इंदौर । मनुष्य जैसा सुंदर जीवन किसी का नहीं है कर्मों के दुःख मनुष्य ही भोगता है और सुख भी। परमात्मा कहते हैं बहुत मेहनत और श्रम करने के बाद भी जिसका गुजारा नहीं होता वह मांग कर पूरा करता है वह कर्मों के मारे हैं। वह अपने कर्म भोग रहे हैं, देने वाला दातार पिछले अच्छे कर्मों की वजह से दातार है,वह दे रहा है, बॉट रहा है, और मांगने वाला मांग रहा है,
वह पिछले कर्मों को चुका रहा है, यह प्रेरक प्रवचन पर्यूषण पर्व के छठे दिन महावीर भवन कि धर्म सभा में प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी म सा ने व्यक्त किए।
जो रूप से बंधता है दुखी होता है, रूप के आकर्षण में मोहित होता है, बाद में रोता है, पर्युषण पर्व के दिनों में गुणों को देखो, हम अपनी दृष्टि को निर्मल करें, हम गुणग्राही बने, धर्म तो शुद्ध है निर्मल हैं, हमारी प्रवृत्ति ने बदनाम किया है आप अपने पुण्यो का दुरुपयोग कर रहे हैं, जो पुण्य का दुरुपयोग करेगा, वह नरक में जाएगा।
अंतगढ़ सूत्र का अर्थ महासती रमणिक कंवर जी रंजन महाराज साहब ने फरमाया। आपने कहा कि परमात्मा की वाणी को जीवन में आत्मसात करो यह जीवन बार-बार मिलने वाला नहीं है
सभा का संचालन प्रकाश भटेवरा ने किया आभार महामंत्री रमेश भंडारी ने व्यक्त किया