मैथिल समाज के लोग कल मनाएंगे मैथिल नव वर्ष `जुड़ शीतल’।

आज मनाएंगे सतुआइन ।

*इंदौर।* शहर के मैथिल समाज के लोग शनिवार (15 अप्रैल) को मनाएंगे मैथिल नव वर्ष `जुड़ शीतल’। पर्व के पहले दिन 14 अप्रैल शुक्रवार को सतुआइन मनाया जाएगा। जुड़ शीतल त्योहार मैथिल परिवार की महिलाएं एक दिन पूर्व संध्या या रात्रि में यानि सतुआइन के दिन बडि-भात, सहिजन की सब्जी, आम की चटनी बनाती है। इसके बाद जुड़ शीतल के दिन स्नान करके अपने कुल देवता को बासी बडी चावल, दही, आम की चटनी अर्पण करते है और उपरान्त इनसे चूल्हे का पूजन किया जाता। साथ ही सारे दुखों से छूटकारा व परिवार में शीतलता बनाए रखने की ईश्वर से प्रार्थना करतीहैं । इसके बाद सभी परिवार के सदस्य मिलकर प्रसाद पाते हैं ।

शहर के मैथिल समाज के वरिष्ठ श्री के के झा के अनुसार, जुड़शीतल के दिन घर के बड़े बुजुर्ग अपने से छोटे उम्र के सदस्यों के माथे पर बासी जल डाल कर `जुड़ायल रहु’ (उन्हें शीतल रहने तथा फैलने फूलने का) आशीर्वाद देते हैं। इस दिन दिन भर चूल्हा नहीं जलाकर उसे ठंडा रखा जाता है और बासी बने भोजन से चूल्हा का पूजन किया जाता है।
जुड़ शीतल पर्व से एक दिन पूर्व शुक्रवार को मैथिल समाज में सतुआइन मनाया जाएगा जिसके अंतर्गत मैथिल परिवारों में चने से बने सत्तू कुल देवता को अर्पण करने के उपरान्त परिवार के सभी सदस्य मिलकर सत्तू का सेवन करेंगे। जुड़ शीतल के दिन घर के दरवाजे एवं आंगन में बासी जल का छिड़काव करेंगे । जुड़ शीतल के दिन मिथिला में एक दूसरे को कीचड़ लगाने की प्रथा है। मान्यता है कि कीचड़ लगाने से ग्रीष्म ऋतू में शीतलता बनी रहती है।
श्री झा ने कहा कि शहर में हज़ारों की संख्या में मिथिला के लोग निवासरत हैं जो अपने समाज के त्यौहार, परम्पराओं पूर्ण श्रद्धा के साथ मानते हैं।

*जुड़ शीतल का मतलब है शीतलता की प्राप्ति।*

जुड़ शीतल का मतलब है शीतलता की प्राप्ति। जिस प्रकार मिथिला के लोग छठ मेम सूर्य और चौरचन में चन्द्रमा की पूजा करते हैं, उसी प्रकार जुड़ शीतल में मैथी समाज जल की पूजा करता है और शीतलता की कामना करता है। दो दिनों के इस पर्व में एक दूसरे के लिए जीवन भर शीतलता की कामना की जाती है।