शनि की शाम को अचानक खबर आयी कि ट्रम्प के हस्तक्षेप से युद्ध विराम हो गया। बहुत निराशा हुई। पूरा देश निराश है। जितने भी लोगों से बात हुई सभी इस निर्णय से असंतुष्ट हैं। सड़क पर चाय बेचने वाले को भी यह निर्णय पसंद नहीं आया। पाकिस्तान ने युद्ध शुरू किया और पाकिस्तान की इच्छा अनुसार युद्ध विराम हो गया। शाम को फिर पाकिस्तान ने गोलाबारी शुरू कर दी। इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान जब चाहेगा युद्ध करेगा और जब चाहेगा बंद करवा देगा। इतिहास साक्षी है कि चालाकी में भारत सदा पाकिस्तान से हारा है। युद्ध विराम अमेरिका के हस्तक्षेप से हुआ। अमेरिका कभी भी भारत का वास्तविक मित्र नहीं रहा। कारण भी है- हम हमेशा रूस के साथ ही रहे हैं और रूस ने सच्चे मित्र की भूमिका भी हमेशा निभायी है। अभी जो दोस्ती का दिखावा अमेरिका करता है वह उसके स्वार्थ के कारण। वह उभरते भारत के आर्थिक विकास का लाभ लेना चाहता है।
भारत का फैसला बहुत निराशाजनक है। ट्रम्प ने कहा और भारत ने मान लिया। इस निर्णय से पाकिस्तान को ही लाभ हुआ है। हमारे नागरिक और सैनिक बेकार में ही मारे गये। पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है इससे अच्छा माहौल कभी नहीं होगा। इतनी एकता बहुत मुश्किल से भारत में होती है। बहुत निराशा हुई पूरा देश निराश है। यदि युद्ध विराम मानना ही था तो लड़ते ही नहीं, पहले ही हार मान लेते।
पाकिस्तान के साथ हमारी समस्याएं निपाटने का बहुत अच्छा अवसर आया था। पाकिस्तान के कब्जे से कश्मीर का भू-भाग लेने का यह सर्वोत्तम अवसर था। अभी पाकिस्तान सभी ओर से घिरा हुआ है। बलुच संघर्ष चरम पर है। अफगान भी हमला कर रहे हैं। पाकिस्तान बहुत बुरी तरह फंसा हुआ है। ऐसा अवसर फिर कभी नहीं आएगा। भारत दम दिखाता तो बलुच आजाद हो जाते, अफगानों की समस्या हल हो जाती और कश्मीर का हमारा हिस्सा भी हम वापस ले लेते। इस बार पूरा देश जोश व एकता से तैयार था। युद्ध विराम के निर्णय ने बहुत निराश किया। लोकसभा में सीना ठोककर कहने का कि आजाद कश्मीर हमारा है बेकार ही गया। 56 इंच का सीना 36 का हो गया।
बड़ी आशा थी कि युद्ध शुरू हुआ तो इस बार पाकिस्तान का कांटा हमेशा के लिए निकल जाएगा। आशा थी कि बलुचिस्तान आजाद हो जाएगा, कश्मीर का हमारा भू-भाग हम वापस ले लेंगे, पाकिस्तान के टुकड़े हो जाएंगे। परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ, केवल निराशा हाथ लगी। युद्ध विराम स्वीकार करने का अर्थ है कि जब पाकिस्तान चाहेगा तब युद्ध होगा और जब वो चाहेगा शांति होगी। युद्ध विराम से आतंकवाद की समस्या भी हल नहीं होगी। कुछ आतंकियों को मार देने से आतंकवाद बंद होने वाला नहीं है। आतंकवाद पाकिस्तान का धर्म है। वहां की सेना भारत विरोध पर ही जीवित है। भारत विरोध का जहर पीला कर ही पाक सेना वहां के नागरिकों को मुर्ख बनाती रहती है। जीत पाकिस्तान की ही हुई। वह जब चाहता है युद्ध शुरू करता है, जब चाहता तब बंद करता है। हम से अधिक चालाक तो पाकिस्तान की सेना है, वह अमेरिका से पैसा लेती है और मनमानी करती है। चीन के सामने डटे रहने वाला देश पाकिस्तान के सामने झुक गया। एटम बम तो चीन के पास भी बहुत है। किन्तु तब चिंता नहीं की।
भारत की सरकार ने ट्रम्प की बात मान ली। बहुत कमजोर साबित हुई। हम से अधिक दमदार तो युक्रेन है। अमेरिका से सबकुछ लेता है परन्तु उसकी बात नहीं मानता। ट्रम्प ने बहुत जोर लगाया किन्तु युद्ध विराम के लिए युक्रेन सहमत नहीं हुआ। युक्रेन रूस के एटम बमों से भी नहीं डरा। बहुत दुखद है कि भारत युद्ध विराम को मान गया। परिणाम पाकिस्तान के पक्ष में ही होंगे। नदियों का पानी भी छोड़ दिया जाएगा और आतंकवादी भी आने लगेंगे। हमारे लोग फिर मारे जाने लगेंगे और हम कुछ समय रोकर चुप हो जाएंगे। बड़ी आशा थी कि पाकिस्तान का कांटा हमेशा के लिए निकल जाएगा किन्तु ऐसा नहीं हुआ। बहुत निराशा हुई। देश त्याग करने को तैयार है परन्तु नेतृत्व कमजोर पड़ गया।
हमारे सैनिकों और नागरिकों का बलिदान निरर्थक गया। 1947 से ही हमारे सैनिक-नागरिक मारे जा रहे हैं। यह सिलसिला चलता ही रहेगा। आतंकी पाकिस्तान की जीत हुई, भारत हार गया। नागरिक बहुत निराश हैं। भारत सरकार के युद्ध विराम को स्वीकार करने के निर्णय के परिणाम बहुत दुरगामी होने वाले हैं। नागरिक बहुत नाराज है। विरोधी इसका लाभ आने वाले चुनाव में उठाएंगे।
भारत का इतिहास रहा है कि सेना युद्ध जीतवाती है और नेता हरवा देते हैं। युद्ध में भारत हमेशा जीतता है और बातचीत की टेबल पर हार जाता है। 1965 के युद्ध में जीती हुई जमीन वापस दे दी। बंगलादेश युद्ध के समय 90 हजार सैनिकों को छोड़ भी दिया और जीती हुई जमीन भी दे दी। बहादुरी में हमारी सेना जीतती है, चालाकि में नेता हार जाते हैं। पाकिस्तान बहुत चालक है। वह हमेशा भारत के साथ मनमानी करता रहा है। हम कभी भी उसकी चालाकियों का मुकाबला नहीं कर पाए। अभी भी यही हुआ। निराशा हाथ लगी।
ट्रम्प ने युद्ध विराम करवाया। क्या ट्रम्प ने इस बात का आश्वासन दिया कि पाकिस्तान भारत में आतंकवादी नहीं भेजेगा। पाकिस्तान ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया। आतंकवादी ही मूल समस्या है। यदि आतंकवाद की समस्या का हल नहीं निकला तो सबकुछ बेकार। नदियों के पानी का बंटवारा भी फिर से होना चाहिए। भारत को अपनी उदार नीतियों को भी छोड़ देना चाहिए। पाकिस्तान के टुकड़े करना इस समस्या का हल है। पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के संबंध हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए। भलाई भारत के भाग्य में नहीं है। बंग्लादेश को आजाद करवाया आज वही भारत के विरोध में खड़ा हो गया है। पता नहीं क्या होगा? एक बात साफ है युद्ध विराम से पूरा देश दुःखी और नाराज है। आश निराश भई।