भारत पाकिस्तान के बीच जो चल रहा है वह सबको पता है। भारत के लिए जो खुशखबरी आई उससे पूरा देश आनंदित है। भारत सरकार और सेना का अभिनन्दन। सभी देशवासियों ने सरकार और सेना को जो समर्थन दिया वह अद्भुत है। बहुत समय बाद भारत एक अविभाजित और संगठित राष्ट्र दिखाई दिया। इसे देखकर मन गर्व से भर गया। भारतीय होने पर गर्व हुआ।
जो भारतीय सेना कर रही है वह अद्भुत है। लेकिन एक निवेदन है सरकार से- यहीं नहीं रूकना चाहिए। हमारे बहुत उद्देश्य अभी पूरे करने हैं। पाकिस्तान भारत के लिए एक नासूर है जिसको हम 1947 से ही भुगत रहे हैं। जिन्ना की पद लोलुपता से हुए विभाजन भारत के लिए बहुत कष्ट दायक रहा है। पाकिस्तान ने धर्मांधता और आतंकवाद का रास्ता अपनाया। उसने आतंकवादी पाले और हमारे देश में बहुत खून खराबा किया। अभी भी कर ही रहा है। भारत ने बहुत भुगता है किन्तु पाकिस्तान को उचित सबक सिखाने का कभी प्रयास नहीं किया। समस्या का स्थायी हल पाकिस्तान को सही सबक सिखाकर ही हो सकता है। कभी कोई दृढ़ शक्तिवाला नेतृत्व भारत में नहीं रहा जो पाकिस्तान की दुर्बुद्धि हमेशा के लिए ठीक कर दे। इंदिराजी ने अवश्य पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया था। किन्तु अब बंगलादेश भी पाकिस्तान के रास्ते पर ही चल पड़ा है। वास्तव में स्वार्थी तत्व आम मुसलमान को धर्म के नाम पर बहकाकर उनके बच्चों को आतंकवादी बनाकर भारत में भेजते रहे हैं। इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए पाकिस्तान के आकाओं को सही सबक सिखाना बहुत आवश्यक है। वर्तमान में ऐसा अवसर हमारे सामने हैं। अभी नहीं तो कभी नहीं।
नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने आतंकवाद के विरूद्ध जिस दृढ़ता का परिचय दिया है वह प्रशंसनीय है। पूरा देश सरकार और सेना के साथ खड़ा है। सरकार को इस अवसर का लाभ उठाकर समस्या का स्थायी हल निकालने का प्रयास करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय समर्थन भी भारत के पक्ष में हैं। कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में हैं उसे भी ले लेना चाहिए। वहां के लोग भी भारत में वापस आने के लिए बहुत आतुर हैं। वे लंबे समय से पाकिस्तानी सेना का विरोध कर रहे हैं। ऐसा करने में यदि अंतर्राष्ट्रीय विरोध का सामना भी करना पड़े तो चिंता नहीं करना चाहिए। देश हित सर्वोपरि होता है। पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने का इससे अच्छा अवसर फिर कभी आने वाला नहीं है। अभी नहीं तो कभी नहीं।
सामरिक दृष्टि से देखें तो परिस्थिति पाकिस्तान के विरूद्ध ही है। बलुचिस्तान अपनी आजादी के लिए जोरदार संघर्ष कर रहा है। बलुचिस्तान पाकिस्तान की जमीन का 43% भू-भाग है। उसके अलग होने से पाकिस्तान आधा रह जाएगा। इससे उसकी शैतानियत की शक्ति कम हो जाएगी। अफगान तालिबान भी पाकिस्तान के विरूद्ध लड़ रहे हैं। अफगान तो चाहते ही हैं कि भारत आक्रमण करें तो वे भी अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर जोरदार हमला करेंगे। पाकिस्तानी कब्जे वाला कश्मीर का हिस्सा वापस आ जाने से भारत की 100 किलोमीटर की सीमा सीधे अफगानिस्तान से मिल जाएगी। इससे अफगानिस्तान से सीधे व्यापार हो सकेगा। सुरक्षा की दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। आज भारत के पास अच्छा अवसर है, सरकार दमदार है, सेना सशक्त और देश संगठित है। यदि हमने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया तो भविष्य में ऐसा अवसर शायद नहीं आयेगा। वैसे भी कश्मीर के हिस्से पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को बहुत वर्ष हो गए हैं। जवाहरलाल नेहरू की गलती देश के लिए नासूर बन गई है। आज इस नासूर का इलाज करने का उचित समय और शक्ति दोनों हमारे पास है। यदि आज नहीं हुआ तो फिर कभी नहीं होगा। अभी नहीं तो कभी नहीं।
अमेरिका संयम की सलाह देता है किन्तु भारत को उसकी परवाह नहीं करना चाहिए। उसने कभी भी पाकिस्तान पर उचित दबाव नहीं बनाया। पाकिस्तान आतंकियों को पालता रहा जिन्होंने अमेरिका को बहुत नुकसान पहुंचाया। आज भी अमेरिका पाकिस्तान की मदद करता है और उसके दिये हवाई जहाज व हथियारों से भारत के खिलाफ लड़ता है। अमेरिका अभी भी पाकिस्तान को पैसा देता है। भारत का वास्तविक मित्र रूस ही है। अभी भी पुतिन ने भारत को कोई सलाह नहीं दी। भारत को भी रूस का साथ देना चाहिए। युक्रेन से हमें क्या लेना-देना। युक्रेन हमेशा भारत विरोधी रहा है और पाकिस्तान की मदद करता रहा है। रूस के द्वारा दिये S400 से ही भारत आज सुरक्षित है। अमेरिका तो एक स्वार्थी देश है उसकी परवाह नहीं करना चाहिए। रूस का साथ देने से चीन भी हमारे विरोध में नहीं जाएगा। फ्रांस और इटली दृढ़ता से भारत के साथ खड़े हैं। यूरोप के अन्य देश भी भारत के पक्ष में है। अतः पाकिस्तान के टुकड़े करने का सबसे अच्छा अवसर आज हमारे पास है। कश्मीर का हिस्सा भी आ जाएगा और बलुचिस्तान स्वतंत्र हो जाएगा। आज देश जो भुगत रहा है वह जवाहरलाल नेहरू की गलती से भुगत रहा है। उसके मन में पाकिस्तान के प्रति बहुत प्रेम था और उसने ही पाकिस्तान को प्रिय देश(Most Favoured Nation) का दर्जा दे रखा था। नदियों के पानी के समझौते में भी नेहरू ने देश का बहुत नुक्सान किया था। नदियां भारत की लेकिन उनका 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दे दिया था। कश्मीर में भी भारत की जीत रही सेना को रोक दिया था। उसी का परिणाम हम भुगत रहे हैं। आज परिस्थिति बहुत पक्ष में हैं। नेता मजबूत और सेना सक्षम। हम कह सकते हैं ‘मत चुके चौहान’। पाकिस्तान नाम की बीमारी का हल करने का आज सर्वोत्तम अवसर है। अभी हो गया तो हो गया अन्यथा फिर कभी नहीं होगा। अभी नहीं, तो कभी नहीं।