तुलसीदास ने अपनी कालजयी रचना से समूचे विश्व को आंदोलित-प्रेरित किया

तुलसीदास ने अपनी कालजयी रचना से समूचे विश्व को आंदोलित-प्रेरित किया
इंदौर। रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी कालजयी रचना से समूचे विश्व को आंदोलित और प्रेरित किया है। आज विश्व के प्रमुख ग्रंथों में रामचरित मानस का नाम शीर्ष पर दर्ज हो गया है। यूनेस्को ने भी मानस को अपनी सूची में शामिल कर लिया है। तत्कालीन डरे-सहमे समाज को रामचरित मानस के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास ने नया साहस, शौर्य और संस्कार देकर उस समय की बिगड़ी हुई तस्वीर को संवारने का पुरुषार्थ कर दिखाया। आज भी रामचरित मानस की चौपाईयां प्रासंगिक एवं उपयोगी बनी हुई है।
ये प्रेरक पविचार हैं रामस्नेही संप्रदाय के युवा संत हरशुकराम महाराज के, जो उन्होंने छत्रीबाग रामद्वारा पर गोस्वामी तुलसीदास की 527वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में चित्र पूजन एवं मानस पूजन के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर पर रामद्वारा ट्रस्ट की ओर से रामनिवास मोड़, रामसहाय विजयवर्गीय, गिरधर नीमा, सुरेश काकाणी, वासुदेव सोलंकी, सुनेरसिंह, भूरा पहलवान, श्याम भूतड़ा, हेमंत काकाणी आदि ने रामचरित मानस का पूजन किया। सामूहिक आरती में भी सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया।
संत हरशुकराम ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने भारतीय समाज को भगवान राम के रूप में एक ऐसे सर्वमान्य नायक को सौंपा है, जो आज हजारों वर्ष बाद भी जन-जन के मन में आस्था और श्रद्धा की गहरी जडें जमाए हुए है। यह गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति और निष्ठा का ही प्रमाण है कि प्रभु राम को भी उन्हें दर्शन देने आना पड़ा। तत्कालीन साहित्य में सूरदास और तुलसीदास जैसे दो ऐसे नाम रहे, जिन्होंने समाज को नए उत्साह और शौर्य की ओर प्रवृत्त किया। दुनिया में ऐसे बहुत कम ग्रंथ हैं, जिन्हें कालजयी माना जाता है। रामचरित मानस उनमें से एक है।