भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार – प्रो. डी.के. शर्मा

बहुत सारे सपने संजोएं होंगे सब,ने आजादी मिलेगी तो सब ठीक होगा
न सोचा होगा किसी ने तब यह,चारों तरफ केवल भ्रष्टाचार होगा।

उपरोक्त पंक्तियों में 15 अगस्त 1947 की सुबह जो लोग रहे होंगें उनकी स्वतंत्र भारत में भावनाओं-आशा-अपेक्षाओं को अनुभव करने का प्रयास किया है। तब शायद जनमानस देश प्रेम की भावनाओं से अभिभूत रहा होगा; राजनीति करने वालों से ईमानदारी और निष्ठा से देशभक्ति करने की अपेक्षा रही होगी। जो रेकॉर्ड में उपलब्ध है उससे पता चलता है कि स्वतंत्र भारत में ईमानदारी की बयार (ठंडी हवा) बहुत समय तक देश में न बह सकी। धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट होने लगी। देश में पहले बड़े भ्रष्टाचार का आरोप पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों (1956-1964) पर लगा। जब नेहरू से उनकी शिकायत की गई तब नेहरू ने बड़ा बिंदास उत्तर दिया था। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार हुआ तो क्या, देश का धन देश में ही रहेगा। यहीं से भारत में भ्रष्टाचार की नाली बहने लगी और अधिक से अधिक लोग उसमें डूबकी लगाने लगे। अब तो भारत में मुख्यमंत्री गांयों का घांस भी खाने लगे हैं। सजा मिलने के बाद भी बेशर्मी से ईमानदारी और जनसेवा के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। शर्म से सिर भी नीचा नहीं करते। राजेन्द्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण का प्रदेश पूरी तरह भ्रष्टाचार में डुबा हुआ है। हमारे देशवासी बड़े भोले हैं – भ्रष्ट व्यक्ति की भी पूजा करते हैं। वे भावुक होकर वोट करते हैं। बहुत कम मतदाता बुद्धि का उपयोग कर वोट देते हैं।
कहां से प्रारंभ करें समझ नहीं आता – चारों तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार अपरम्पार। भ्रष्टाचार में बिहार की हमेशा बलिहारी रही है। पिछले कुछ दिनों में ही बिहार में नये बने कई पुल नदी में प्रवाहित हो गए। बड़े-बड़े खम्बे तिनके की तरह बह गए। ऐसे करिश्मे कई प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग कर चुके हैं। सभी जानते है कि कमीशन का प्रतिशत निर्धारित है। 100-200 साल चलने वाले पुल कुछ दिन भी नहीं चले, जबकि अंग्रेजों के जमाने में बने कई पुल पर से आज भी सैकड़ों रेलगाड़ियां तेज गति से निकल रही हैं। झोपड़ी से महल तक का सफर बिहार वाले आसानी से तय कर लेते हैं। नौकरी देने के नाम पर गरीबों की जमीनें हड़प ली। नीट भ्रष्टाचार के सरगना भी बिहार के ही हैं। पेपर आउट करने में भी बिहार माहिर है- नीट का नाश करने का गौरव भी बिहार को ही जाता है। भ्रष्टाचार के तार भी इतने लम्बे कि जांच एजेंसियां भी उनमें उलझकर रह जाती हैं। पेपर के पन्ने सरेआम जल रहे हैं किन्तु भारत के शिक्षामंत्री मानने को तैयार नहीं। पेपर आउट होना तो तब माना जाएगा जब सरकार मानेगी। लाखों विद्यार्थियों के रोने से क्या? कुछ मर भी गए तो सरकार अप्रभावित, दुःखी तो परिवार वाले।

शिक्षा जैसा पवित्र व्यवसाय भ्रष्टाचार का प्रमुख क्षैत्र बन गया है। शिक्षा का मीठा पानी खारे पानी में बदल गया है। वास्तव में देश के प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों में अभी भी भर्ती के लिए करोड़ों का खेल चल रहा है। मेडिकल में भर्ती के बाद भी कुछ सीटें खाली रह जाती है जिनकों भरने का अधिकार कॉलेजों को दे दिया जाता है। इसको मॉपअप रॉउंड कहते हैं। दो वर्ष पूर्व एक मेडिकल कॉलेज ने 50 अतिरिक्त सीट खाली दिखाई। इनमें भर्ती में भयंकर भ्रष्टाचार होता है, करोड़ों का खेल होता है। डॉक्टरी में प्रवेश घोटाले पर मध्य प्रदेश गर्व कर सकता है- व्यापमं अब सर्वत्र व्याप्त हो चुका है। व्यापमं के समय मध्य प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेज वाले जेल भी गए परन्तु सजा किसी को नहीं हुई। भ्रष्टाचार के हाथ बहुत लम्बे हैं, कुछ भी संभव है।

बंगाली बाबू भी क्यों पीछे रहने लगे? शिक्षामंत्री के घर से नोट के पहाड़ निकले हैं। ई.डी. थक गई परन्तु देश में भ्रष्टाचारी नहीं थके। पूरे देश में बेशर्म बेईमान भरे पड़े हैं। वर्तमान कानून भयंकर भ्रष्टाचारियों को सजा देने के लिए नाकाफी है। उन्हें सजा देने के लिए अलग ही कानून बनाया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर कई बार लिखा गया परन्तु भ्रष्टाचारियों के नये-नये कारनामें पुनः लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। उनसे लोगों को सीखना भी चाहिए; भ्रष्टाचारी अपनेआप को अपडेट करते ही रहते हैं भ्रष्टाचार के नये-नये क्षेत्र तलाश कर नये-नये तरीके का आविष्कार करते रहते हैं।

झारखंड क्यों पीछे रहने वाला – वहां के पूर्व मुख्यमंत्री जेल के सत्कार का मजा उठा रहे हैं। उनके पिता ने नरसिंह राव सरकार को बचाने के लिए बड़ी रकम ली थी। यह रेकॉर्ड में है। भारत में प्रमुख आर्थिक घोटालों की सूची बहुत लंबी है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार निम्न बड़े घोटालें देश में हुए हैं-

भारत के प्रमुख आर्थिक घोटाले-

·बोफोर्स घोटाला – 64 करोड़ रुपये (1987) कांग्रेस

·यूरिया घोटाला – 133 करोड़ रुपये (1996) कांग्रेस

·चारा घोटाला – 950 करोड़ रुपये (1996) आरजेडी

·शेयर बाजार घोटाला – 4000 करोड़ रुपये (1992)

·सत्यम घोटाला – 7000 करोड़ रुपये (2010)

·स्टैंप पेपर घोटाला – 43 हजार करोड़ रुपये (2003)

·कोयला खदान आवंटन घोटाला – 12 लाख करोड़ रुपये (2004-2009)

·कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला – 70 हजार करोड़ रुपये (2010) कांग्रेस

·2जी स्पेक्ट्रम घोटाला – 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये (2011) कांग्रेस

यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार पर किसी बड़े आर्थिक अपराध प्रमाणित नहीं हुए। राफेल खरीदी में लगे आरोप को सुप्रीमकोर्ट ने नकार दिया। किन्तु आजकल सीबीआई के अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं। वास्तव में भ्रष्टाचार एक चारित्रिक संकट है। कई व्यक्ति देश का धन लुटकर विदेश भाग गए। स्विस बैंक में बईमानी का अपार पैसा जमा है। अनधिकृत जानकारी के अनुसार भ्रष्ट राजनीति करने वालों, फिल्मवालों, व्यापारियों आदि का असीम पैसा वहां जमा है। दुनियाभर के भ्रष्ट लोग स्विस बैंक में अपना पैसा रखते हैं।

आरटीओ के बारे में बात करना ही तो बेमानी है। सभी जानते हैं कि आरटीओ एजेंट के द्वारा धन पहुंचता है। बिना पैसे दिए छोटे से छोटा काम भी नहीं होता। इस विभाग पर कहीं भी किसी भी सरकार ने कार्यवाही नहीं की। बिना राजनैतिक संरक्षण के इतना भ्रष्टाचार संभव नहीं। आरटीओ संबंधी काम करने वाले प्रायवेट ऐजेंट बताते हैं कि एक आरटीओ प्रतिदिन बहुत पैसा कमाते हैं। एक आरटीओ ने दलाली करने के लिए एक प्रायवेट व्यक्ति को ही रख लिया था कई शिकायते हुई, अखबारों में छपा परन्तु कुछ नहीं हुआ।

डॉक्टरों का व्यवसाय सेवा का पवित्र पेशा माना जाता है। इस व्यवसाय के बारे में कितना कहा जाए कम है। समाज के सभी वर्ग के लोग इसकी स्थिति जानते – भुगतते हैं। हमने ऐसे सिविल सर्जन देखे हैं जो अस्पताल के समय खुद के क्लिनीक पर प्रायवेट प्रैक्टीस करते हैं। सेंप्पल बेचना आम बात है। किसी गरीब को मुफ्त में एक भी नहीं देंगे। बेचारों के लिए पैसा कमाना बहुत जरूरी है क्योंकि अपने नाकाबिल बच्चों को भर्ती कराने के लिए करोड़ों देना है।

हमने भ्रष्टाचार की आंधी में ईमानदारी के अकेले दिये टिम-टिमाते भी देखे हैं। इनमें पुलिस – सेल्स टेक्स विभाग के अधिकारी भी है। किन्तु आज लोगों की मानसिकता हो गई कि कैसे भी काम हो, पैसा कितना भी लगे।

देश के जेल भ्रष्टाचार के भयंकर अड्डे हैं। देश के अधिकतर जेलों में भ्रष्टाचार का भयंकर राज चलता है। वहां पैसा खर्च करने पर कैदियों को सब सुविधाएं उपलब्ध हो जाती है। बड़े-बड़े गुंडे जेल से अपना राज चलाते हैं। वहां उन्हें सभी प्रतिबंधित सुविधा मिल जाती है। देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ भी कम बदनाम नहीं। एक चिटर ने वहां बैठकर एक महिला से 200 करोड़ रूपए हड़प लिये। वह जेल से बाहर जाकर अपनी प्रेमिका के साथ रंगरेलियां भी मना आया। सभी जानते हैं कि सभी जेलों में पैसा देकर कुछ भी पहुंचाया जा सकता है।
बड़े सेक्स स्कैंडल का श्रेय भी मध्य प्रदेश को जाता है। सच बात करें तो पूरे देश में ही सेक्स संबंधी अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। महिलाएं इसका प्रमुख टारगेट होती है, यद्यपि कई बार छोटे लड़कों का भी उत्पीड़न होता है। दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने कहा कि लापता बच्चों की समस्या पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है। ये बच्चे अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं। उन्हें बेच भी दिया जाता है या वेश्यावृत्ति और अन्य अवैध गतिविधियों में धकेल दिया जाता है।

भारत में एक दिन में औसतन 87 रेप की घटना होती हैं। राजधानी दिल्ली में एक दिन में 6 रेप के मामले सामने आते हैं। NCRB के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार पिछले सालों के मुकाबले रेप के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राजस्थान (6342), मध्यप्रदेश(2947), उत्तरप्रदेश (2845) के बाद दिल्ली(1252) में रेप की घटनाएं सबसे ज़्यादा होती हैं। वैसे पूरे भारत में यही हो रहा है। ऐसा दिन कभी ही होता है जब समाचार पत्र में रेप – अपहरण की घटना न दिखाई दे। रेप के बाद मर्डर भी आम हो गया है। लोग 1-2 वर्ष की बच्चियों को भी नहीं छोड़ रहे। अभी-अभी कर्नाटक की सियासत में एक सेक्स स्कैंडल ने भूचाल ला दिया है। यह मामला देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के परिवार से जुड़ा है। उनके बेटे एचडी रेवन्ना और पोते प्रज्जवल रेवन्ना पर आरोप लगा है कि उन्होंने सैकड़ों महिलाओं का शारीरिक शोषण किया।

इस अत्याचार को रोकने के लिए कई स्तर पर प्रयास करना आवश्यक है। सरकार, सामाजिक कार्यकर्ता, साधु-संतों सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। केवल स्वर्ग-नर्क की बात करना निरर्थक है।

जितना लिखा जाए उतना कम। केवल यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि न खाऊंगा न खाने दुंगा। एक व्यक्ति भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकता। वास्तव में देश चारित्रिक संकट की गिरफ्त में आ गया है। धन की लालसा ने लोगों को पागल कर दिया है। इसका इलाज केवल सरकार नहीं कर सकती। लोगों को अपनी आय में अपना काम चलाना सीखना पड़ेगा मेरे एक स्वर्गवासी आयकर अधिकारी ने कहा था कि मैं तो ईमानदार रह सकता हूं परन्तु परिवार नहीं रहने देता। बहुत सारे विभागों के बारे में नहीं लिखा गया परन्तु सभी की यही स्थिति है। आबकारी, आयकर केन्द्र सरकार के बहुत सारे विभाग सभी में भ्रष्टाचार का कैंसर व्याप्त है। भगवान सभी भ्रष्टाचारियों को सद्बुद्धि दे। वे स्वयं बंद करेंगे तभी भ्रष्टाचार बंद होगा। कुछ छापों से कुछ नहीं होने वाला। ईश्वर देश को बचाये। जो ईमानदार हैं उनको प्रणाम।