राम यदि वनवास पर नहीं जाते तो पूरे विश्व में वंदनीय और पूजनीय नहीं बन पाते –कृष्णानंद

 राम यदि वनवास पर नहीं जाते तो पूरे विश्व में वंदनीय और पूजनीय नहीं बन पाते –कृष्णानंद

गीता भवन में चल रही रामकथा का आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में हुआ समापन

इंदौर, । रामचरित मानस का हर प्रसंग अनुकरणीय और अद्वितीय है। वनवास काल में राम भगवान बनकर अयोध्या लौटे, अन्यथा वे केवल राजकुमार या राजा ही बने रहते। यदि भगवान राम को वनवास नहीं मिलता तो वे आज पूरे विश्व में वंदनीय और पूजनीय नहीं बन पाते। हनुमानजी मानस के ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व हैं, जो भक्त भी हैं और भगवान भी हैं। हनुमानजी के बिना रामजी अधूरे हैं और रामजी के बिना हनुमानजी। समाज और सत्ता को कुंभकर्णी नींद से जागृत एवं चैतन्य बनाने का काम रामकथा ही करती है। वनवासियों के बीच रहकर ही भगवान ने रामराज्य की आधारशिला रखी है।
ये दिव्य विचार हैं वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में उनकी सुशिष्या साध्वी कृष्णानंद के, जो उन्होंने गीता भवन सत्संग सभागृह में रविवार को रामकथा के समापन और राम राज्याभिषेक प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा का यह आयोजन गत 17 जून से रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट, गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट एवं गोयल परिवार की मेजबानी में ब्रह्मलीन मन्नालाल गोयल एवं मातुश्री स्व. श्रीमती चमेलीदेवी गोयल की पावन स्मृति में किया जा रहा था। रविवार को जैसे ही कथा में राम राज्याभिषेक का प्रसंग आया, समूचा सभागृह भगवान के जयघोष से गूंज उठा। बधाई गीत भी गूंजे और भक्तों ने नाचते-गाते हुए अपनी प्रसन्नता भी व्यक्त की। प्रारंभ में समाजसेवी प्रेमचंद –कनकलता गोयल एवं विजय-श्रीमती कृष्णा गोयल ने व्यासपीठ का पूजन किया।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि भगवान राम का परिवार हजारों वर्षों बाद भी भारत के आदर्श परिवार में माना जाता है, क्योंकि भगवान स्वयं का व्यक्तित्व तो निर्दोष है ही, सीताजी, लक्ष्मण, भरत और हनुमान भी अपने आप में विलक्षण व्यक्तित्व के धनी है। भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में ऐसा कोई राजा नहीं, जिसने राज सिंहासन पर खड़ाड़ू रखकर राज किया हो। आज के शासकों को भरत के इस चरित्र से प्रेरणा लेना चाहिए। हनुमानजी ने भी भक्त और भगवान के रूप में जो प्रतिष्ठा और विश्वास का अर्जन किया, वह आज भी सारे विश्व में वंदनीय एवं पूजनीय बना हुआ है।