बाणेश्वरी कावड़ यात्रा 22 जुलाई से प्रारंभ होगी

 बाणेश्वरी कावड़ यात्रा 22 जुलाई से प्रारंभ होगी

रात्रि विश्राम वाले स्थानों पर भजन संध्या, पौधरोपण एवं रामायण पाठ– विधायक बनने के बाद गोलू शुक्ला की पहली कावड़ यात्रा

इंदौर,  । मालवांचल की सबसे बड़ी ‘बाणेश्वरी कावड़ यात्रा’ इस बार सोमवार 22 जुलाई से 29 जुलाई तक महेश्वर से महाकालेश्वर तक निकाली जाएगी। लगभग 180 किलोमीटर की इस दूरी को शहर के 3 हजार से अधिक श्रद्धालु महेश्वर से मां नर्मदा के दुग्धाभिषेक एवं चुनरी समर्पण के बाद पवित्र जल लेकर महाकालेश्वर पहुंचकर जलाभिषेक करेंगे। इस दौरान समूचे मार्ग पर करीब 11 हजार छाया एवं फलदार पौधे रोपने का संकल्प भी विधायक गोलू शुक्ला के नेतृत्व में लिया गया है। विधायक बनने के बाद गोलू शुक्ला के मार्गदर्शन में यह पहली कावड़ यात्रा होगी।
सांवेर रोड स्थित मौनी बाबा आश्रम पर शनिवार रात को आयोजित बैठक में यात्रा संयोजक गोलू शुक्ला ने उक्त कार्यक्रम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को मरीमाता चौराहे से बस द्वारा महेश्वर और वहां से 22 जुलाई को यात्रा का शुभारंभ होगा। बैठक में गजासीन शनि मंदिर के महामंडेलश्वर दादू महाराज, महामंडलेश्वर राधे-राधे बाबा, महामंडलेश्वर रामगोपाल दास महाराज, हंसदास मठ के पं. पवनदास महाराज भी मौजूद थे, जिन्होंने कावड़ यात्रा, पर्यावरण, कावड़ से जल चढ़ाने और बोले बाबा को जलाभिषेक का शास्त्रोक्त महत्व बताया। बैठक में मेयर इन कौंसिल के सदस्य मनीष शर्मा, सुमित मिश्रा, जगजीवन प्रजापत, बसंत यादव, नारायण चौहान, कमल शुक्ला, जीवन कश्यप ओम अवस्थी, क्षेत्र क्र. 3 के दिनेश वर्मा, अर्पित बक्षी के साथ क्षेत्र के पार्षद एवं मंडल अध्यक्ष भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पप्पू हार्डिया ने किया एवं आभार माना यात्रा प्रभारी दीपेन्द्रसिंह सोलंकी ने।
इस अवसर पर संतों ने कावड़ यात्रा की प्रचार सामग्री का बोल बम एवं हर-हर महादेव के उदघोष के बीच लोकार्पण भी किया। संयोजक गोलू शुक्ला ने बताया कि यात्रा के साथ चलने के लिए पंजीयन कराना आवश्यक होगा। इस बार भी यात्रा में अनेक चलित झांकियां, भजन मंडल एवं मार्ग में रोपने के लिए पौधे भी रहेंगे। पौधे रोपने के लिए उपयुक्त स्थान पर उनकी देखभाल और साज-संभाल की गुंजाईश देखकर ही जगह का चयन किया जाएगा। यात्रा 23 जुलाई को गुजरी से मानपुर, 24 जुलाई को मानपुर से महू, 25 जुलाई को महू से इंदौर में रात्रि विश्राम के बाद 26 को सुबह नगर भ्रमण करते हुए रेवती रेंज और 27 को रेवती रेंज से पंथपिपलई और वहां से 28 को रात्रि में उज्जैन पहुंचकर 29 की सुबह भगवान महाकालेश्वर के जलाभिषेक के साथ यात्रा का समापन होगा। यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम वाले स्थानों पर भजन संध्या, रामायण पाठ, पौधरोपण एवं अन्य रचनात्मक कार्यक्रम होंगे।