चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य – सरकार*

परंपरागत भारतीय ज्ञान व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना जरूरी

इंदौर। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने कहा है कि परंपरागत भारतीय ज्ञान व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना जरूरी है । सरकार के द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति का उद्देश्य चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण करना है । हमें भारत को विश्व गुरु के पद पर एक बार फिर पद आसीन करना है ।
सरकार आज यहां देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागार में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम का शुभारंभ कर रहे थे । उन्होंने कहा कि हमारा अतीत बहुत गौरवशाली है । आज जिस देवी अहिल्या की नगरी में हम बैठकर नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर चिंतन कर रहे हैं, उन देवी अहिल्या ने अपने जीवन काल में अयोध्या, सोमनाथ, काशी सहित कई शहरों में धर्मशालाएं और मंदिर का निर्माण किया । हमारा अतीत गौरव से भरा हुआ है । योग और आयुर्वेद हमारे पास एक बड़ी संपत्ति के रूप में मौजूद थे । तक्षशिला और नालंदा सहित कई ऐसे शिक्षालय थे , जिन्होंने चाणक्य, आर्य सहित कई बेहतर विद्यार्थी इस राष्ट्र को राष्ट्र सेवा के लिए दिए । पुरातन काल में जब विज्ञान अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहा था उस समय पर भी हमारे पास में हर बीमारी के इलाज की व्यवस्था मौजूद थी । नई शिक्षा नीति मैं एक तरफ जहां फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम को विस्तार दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ हमारी जिम्मेदार सांस्कृतिक विरासत को संभालने और उसे नई पीढ़ी को सौंपने का भी प्रयास किया गया है ।
डॉ सरकार ने कहा कि परंपरागत भारतीय ज्ञान व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना जरूरी है। विज्ञान को जानने वालों को यह अच्छी तरह मालूम है कि पूरी दुनिया को जीरो का ज्ञान हमारे भारत के आर्य ने ही दिया था । अब जो 21वीं सदी है वह ज्ञान की सदी है । इस सदी में चुनौती है और इस चुनौती को ही हमें अवसर के रूप में तब्दील करना है । हमारे देश की नई शिक्षा नीति चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करती है । इस शिक्षा नीति में प्रतिभा के विकास के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद हैं । भारत एक लंबे अरसे तक पूरे विश्व का नेतृत्व कर्ता रहा है । एक बार फिर हमें अपने स्टार्टअप, अपने नवाचार , अपनी बेहतर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं की पौध तैयार करना है जो इस विश्व को नेतृत्व देने के लिए भारत की ताकत बन सकें । इस समय एक तरफ हम नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की राह को तय कर रहे हैं और दूसरी तरफ भारत को जी 20 की अध्यक्षता सौंपी गई है । ऐसे में अब हमें अंतराष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण, संतोषजनक और उद्देश्य पूर्ण जीवन देने वाली शिक्षा की व्यवस्था को आकार देना होगा ।

*नई शिक्षा नीति में लचीलापन स्वतंत्रता व चयन की छूट*

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो जगदीश कुमार ने कहा कि समाज में परिवर्तन के आधार विद्यार्थी ही बनेंगे । ऐसे में विद्यार्थियों को यह बताना होगा कि वह क्या कर रहे हैं और उन्हें क्या करना चाहिए ? इस समय पूरी दुनिया के सामने अर्थव्यवस्था और पर्यावरण की चुनौती है । पिछले 8 वर्षों में भारत में अधोसंरचना के विकास में अभूतपूर्व काम करके दिखाया है । अब भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है । उन्होंने कहा कि इस समय देश में 88000 स्टार्टअप कार्यरत हैं । यह गौरव का विषय है कि इसमें से आधे स्टार्टअप महिलाओं के हैं और उनके द्वारा संचालित हैं । हमें उच्च शिक्षा की व्यवस्था में आमूलचूल सुधार करना होगा । विद्यार्थियों को आजादी, सुविधा और विकल्प देना होंगे । हमें सकारात्मक व नवाचार वाली सोच को स्वीकारना होगा । पिछले 2 वर्षों में नई शिक्षा नीति के आने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा बहुत सारे सुधार किए गए हैं । उन्होंने कहा कि जब सुधार की बात आती है तो सीधे सबसे पहले फंड की बात आती है । बहुत सारे कार्य ऐसे हैं जो कि सुधार में आते हैं लेकिन फंड के बगैर किए जा सकते हैं । अच्छा शोध कार्य करने के लिए अच्छी अधोसंरचना और फंड चाहिए होता है । विश्व में ऐसे बहुत सारे संगठन है जो कि शोध के कार्यों के लिए पैसा उपलब्ध कराते हैं लेकिन आवश्यकता इस बात की होती है कि एक सफल प्रोजेक्ट की रिपोर्ट तैयार की जाएं । ताकि उस पर फंड मिल सके । इसके लिए यूजीसी के द्वारा देश के सभी विश्वविद्यालयों में एक अलग सेल बनाया जा रहा है । इस सेल के माध्यम से विश्वविद्यालयों के फैकल्टी को यह समझाया जाएगा कि उन्हें रिसर्च के लिए फंड प्राप्त करने हेतु रिपोर्ट किस तरह से बनाना चाहिए । उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत विकसित देश की श्रेणी में आएं और हर भारतीय को अपने देश पर गर्व हो । प्रधानमंत्री के इस सपने को पूरा करने का कार्य नई शिक्षा नीति के माध्यम से किया जा रहा है ।

*नई शिक्षा नीति को आकार देने का रास्ता निकालेंगे*

विद्या भारती उच्च शिक्षा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि देश के बेहतर भविष्य के लिए संस्कारित विद्यार्थी होना आवश्यक है । हमारे देश की शिक्षा की व्यवस्था का उद्देश्य खो गया था । जब हमारे देश पर ब्रिटिश राज्य करते थे तो उन्होंने शिक्षा की व्यवस्था को पूरी तरह बिगाड़ दिया । इसके बाद शिक्षा नीति दो बार बनाई गई लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया । वर्ष 1986 में शिक्षा के समक्ष आने वाली चुनौतियों को लेकर सरकार के द्वारा एक कमेटी बनाई गई थी । इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया था कि हमारे देश की शिक्षा नीति दिशाहीन है । इस शिक्षा के लिए निवेश प्राप्त नहीं हो पा रहा है और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण हम नहीं कर पा रहे हैं । इसके पूर्व कोठारी आयोग के द्वारा अपनी रिपोर्ट में सरकार के समक्ष यह कहा गया था कि जीडीपी का 6% शिक्षा के लिए खर्च किया जाना चाहिए जो कि आज तक नहीं हो सका है । नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत से राज्य यह दावा करने से नहीं चूकते हैं कि हमने नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया है । इस शिक्षा नीति को लागू कर देने का मतलब क्या है ? आपने क्या किया है और आपको क्या करना है ? शिक्षा को हमें मिलजुल कर आकार देना होगा । देश के 1000 विश्वविद्यालय से जुड़े 40000 कॉलेज में विद्यार्थियों को दिशा देने वाले सभी व्यक्ति यहां आज इस आयोजन में मौजूद हैं । यह सभी मिलकर विचार-विमर्श कर वह रास्ता निकालेंगे जिसके माध्यम से हम नई शिक्षा नीति को आकार देकर उसके लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे ।

*यह अमृत मंथन का दौर है*

इस मौके पर मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि वर्तमान में चल रहा दौर अमृत मंथन का दौर है । अमृत मंथन में किए जाने वाले मंथन से विष और अमृत दोनों निकलता है । नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद में अचानक ही कोरोना वायरस के संक्रमण का दौर आ गया । यह एक ऐसा दौर था जब नई शिक्षा नीति आकार लेने की तरफ आगे बढ़ती लेकिन उस दौर में जनरल प्रमोशन दिए जाने की बात होने लगी । हम लोगों ने तय किया कि हम किसी भी कक्षा को जनरल प्रमोशन नहीं देंगे । चाहे ऑनलाइन परीक्षा लेंगे लेकिन परीक्षा लेकर ही अगली क्लास में भेजेंगे । किसी भी समस्या के समाधान के लिए संवाद की जरूरत पड़ती है । जब सभी मिलकर एक साथ चर्चा करते हैं तो हर समस्या का समाधान निकल कर सामने आता है । गुणात्मक शिक्षा के लिए यह आवश्यक है कि समीस्टर शिक्षा प्रणाली को लागू किया जाएं । अभी कुछ जल्दबाजी और कुछ विरोध के स्वर के चलते हुए हम सेमीस्टर शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह लागू नहीं कर पाए हैं लेकिन आने वाले 1 से 2 वर्ष के अंदर हम पूरी उच्च शिक्षा की व्यवस्था को सेमिस्टर पर आधारित कर देंगे । हमारे देश में ऐसे शिक्षा संस्थानों की जरूरत है जो कि विद्यार्थियों को कर्म की भी शिक्षा दे सकें ।

*राष्ट्र का विकास शिक्षा पर निर्भर*
इस कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ रेणु जैन ने कहा कि राष्ट्र का विकास शिक्षा पर निर्भर है । शिक्षा के माध्यम से हमें हर व्यक्ति मैं मनुष्यता के भाव को जगाना होगा । नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से 21 वी सदी की विश्व की जरूरतों की पूर्ति करने की कोशिश की जा रही है । हमें शिक्षा को ज्ञान पर आधारित बनाना होगा और समाज को उससे जोड़ना होगा । भारत एक लंबे काल तक विश्व गुरु रहा है । हमें अपने देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाना होगा । इस नीति का उद्देश्य यही है कि भारत विश्व का नेतृत्व करें । विचार मंथन से हम शिक्षा नीति की समस्याओं का समाधान करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं ।

*पूरे देश से आए एक हजार प्रतिनिधि*

जानकारी देते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेनू जैन एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि रंजन अकेला ने बताया कि अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम में भाग लेने के लिए पूरे देश से 1000 प्रतिनिधि इंदौर पहुंचे हैं । इसमें 40 विश्वविद्यालयों के कुलपति कई विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों के संचालक प्राचार्य और शिक्षा भी शामिल है । इसके साथ ही मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग निजी विनियामक आयोग मध्य प्रदेश ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एसोसिएशन इस आयोजन में शामिल है । इस आयोजन में दिनभर आयोजित किए गए । चर्चा के सत्र और तकनीकी सत्र के दौरान नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया । इस शिक्षा नीति को किस तरह से की राह में आगे बढ़ाया जाए उस पर सभी ने अपने विचार रखें ।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत किया गया । इसमें सरकार का स्वागत कुलपति डॉ रेनू जैन और कार्य परिषद सदस्य विश्वास व्यास ने किया । प्रोफेसर जगदीश कुमार का स्वागत प्रोफ़ेसर आशुतोष मिश्रा और मोनिका गौर ने किया । प्रोफ़ेसर कैलाश चंद्र शर्मा का स्वागत बीके त्रिपाठी और सुरेश सिलावट ने किया । मोहन यादव का स्वागत अजय वर्मा और आनंत पवार ने किया । डॉ भरत शरण सिंह का स्वागत संगीता जैन और डॉ अभय कुमार ने किया । डॉक्टर नरेंद्र तनेजा का स्वागत सुनीता जोशी और डॉ रत्नेश गुप्ता ने किया । रेनू जैन का स्वागत चंदन गुप्ता डॉ सुमन कटियार ने किया ।

विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के एन रघुनंदन एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा शशि रंजन अकेला विशेष रूप से उपस्थित थे ।