गुरू हमारे वैचारिक प्रवाह, चिंतन और मंथन को पवित्रता एवं नई दिशा प्रदान करते हैं–पं. शास्त्री

गुरू हमारे वैचारिक प्रवाह, चिंतन और मंथन को पवित्रता एवं नई दिशा प्रदान करते हैं–पं. शास्त्री

– वृंदावन के प्रख्यात भागवताचार्य पं. मनोज मोहन शास्त्री के शिष्यों ने माहेश्वरी मांगलिक भवन पर मनाया महोत्सव

इंदौर,  । भारतीय संस्कृति में गुरू का स्थान प्रारंभ से ही शीर्ष पर रहा है, लेकिन यह कलियुग का ही प्रभाव है कि अब गुरू शब्द का भी अवमूल्यन होने लगा है। अब गुरू शब्द के मायने और अर्थ बदल गए हैं। गुरू वास्तव में हमारे वैचारिक प्रवाह, चिंतन और मंथन को पवित्रता भी प्रदान करते हैं और जीवन को एक नई दिशा भी प्रदान करते हैं। चौराहे पर खड़े व्यक्ति को सही दिशा का बोध गुरू ही कराते हैं। गुरू के बिना जिनका जीवन शुरू हो गया है, जरूरी नहीं कि वे भी कोई दीक्षा या मंत्र ग्रहण करें और गुरू बनाएं, लेकिन जीवन में जो भी हमारे व्यक्तित्व और चरित्र को बनाते हैं, उनका योगदान भी किसी गुरू से कम नहीं होता।
ये दिव्य विचार हैं वृंदावन के प्रख्यात भागवताचार्य एवं पुराणाचार्य, डॉ. मनोज मोहन शास्त्री के, जो उन्होंने चिड़ियाघर के सामने, एबी रोड स्थित माहेश्वरी मांगलिक भवन पर उनके शिष्यों द्वारा आयोजित गुरू पूर्णिमा महोत्सव पर व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मातृशक्ति द्वारा ‘मेरी गुरू संग लागी प्रीत,. ये दुनिया क्या जाने’ भजन के साथ हुई। शहर के अनेक धार्मिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने लगभग 5 घंटे चले मेराथन पाद पूजन में शामिल होकर गुरू के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। आयोजन समिति की ओर से समाजसेवी रामदास गोयल मेंमदीवाले, संजय कुंजीलाल गोयल, मंडी अध्यक्ष संजय अग्रवालस, नरेश अग्रवाल, ओमप्रकाश भाया, शरद गोयल, अरविंद बागड़ी, ओमप्रकाश नरेड़ा, अमिताभ सिंघल, अनूप अग्रवाल, ललित अग्रवाल, राजेश कुंजीलाल गोयल आदि ने पाद पूजन में भाग लिया। कार्यक्रम के पश्चात नंदकिशोर कंदोई ने गुरू महिमा पर आधारित अनेक भजन सुनाए। सभी श्रद्धालु, समापन अवसर पर बालाजी मंदिर भी पहुंचे और भगवान बालाजी से समाज एवं शहर में सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना भी की। संचालन संजय कुंजीलाल गोयल ने किया और आभार माना ओमप्रकाश भाया ने।