अन्नपूर्णा रोड स्थित देवेन्द्र नगर में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के आशीर्वचन
इंदौर, । भागवत ग्रंथ के स्वाध्याय और श्रवण से अंतरमन एवं बुद्धि का शुद्धिकरण होता है, लेकिन विडंबना है कि हम लोग इससे दूर होते जा रहे हैं। रामायण और भागवत जैसे धर्मग्रंथों के प्रकाश से पुरुषार्थ, ज्ञान, धर्म, अर्थ और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन को संवारना है तो हर घर में बाल्यकाल में रामायण, युवावस्था में महाभारत और वृद्धावस्था में भागवत का मनन और मंथन अवश्य होना चाहिए। भागवत के आयोजन को फैशन नहीं, अनुष्ठान बनाने की जरूरत है।
श्री श्रीविद्याधाम के आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के, जो उन्होंने देवेन्द्र नगर, अन्नपूर्णा रोड स्थित ‘पंचामृत सदन’ पर बैसाख माह के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय भागवत ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किए। कथा के शुभारंभ पर समाजसेवी देवकीनंदन सिंघानिया, फतेहपुरिया समाज के मंत्री धीरज गर्ग, अग्रसेन सोशल ग्रुप के शिव जिंदल, प्रो. हरिशंकर पाराशर, ललित मेहता, कृष्णकांत मेहता, श्रीमती शशि नीखरा, सरोजलता मेहता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। अतिथियों का स्वागत श्रीमती निर्मला गुप्ता, मंजू गुप्ता, संगीता पाराशर, मयंक गुप्ता, नीलेश गुप्ता, सी.ए. रीतेश गुप्ता ने किया। कथा में आज भी मनोहारी भजनों पर भक्तों ने पूरे उत्साह से नृत्य किए।
संयोजक मयंक गुप्ता एवं सी.ए. रितेश गुप्ता ने बताया कि 2 मई को कृष्ण जन्मोत्सव, 3 को छप्पन भोग एवं गोवर्धन पूजा, 4 को रुक्मणी विवाह तथा 5 मई को सुदामा चरित्र की कथा के साथ समापन होगा।

आचार्य पं. शास्त्री ने कहा कि भागवत स्वयं भगवान की वाणी है। यह ज्ञान का प्रसाद है, जो हमें स्वयं भगवान के श्रीमुख से मिल रहा है। हमारे जीवन में जितनी भौतिकता बढ़ेगी, बुद्धि भी वेदोंका विभाजन करने लगेगी। भागवत के श्रवण हेतु स्वर्गलोक में देवता भी तरसते हैं, लेकिन हम पर भगवान की महती कृपा है कि हमें यहां घर बैठे भागवत के संदेश और उपदेश श्रवण करने को मिल रहे हैं। संतों की कृपा और भगवान की करूणा के बिना सत्संग संभव नहीं है। सत्संग ही मनुष्य के जीवन की दशा और दिशा बदल सकते हैं।


