सफल कुंभ आयोजन-प्रशंसनीय   – प्रो. डी.के. शर्मा

सफल कुंभ आयोजन-प्रशंसनीय – प्रो. डी.के. शर्मा
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का समापन हो गया। सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तो प्रशंसा की पात्र है ही किन्तु वास्तविक प्रशंसा के पात्र वे सब शासकीय कर्मचारी हैं जिन्होंने कुंभ आयोजन को सफल बनाया। विदित है कि 45 दिन के कुंभ आयोजन में 66 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान किया – औसतन डेढ़ करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों ने प्रतिदिन गंगा स्नान किया। सीमित स्थान में इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए सभी सुविधा सफलतापूर्वक जुटाना अकल्पनीय कार्य होता है। सरकार के बड़े अधिकारियों से लगाकर सफाई कर्मचारियों तक ने मिलकर इस अदभुत कार्य को सफलतापूर्वक संचालित किया। वे सब असीमित प्रशंसा के पात्र हैं। इतना कठिन कार्य सफलतापूर्वक केवल वेतन पाने की इच्छा मात्र से संपन्न नहीं किया जा सकता। यह अद्भुत सेवा कार्य कर्तव्य के प्रति असीम समर्पण की भावना से ही संपन्न किया जा सकता है। कर्मचारियों की कर्तव्य के प्रति समर्पण भावना ने ही कुंभ के अद्भुत आयोजन को सफल बनाया।

साधारणतः जब शासकीय कर्मचारियों की चर्चा होती है तब नागरिकों के पास शिकायत का पुलिंदा होता है। काम करने में देरी करके भ्रष्टाचार की शिकायत अधिकतर होती है; चटकारे ले लेकर भ्रष्टाचार के किस्से सुनाये जाते हैं। अधिकतर किस्से सही भी होते हैं, किन्तु कुंभ के सफल आयोजन ने शासकीय कर्मचारियों की प्रतिष्ठा को चारचांद लगा दिये। अद्भुत, अकल्पनीय, अद्वितीय परिश्रम – निष्ठा से ही कुंभ के पावन आयोजन का संकल्प सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। पूरे विश्व में चर्चा है, दुनिया आश्चर्यचकित है। विदेश से भी 60 लाख तीर्थयात्रियों ने पावन स्नान किया, इनमें अधिकतर अन्य धर्म के थे। यह भारतीय हिन्दू संस्कृति की उदारता का परिचायक है। हिन्दू संस्कृति में कोई वर्जित नहीं, जो भी पवित्र समर्पण भाव से पुण्य प्राप्त करना चाहता है उसका भारतीय संस्कृति में स्वागत होता है। उदार कुंभ आयोजन भारतीय हिन्दू संस्कृति की इसी उदारता का परिचायक है। यह हमें गौरवान्वित करता है, प्रत्येक हिन्दू को गर्व करना चाहिए।
सभी क्षेत्रों में शासकीय कर्मचारियों के श्रम- समर्पण -निष्ठा की प्रशंसा हो रही है, प्रशंसा की भी जानी चाहिए, जितनी प्रशंसा की जाएं उतनी कम। मुख्यमंत्री योगी ने सफाई कर्मियों का सम्मान कर सरकार की ओर से आभार व्यक्त किया। हम मानते हैं कि यह आभार की अभिव्यक्ति उन करोड़ों तीर्थयात्रियों की ओर से भी है जिनकी सेवा सफाई कर्मियों ने की। उन्होंने ने ही गंगा मां को स्वच्छ रखा जिससे पावन स्नान करने में तीर्थ यात्रियों को असुविधा नहीं हुई। उनका सत् – सत् अभिनन्दन।
उत्तर प्रदेश पुलिस एवं प्रशासन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। प्रतिदिन करोड़ों तीर्थयात्रियों को सुरक्षा और मार्गदर्शन देने का अदभुत कार्य पुलिस कर्मियों ने किया। बिना रूके, बिना थके, डेढ़ माह तक व्यवस्था बनायी रखी; सुरक्षा प्रदान की, मार्गदर्शन दिया, कठिनाई में सहायता की। इस सेवा कार्य को वास्तविक तपस्या माना जाना चाहिए। प्रत्येक यात्री से पुलिस कर्मियों की प्रशंसा ही सुनने को मिली। पुलिस ने अद्भुत सहनशीलता का परिचय दिया। प्रशंसनीय, प्रशंसनीय, प्रशंसनीय।
भारतीय हिन्दू संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है। जब पृथ्वी के अन्य भाग में अशिक्षित जंगली निवास करते थे तब भारत में वेद लिखे जा चुके थे। हिन्दू धर्म जीवंत धर्म है। यह आनंद और उत्सव का धर्म है। धार्मिक आयोजन उत्साह के साथ किये जाते हैं। नृत्य– संगीत, ईश्वरीय भक्ति – आराधना के अभिन्न अंग हैं। कुंभ जैसे आयोजन जीवंत हिन्दू आस्था का अनुपम प्रत्यक्षीकरण है। स्वार्थी तत्व कुछ भी कहें प्रत्येक हिन्दू गद् – गद् है, जो गया गया वह भी, जो न गया वह भी। जो न जा सके उन्होंने शुभ मुहूर्त में घर में उपलब्ध गंगाजल से स्नान किया। मान्यता हैं कि गंगाजल की एक बूंद जिस पानी में डाली जाए वह गंगाजल में परिवर्तित हो जाता है। प्रत्येक हिन्दू को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।