दुनिया की बहुत खतरनाक स्थिति है। कई देशों में युद्ध की विनाश लीला चल रही है। चौथे वर्ष में चल रहा युक्रेन युद्ध युरोप को भी विनाश की ओर ले जा सकता है। रूस की पड़ौसी देशों को हड़पने की नीति युद्ध को समाप्त ही नहीं होने देती। रूस स्वयं भी बहुत हानि उठा चुका किन्तु युद्ध विराम के लिए तैयार नहीं। इस्लॉमिक आतंकवाद से परेशान इजराइल आतंकी संगठनों और ईरान के विरुद्ध युद्ध लड़ रहा है। इस युद्ध के लिए ईरान और उसके द्वारा बनाये आतंकी संगठन हमास, हिजबुल्ला, हुती उत्तरदायी हैं। एक करोड़ से भी कम आबादी वाले छोटे देश इजराइल पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। ईरान खुलेआम कहता है कि इजराइल मुस्लिम देश नहीं है इसलिए उसे बने रहने का अधिकार नहीं। इजराइल को नष्ट करने के उद्देश्य से ही ईरान एटमबम बना रहा है। अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए ही इजराइल इरान और उसके आतंकी संगठनों से युद्ध लड़ रहा है। चीन अपने विस्तारवादी नीति से आस-पास के छोटे देशों की जमीन हड़ लेना चाहता है। जवाहरलाल नेहरू के समय भारत की 80,000 कि.मी. भूमि चीन हड़प चुका है और अभी भी सीमा विवाद चलाता ही रहता है। खबर तो यहां तक आ रही है कि चीन रूस की भी जमीन हड़पना चाहता है। इस कारण रूस और चीन के बीच अंदर ही अंदर तनातनी चल रही है। एटमबम वाला उत्तरी कोरिया अमेरिका को भी धमकी देता रहता है। सीरिया संकट कई वर्षों से चल रहा है। पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंक फैलाता है। बंगलादेश भारत के लिए नया संकट बन गया है। यह संक्षिप्त विवरण स्पष्ट करता है कि विश्व पर भारी संकट है और पागल शासक कभी भी दुनिया को विश्व युद्ध की आग में झौक सकते हैं। समस्या है विश्व युद्ध को रोकना और वर्तमान में चल रहे युद्ध को रूकवाना।
दुनिया में समस्याएं अनेक हैं। कई देशों के बीच किसी न किसी कारण विवाद और मतभेद है जिनका समाधान निकालना बहुत कठिन हो रहा है। दुर्भाग्य से इन समस्याओं का समाधान युद्ध द्वारा निकालने का प्रयास हो रहा है। यह सोचना गलत है कि युद्ध किसी समस्या का हल निकाल सकता है। युद्ध तो समस्याएं पैदा करते हैं, समाधान नहीं निकालते। युद्ध केवल विभाजन और विनाश करते हैं। वर्तमान में चल रहे युद्ध व्यक्तिगत अहम – आकांक्षा और जातिगत घृणा के कारण ही चल रहे हैं। मानव सभ्यता के प्रारंभ से युद्ध विनाश करते आ रहे हैं। युद्ध से कभी स्थायी समाधान प्राप्त नहीं होता। युद्ध कभी धर्म के नाम पर लड़े जाते, कभी राष्ट्रवाद के नाम पर और कभी शासको की व्यक्तिगत अहम और विस्तारवादी नीति के कारण। युद्ध में भुगतना तो आम नागरिक को ही पड़ता है। अधिकतर नागरिक कभी भी युद्ध नहीं चाहते। दुर्भाग्य से शासक को आमजन के विनाश और कठिनाईयों की चिंता नहीं होती।
वर्तमान में कई जगह युद्ध चल रहे हैं। विनाश हो रहा है। विज्ञान के आविष्कारों ने विनाशक शक्तियां बहुत बढ़ा दी हैं। अनुभव और विश्लेषण यह बताते हैं कि युद्ध का समाधान बातचीत से ही होता है। रूस और युक्रेन चार साल से युद्ध लड़ रहे हैं और समाधान के लिए बातचीत भी कर रहे हैं। वर्तमान युग विकास का समय है। विज्ञान के आविष्कारों से मानवीय जीवन को सरल और सुगम बनाया जा रहा है। अनेक अकल्पनीय सुविधाएं मनुष्य को उपलब्ध हो गई है, किन्तु विज्ञान ने विनाश करने वाली शक्तियां भी बहुत बढ़ा दी है। विनाश विकास पर भारी पड़ रहा है। इसका समाधान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह से ही संभव है। मोदी जी ने राष्ट्रपति पुतिन को कहा था कि वर्तमान युग युद्ध का नहीं, समस्याओं का समाधान बातचीत से निकाला जाना चाहिए। युद्ध अनावश्यक विनाश करते हैं। सभी देशों को मोदी जी की इस सलाह पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ को इस सलाह को अपना आधार वाक्य बनाना चाहिए। इसी आधार पर दुनिया में चल रहे युद्धों का समाधान-समापन करवाना चाहिए। आपस में लड़ रहे अधिकतर देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावी हस्तक्षेप कर युद्ध को विनाश से बचाना चाहिए। यद्यपि अनुभव यह कहता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्वशांति के लिये कोई प्रभावी भूमिका नहीं निभा सका है। धर्मांधता का कोई उपाय ढूंढा ही नहीं जा सकता। फिर भी यदि विश्व भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह माने तो विश्व की अनेक समस्याएं बातचीत से हल हो सकती है। बातचीत ही दुनिया को विनाश से बचा सकती है।