रामकथा से तन को पुष्टि, मन को तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि मिलती है – साध्वी कृष्णानंद

रामकथा से तन को पुष्टि, मन को तुष्टि और
बुद्धि को दृष्टि मिलती है – साध्वी कृष्णानंद

गीता भवन में गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा आयोजित रामकथा में हुआ प्रभु श्रीराम का अवतरण

इंदौर,  । राम सनातन सत्य है। राम भारत भूमि के पर्याय हैं। राम ही हमारी पहली अभिव्यक्ति है। जिस नाम से चित्त में विश्रांति आती है उसका नाम राम ही हो सकता है। भगवान जब व्यापक होते हैं तो सारा संसार उनके वश में होता है। रामकथा से तन को पुष्टि, मन को तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि मिलती है। जहां रामकथा होती है, वहां भक्ति, प्रेम, आनंद, श्रद्धा, अनुरक्ति, पावन बुद्धि एवं समर्पण का पर्यावरण बन ही जाता है। राम और कृष्ण भारत भूमि की पहचान है। दुनिया में यदि कोई सर्वव्यापी नाम प्रतिष्ठा प्राप्त किए हुए है तो वह नाम राम का ही हो सकता है।
ये प्रेरक विचार हैं वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद की सुशिष्या साध्वी कृष्णानंद के, जो उन्होंने गीता भवन में रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट, गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट एवं गोयल परिवार की मेजबानी में गत 17 जून से चल रही राम कथा में श्रीराम राम जन्मोत्सव प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में प्रभु श्रीराम के अवतरण का जीवन प्रसंग धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान राम के अवतरण का प्रसंग आया, सभागृह में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। भगवान राम के जयघोष से समूचा सभागृह गूंज उठा। ब्रह्मलीन मन्नालाल गोयल एवं मातुश्री स्व. श्रीमती चमेलीदेवी गोयल की पावन स्मृति में आयोजित इस कथा में बड़ी संख्या में शहर के धार्मिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी पुण्य लाभ उठा रहे हैं। कथा प्रतिदिन दोपहर 4 से सांय 7 बजे तक गीता भवन सत्संग सभागृह में हो रही है। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद-ककनलता गोयल एवं विजय-कृष्णा गोयल ने व्यासपीठ एवं रामायणजी का पूजन किया।
साध्वी कृष्णानंद ने राम जन्म उत्सव प्रसंग के दौरान कहा कि भारत में मंदिर से लेकर खेत-खलिहानों, पगडंडियों से लेकर महानगरों तक यदि कोई शब्द बार-बार ध्वनित होता है तो वह है राम। रामकथा से बुद्धि शुद्ध होती है। रामकथा भी मंदाकिनी है। परमात्मा के आनंद की कृपा की एक बूंद भी त्रैलोक्य के सुख से भी महान है। राम ने वनवास के दौरान भी शोषित और दलित मानवता को गले लगाकर राम राज्य की आधारशिला खोज निकाली थी। रामकथा चित्त में परिवर्तन लाती है और चित्त में बदलाव आएगा तो चरित्र में भी आएगा ही। चित्त भगवान की कथा से जुड़ जाए तो संसार विस्मृत होगा ही, भले ही यहां तीन घंटे के लिए हो रहा हो। यह चलित परिवर्तन की कथा है। कथा के दौरान मनोहारी भजनों पर समूचा पांडाल पहले दिन से ही झूम रहा है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने अपने आशीर्वचन में सबके मंगल की कामना व्यक्त की।

विनोद गोयल, नगर प्रतिनिधि