400 पार से क्या खतरा ? – प्रो. डी.के. शर्मा

वर्तमान में देश की सरकार का चुनाव करने का महायज्ञ चल रहा है। कई दल, परिवार और व्यक्ति चुनावी दंगल में अपनी ताकत और भाग्य आजमा रहे हैं। आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगी हुई है। केन्द्र में सत्ता पाने की कोशिश में लोग वर्तमान सरकार पर एक बहुत गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि यदि मोदी सत्ता में आए तो मोदी संविधान में परिवर्तन करके डिक्टेटर बन जाएंगे और फिर कभी चुनाव नहीं होंगे। आरोप बहुत गंभीर है, इसलिए इस पर विचार करना आवश्यक है।
मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने। विदित ही है कि 2014 में पहली बार भाजपा को लोकसभा में स्पष्ट बहुत मिला यद्यपि भाजपा ने एनडीए के अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अटल जी ने भी एनडीए की सरकार का नेतृत्व किया था, किन्तु तब एनडीए का संख्या बल इतना नहीं था। 2019 के चुनाव में भाजपा और एनडीए दोनों का संख्या बल अच्छी मात्रा में बढ़ गया था।

अब मूल विषय की चर्चा करें। एनडीए विरोधी दलों का आरोप है कि यदि एनडीए की जीत हुई और मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश में प्रजातंत्र समाप्त कर देंगे। मोदी इसलिए ही 400 पार जाना चाहते हैं। पहले विश्लेषण आरोप लगाने वालों का; उनका जो देश के नागरिकों को डरा रहे हैं कि यदि मोदी 400 पार हो गए तो देश पर अधिनायकवाद लाद देंगे, प्रजातंत्र समाप्त हो जाएगा और फिर कभी चुनाव नहीं होंगे। संविधान ही बदल दिया जाएगा। राहुल गांधी, लालू यादव, अखिलेश यादव आदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखे हमले कर रहे हैं। नागरिकों को डराया जा रहा है। 2019 के चुनाव में बुरी तरह असफल होने के बाद भी कांग्रेस ही सबसे बड़ा विरोधी दल है। देश पर जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी ने लंबे समय तक राज किया। जब तक ये दोनों रहे कांग्रेस पार्टी भी उनकी इच्छानुसार ही चली। राज्यों पर भी अपनी मनमर्जी थोपने का पूरा प्रयास उन्होंने किया। इंदिरा गांधी ने बड़े खुले मन से संविधान की धारा 356 का उपयोग करके 51 बार राज्य सरकारों को हटाया, जवाहरलाल नेहरू ने 7 बार। एनडीए सरकार ने इसका उपयोग 10 बार अस्थाई रूप से किया। यह उपयोग केवल राज्य में संवैधानिक संकट उपस्थित होने पर किया गया, किसी सरकार को स्थायी रूप से हटाने के लिए नहीं। इसी कारण बंगाल जैसी अराजक सरकार भी चल रही है। ममता बनर्जी खुलेआम मुस्लिम तुष्टिकरण करके हिन्दुओं पर अत्याचार कर रही है। वहां की अराजक स्थिति सबको पता है। हमारा मानना है कि केन्द्र सरकार को धारा 356 का उपयोग करके ममता सरकार को हटा दिया जाना चाहिए था। बंगाल के मामले में मोदी सरकार असफल हुई है। संविधान के अनुसार राज्य में कानून व्यवस्था ठीक से चले इसकी जावबदारी केन्द्र सरकार की भी है। यदि राज्य असफल होता है, वहां अराजक स्थिति पैदा होती है या एक वर्ग विशेष को प्रताड़ित किया जाता है तो केन्द्र का ऐसी राज्य सरकार को हटाने का स्पष्ट उत्तरदायित्व बनता है। हमारे संविधान में संसद को अधिकार दिया गया है कि यदि राष्ट्रीय हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह राज्य के विषय को ग्रहण कर सकती है। केन्द्र राज्य सूची में सम्मिलित किसी भी विषय पर विधायी शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं। राष्ट्रपति को यह शक्ति दी गई है कि यदि उन्हें विश्वास हो जाए कि राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है तो वह राज्य की कार्यपालिका या विधायी शक्ति को संघ को प्रदान कर सकता है। संविधान में इस विषय में केन्द्र को असीमित अधिकार प्रदान किए हैं। मोदी सरकार ने इस प्रावधान का उपयोग इस उद्देश्य से एक बार भी नहीं किया। बंगाल में इसका उपयोग करना चाहिए था। बंगाल एक अराजक राज्य हो गया है और हिन्दुओं का बहुत उत्पीड़न हो रहा है। इस उदाहरण से स्पष्ट है कि मोदी प्रजातांत्रिक मान्यताओं का पूरा आदर करते हैं। उन पर विपक्ष का आरोप केवल भ्रम फैलाने के लिए। डिक्टेटर बनने की कोशिश तो इंदिरा गांधी ने की थी जिसे देश के नागरिकों ने असफल कर दिया। मोदी में इंदिरा जैसी कोई इच्छा दिखाई नहीं देती। मोदी पर आरोप निराश परिवारवादी राजनीति के चालाक खिलाड़ी लगा रहे हैं। वैसे भी भारत में गणतंत्र किसी न किसी रूप में प्राचीन काल में भी विद्यमान था। उस समय की राजव्यवस्था की सबसे विशिष्ट विशेषता यह थी कि राजशाही और गणतंत्र दोनों ही कल्याणकारी राज्य के आदर्श के रूप में कार्य करते थे। उनकी शासन प्रणाली में लोक शासन और कर उगाही के मामलों में धर्म यानि कर्तव्य के न्यायसम्मत आचरण के नियम का अनुपालन किया जाता था।

इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय में जिस तरह से देश के नागरिकों ने प्रजातंत्र की रक्षा की उससे प्रमाणित होता है कि भारत में प्रजातंत्र अमर रहेगा। यदि किसी ने फिर इंदिरा गांधी जैसा प्रयास किया तो उसका विरोध करने के लिए पूरा देश उठ खड़ा होगा। अतः यह कोरी कल्पना है कि 400 पार होने पर मोदी देश का संविधान बदल देंगे।