पानी अमृत भी, जहर भी, जागरूक होकर पानी पर रखना होगी दृष्टि……

धर्मेंद्र श्रीवास्तव
हमारा पानी,
तालाब का पानी,
कुएं का पानी,
नदी का पानी,
नलकूप का पानी,
बड़े-बड़े बांधों का,
पानी……….
आज समय है, पानी को लेकर सामुदायिक दृष्टि बनाने का,
पानी को लेकर एक साथ संगठित होकर आगे आने का,
घर – घर गांव – गांव पानी को लेकर संवाद करने का,
आज से लगभग 5 वर्ष पूर्व पानी को लेकर,
घर घर नलो के माध्यम से,
पेयजल पहुंचाने को लेकर अथक प्रयास आरंभ हुए थे,
और आज 2023 पर दृष्टि डालें तो कहीं ना कहीं देशभर में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक यह प्रयास सार्थक होते दृष्टि गोचर हो रहे हैं,
साफ स्वच्छ शुद्ध पेयजल हम तक पहुंचाने का सरकार के सार्थक प्रयास जमीनी स्तर पर प्रगति रत होकर जल जीवन मिशन की पूर्णता के प्रमाण भी दिखाई दे रहे हैं,
किंतु फिर भी एक प्रश्न है,
जो यक्ष प्रश्न इसी तरह हम सभी के सामने खड़ा है…………….
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) अपनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट में देशभर में 279 नदियों के किनारे,
311, क्षेत्रों की पहचान की है,
जिसमें महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा,
52 रिवर स्ट्रेच है,
यह अध्ययन नदी के पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन था,
और पानी की भूमिगत गुणवत्ता को दर्शाता है,
भूमि के इन हिस्सों में बायोकेमिकल बीओडी मानक स्तर से ज्यादा पाया गया है,
जो पानी को बहुत जहरीला बना रही है,
एक बार जब ऐसा हो जाता है,
तो इन जगहों को प्रायोगिक रूप से साफ और स्वच्छ करना असंभव है,
रिपोर्ट के अनुसार 13 से अत्यधिक राज्य जिसमें मुख्य रुप से बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल एवं झारखंड में नदी के किनारों में प्रदूषण अत्यधिक बड़ा है,
जो समूचे क्षेत्र के लिए चिंताजनक होकर मानव जाति के लिए घातक है,
अब समय आ गया है,
कि हमें पानी को लेकर सजग और जागरूक होना होगा,
हमें घर परिवार समाज ग्राम नगर सभी जगह एकजुट होकर पानी के साफ और स्वच्छ होने के लिए किन किन उपायों पर नजर रखकर कार्य किया जा सकता है,
उस पर विचार करना होगा,
नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब सारे जल स्रोत प्रदूषित होकर उनका पानी हमारे पीने योग्य नहीं रहेगा,
पानी तो होगा किंतु फिर भी मानव जाति प्यासी रहकर मर जाएगी,
इसका मूल उपाय है,
हमें जागरूक होकर जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाना है………
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में…….
पानी प्रदूषित कैसे होता है?????
सबसे पहले इसे समझते हैं…..
कृषि भूमि पर की जाने वाली खेती और उपज जिसमें फसलों पर छिड़का जाने वाला कीटनाशक सबसे ज्यादा पानी को प्रदूषित करता है,
जब कृषक अपनी फसलों को कीटनाशकों से बचाने के लिए जहरीले कीटनाशकों का उपयोग करते हैं,
तो वह कीटनाशक पौधों के साथ-साथ मिट्टी पर भी गिर जाता है,
और वह मिट्टी के साथ-साथ वर्षा काल में पानी के साथ मिलकर जल स्रोतों में पहुंच जाता है, और पानी में मिलकर नाइट्रेट नामक रसायन के रूप में पानी के साथ घुलनशील होकर पानी को जहरीला बना देता है,
इस पानी को सेवन करने वाली धात्री माताओं के स्तनपान करने वाले बच्चों को अत्यधिक शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचता है,
स्तनपान करने वाले बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है,
ग्रामीण जनों ने अत्यधिक बीमारियां मौसम परिवर्तन के समय ही होती है,
जिसमें अत्यधिक बीमारियां वर्षा काल के दौरान फैलती है,
सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी वर्षा काल के दौरान ही होता है,
इसलिए मानक स्तर पर शासन की योजनाओं के माध्यम से जो पानी नलों के माध्यम से हम तक पहुंचता है,
वह शुद्ध रहता है,
वही 70% लोगों का मानना है, कि ट्यूबवेल का पानी शुद्ध होता है,
किंतु इसमें गारंटी नहीं है,
क्योंकि वर्षा काल का पानी जमीन में पहुंचता है,
और ट्यूबवेल के माध्यम से वापस ऊपर आता है,
इसमें हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि,
नलकूप के आसपास की स्थिति क्या है,
नालियों का गंदा पानी तो उसमें नहीं मिल रहा है,
उसके आसपास पशुओं को स्नान तो नहीं करवाया जा रहा है,
कोई गंदा नाला तो उसके पास से नहीं गुजर रहा है,
उसके आसपास गांव के लोग मल त्याग तो नहीं कर रहे हैं,
ऐसे और कई कारणों को जानकर उनमें सुधार कर जागरूक होकर सभी को जागरूक कर कर हम अपने पानी को साफ और स्वच्छ रख सकते हैं!
पानी अमृत भी जहर भी………