अन्नपूर्णा रोड स्थित देवेन्द्र नगर में शोभायात्रा के साथ हुआ भागवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ
इंदौर, । संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जिसने कभी कोई दुख नहीं भोगा हो। दुनिया के सारे वेद और शास्त्र तराजू के एक पलड़े में रखें और दूसरे में भागवत रखें तो भागवत का ही पलड़ा हमेशा भारी रहेगा। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जिसे आप चाहे जितनी बार सुने, हर बार नूतन अनुभूति प्रदान करता है। यही कारण है कि बार-बार श्रवण के बाद भी इस पुण्य धरा पर भागवत का प्रवाह कभी थमता नहीं है। कल्प वृक्ष के नीचे जाने पर आपकी लौकिक कामनाएं तो पूरी हो सकती हैं, लेकिन भागवत एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसे आपने यदि भूले से भी श्रवण कर लिया तो आपके सारे शुभ संकल्प साकार हो उठेंगे।
श्री श्रीविद्याधाम के आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री ने आज देवेन्द्र नगर, अन्नपूर्णा रोड स्थित ‘पंचामृत सदन’ पर बैसाख माह और सीता नवमीं के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ सत्र में उक्त दिव्य बातें कहीं। कथा का शुभारंभ चाणक्यपुरी चौराहा स्थित हनुमान मंदिर से भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। मार्ग में अनेक स्थानों पर पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत एवं भागवत का पूजन किया गया। कथा व्यास पं. राहुल कृष्ण शास्त्री एक खुली बग्घी में सवार थे। कथा स्थल पहुंचने पर से.नि. प्राचार्य दामोदर गुप्ता, संयोजक मयंक गुप्ता, नीलेश गुप्ता, अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष किशोर गोयल, चित्तौड़ा महाजन समाज के अध्यक्ष राजेन्द्र महाजन, सीए महेन्द्र हेतावल, प्रवीण कश्यप, हेमंत हेतावल, अग्रसेन सोशल ग्रुप के शिव जिंदल, विनोद गोयल, गिरीश गुप्ता, सी.ए. रीतेश गुप्ता, वीणा शर्मा, भारती दुबे आदि ने व्यास पीठ का पूजन किया। कथा के साथ पं. अभिषेक जोशी एवं पं. राघव शर्मा भागवत का पारायण भी कर रहे हैं।
कथा के बाद भक्तों ने आचार्य पं. शास्त्री के आव्हान पर प्रतिदिन गीता-भागवत या किसी अन्य सनातन धर्मग्रंथ के एक श्लोक का पाठ करने का संकल्प व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत चंद्रप्रकाश गुप्ता, निर्मला गुप्ता, कृष्णकांत मेहता, श्रीमती शशि नीखरा, श्रीमती आध्या गुप्ता आदि ने किया। देवेन्द्र नगर में यह संगीतमय कथा 5 मई तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी।
आचार्य पं. शास्त्री ने कहा कि श्रीमद भागवत बिना किसी भेदभाव के मानव मात्र को हर तरह के भय से मुक्त बनाती है। भागवत की कथा उस गहरे समुंदर की तरह है, जिसमें आप जितना गहरा उतरेंगे, उतने अधिक मोती प्राप्त करेंगे। यह सामान्य व्यक्ति से लेकर परमहंसों तक के लिए अपने जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने का महासागर है। हमारा विश्वास और श्रद्धा तभी प्रगाड़ होंगे, जब हम अज्ञान रूपी अंधकार से मुक्त होकर जीवन में उठने वाले तमाम संशयों का समाधान प्राप्त करने के ईमानदार प्रयास करेंगे।


