्तान में आज भी रहते हैं किन्तु अमेरिका पाकिस्तान के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं करता।

1971 में बंगलादेश युद्ध के समय अमेरिका ने पाकिस्तान को बचाने की पूरी कोशिश की। तत्कालीन अमेरिकन प्रेसीडेंट रिचर्ड निक्सन ने भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को फोन किया किन्तु इंदिरा गांधी ने अमेरिकन राष्ट्रपति का फोन नहीं उठाया। भारत पर दबाव बनाने के लिए प्रेसीडेंट निक्सन ने अपना सबसे बड़ा नौसेनिक समुद्री जहाजों का बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था, किन्तु इंदिरा गांधी दबाव में नहीं आई। दुर्भाग्य से भारत सरकार ने ट्रम्प की बात मानली, मानो भोजन करने का कोई निमंत्रण हो। ऐसा लगता है मोदी जी विश्वशांति के मसीहा की अपनी छवि बनाये रखना चाहते हैं। यह देश हित में नहीं है। कारगिल युद्ध के समय भी तत्कालीन अमेरिकन प्रेसीडेंट ने भारत के प्रधानमंत्री अटल जी को फोन करके कहा था कि यदि युद्ध बढ़ा तो पाकिस्तान एटम बम का उपयोग कर सकता है। तब अटल जी का उत्तर था कि भारत का थोड़ा हिस्सा बर्बाद हो सकता है लेकिन पाकिस्तान पूरा बर्बाद हो जाएगा। इस युद्ध के समय भी अमेरिका के दबाव में भारत ने अपनी वायुसेना का उपयोग नहीं किया था। कितनी अजीब बात है। यदि वायुसेना का उपयोग करते तो बिना हमारे सैनिकों की वीरगति के हम युद्ध जीत लेते। इस तरह की नीति समझ के परे हैं। युद्ध में सभी साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए। दूसरा हमें कहता है हम वैसा करने लग जाते हैं और हमारे सैनिक मारे जाते।

संयुक्त राष्ट्र संघ में भी अमेरिका ने कभी भी भारत का समर्थन नहीं किया। जब भी आवश्यकता पड़ी रूस ने ही भारत का समर्थन किया है। एटम बम परीक्षण के समय भी अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये थे। स्मरण नहीं आता कि ऐसे कोई प्रतिबंध एटमबम बनाने के समय पाकिस्तान पर अमेरिका ने लगाए हों। पाकिस्तान ने तो उत्तरी कोरिया को एटम बम की तकनीक बेची है। पाकिस्तान अपने एटम बम को इस्लामिक एटम बम कहता है मतलब यह कि प्रत्येक मुस्लिम देश को उपयोग के लिए एटमबम देगा। इस घोषणा का भी अमेरिका ने कभी विरोध नहीं किया।

दुनिया के कई बड़े आतंकी पाकिस्तान में ही रहते हैं। वे दुनिया भर में आतंक फैलाने के लिए उत्तरदायी हैं। अमेरिका में भी आतंकी घटना पाकिस्तान के आतंकी ही करते हैं। अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकियों पर बड़े पुरस्कार की घोषणा भी कर रखी है, वे पाकिस्तान में खुलेआम रहते हैं किन्तु अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करता, उलटे पाकिस्तान को अधिक से अधिक सहायता करता रहता है। भारत में कई आतंकी घटना करने के बाद भी अमेरिका ने पाकिस्तान पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया। वास्तव में अमेरिका एक ताकतवर भारत देखना ही नहीं चाहता। इसलिए वह हमेशा पाकिस्तान की मदद करता रहता है। अभी भी अमेरिका के प्रेसीडेंट ट्रम्प ने पाकिस्तान को बचा लिया।

पीओके स्वतंत्रता संग्राम के नेता अमजद अयुब मिर्जा ने एक टीवी चैनल पर कहा कि पीओके के लोग अपने देश भारत में आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि भारत को सेना भेजने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। थोड़ी सी मदद कर दे तो हम पाकिस्तान से अलग होकर अपने देश भारत में मिल जाएंगे। बलुचिस्तान भी भारत की ओर बड़ी आस लगाए देख रहा है। वे स्वतंत्र होने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। उन्हें भी भारत से बड़ी आशा है। जब नीच-दुष्ट से पाला पड़ा हो तब सज्जनता का कोई अर्थ नहीं रहता। इसलिए भारत को सज्जनता छोड़ पूरी निर्दयता के साथ पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए। अमेरिका के दबाव में आना बहुत अनुचित है।

गतवर्ष बंगलादेश में हुई उथल-पुथल के लिए भी अमेरिका को ही उत्तरदायी माना जाता है। तब बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना थी। शेख हसीना के संबंध भारत से हमेशा अच्छे रहे हैं। अमेरिका को यह पसंद नहीं आता रहा है। तत्कालीन अमेरिकन प्रेसीडेंट जो वाइडेन ने बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन करवाकर उनके प्रिय मोहम्मद युनुस को बंगलादेश की सत्ता पर काबिज़ कर दिया। इसके बाद बंगलादेश पूरी तरह भारत विरोधी हो गया। वहां असंख्य हिन्दूओं का कत्लेआम हुआ, कई हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, कई लड़कियों को उठाकर ले गये। अभी-अभी हुए भारत – पाक संघर्ष के समय बंगलादेश ने धमकी दी थी कि यदि भारत पाकिस्तान पर आक्रमण करेगा तो बंगलादेश भारत पर आक्रमण करेगा। बंगलादेश के इस भारत विरोध के लिए अमेरिका ही उत्तरदायी है। इतिहास साक्षी है कि अमेरिका कभी भी भारत का पक्षधर नहीं रहा, वह हमेशा भारत का विरोधी रहा है। इसलिए हमको अपने देश हित के अनुसार कार्यवाही करना चाहिए।