भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन का तीसरा सत्र
एआई को एक यंत्र की तरह इस्तेमाल करें , नहीं तो यह हमारा मालिक बन जायेगा
इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन का अंतिम सत्र बहुत ही रोचक और जानकारीवर्धक रहा, क्योंकि इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गुण-दोषों पर विस्तार से चरकग हुई। यह एक ऐसा सत्र था जिसमें मीडियाकर्मियों सहित मीडिया के स्टूडेंट्स और शोधार्थी उपस्थित थे। “एआई सुविधा या मुसीबत” विषय पर हुए इस सत्र में डीआरडीओ के महानिदेशक उपेंद्र कुमार, टीवी पत्रकार एआई एक्सपर्ट सुनील प्रभाकर, श्रीधर राव, ज्योति मिश्रा, मुकेश कुमार, विजय त्रिवेदी ने बेबाकी के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए विचार रखे। मंच पर स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, रचना जौहरी, संजीव श्रीवास्तव मौजूद थे।
शुरुआत में टाइम्स नाउ की एंकर ज्योति मिश्रा ने कहा कि एआई मानव निर्मित ज्ञान है, इसका जो फायदा था वह हमने ले लिया, लेकिन अब इसका प्रभाव हमारी ज़िंदगी पर पड़ रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। नए -नए स्कैम हो रहे हैं और यह हमारी बुद्धि को भी ग्रहण लगा रहा है।
डीआरडीओ के महानिदेशक उपेंद्र कुमार ने
कहा कि एआई मानव मस्तिष्क की उपज है। इसके पास बहुत दिमाग है। यह प्रश्न भी है और उत्तर भी। यह साध्य भी है और साधन भी। यह मित्र भी है और शत्रु भी है। आने वाला समय ऐसा आयेगा कि इंसान को कुछ नहीं करना पड़ेगा, सब एआई करेगा। यह एक डॉक्टर है जो इंसान की 520 बीमारियों को बता देगा। एआई एक ऐसा घोड़ा है जो हमें तेजी से दौड़ाता है, लेकिन उस पर कंट्रोल जरूरी है। एआई हमें एक साथ खुशी, उत्तेजना चिंता, अवसाद भी देता है। दुनिया की जितनी जीडीपी है उसकी एक तिहाई राशि एआई पर खर्च हो रही है। इसका मतलब साफ है कि आज एआई के विकास, सुरक्षा और अनुसंधान पर काफी काम हो रहा है। उन्होंने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि एआई से हमें आगामी एक हजार या दस हजार वर्ष बाद क्या होगा उसकी भी तथ्यात्मक जानकारी देगा। एआई रोबोटिक सोल्ज़र बना रहा है, जो दुर्गम जगह पर जाकर हमारी सुरक्षा करेगा। उन्होंने कहा एआई को एक यंत्र की तरह करें यूज, नहीं तो यह हमारा मालिक बन जायेगा
सुदर्शन न्यूज़ के चैनल हेड मुकेश कुमार ने कहा कि आने वाले दिनों में जब एआई मनुष्य पर राज करने लगेगा, तब बहुत बुरी स्थिति होगी। अभी तो एआई केवल
नौकरियां खा रहा है या मानवीय रोजगार को खत्म कर रहा है। अभी तो किसी को मारने के लिए किसी इंसान को सुपारी दी जाती है लेकिन अब यह सुपारी हथियार को दी जा रही है। अब ट्रिगर इंसान के हाथ मे नहीं एआई के हाथ में होगा। वैसे एआई की शुरुआत शीतयुद्ध के समय से मानी जा सकती है, क्योंकि उस वक्त अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य सैनिकों से अधिक तकनीक से हो रहा था। एआई इतना शक्तिशाली है यह दुश्मन देश की मिसाइल को आकाश में उड़ते हुए ही खत्म कर देगा।
वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने कहा कि नैतिकता के लिए सबसे बड़ा संकट एआई है।हालांकि नैतिकता को चुनोतियाँ आज और भी विधाएं दे रही है। इसलिए हम सबको नैतिकता बची रहे इसकी कोशिश करना होगी।
वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर राव ने कहा कि एआई से आज भले ही नौकरियों को खतरा है लेकिन आने वाले वर्षो में इससे नये रोजगार सृजन होंगे। गूगल 1000 कंटेंट राइटर तलाश रहा है। आज जो एआई के स्टूडेंट है उनके लिए तो एआई कमाई का बेहतर जरिया होगा। जिनकी आवाज अच्छी है उनके लिए भी एआई फायदेमंद साबित होगा। आखिर एआई को भी एक अच्छी आवाज चाहिए। उन्होने आगे कहा कि एआई के कुछ नुकसान भी है क्योंकि यह मानवीय भावनाओ का तिरस्कार कर मानवीय संबंधों को भी खत्म कर देगा। कोच्चि से पधारे वरिष्ठ पत्रकार सुनील प्रभाकर एआई के विभिन्न तकनीकी पहलुओं को पॉवर पॉइंट के माध्यम से बताया कि एआई का इस्तेमाल सोच समझकर करें। यह एक दिन भस्मासुर साबित हो सकता है। अतिथि स्वागत राकेश द्विवेदी, जितेंद्र जाखेटिया, सोनाली यादव सन्दीप जोशी, शीतल रॉय, रचना जौहरी, आकाश चौकसे आदि ने किया। प्रतीक चिन्ह संदीप जोशी, मनीष काले, राजकुमार जैन ने प्रदान किये। कार्यक्रम का संचालन आलोक वाजपेयी ने किया।