बेशर्मी की हद: मोहन यादव सरकार के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया को आतंकवादियों की बहन कहा, बीजेपी और मोदी की चुप्पी से देश स्तब्ध

भारत की धरती पर शायद ही कोई ऐसा होगा जो कर्नल सोफिया कुरैशी के नाम से अनजान हो। ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग में अपनी बुलंद आवाज और आत्मविश्वास से देश को गौरवान्वित करने वाली यह भारतीय सेना की बेटी आज एक सिरफिरे मंत्री के निशाने पर है। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” और “पाकिस्तानियों की बहन” जैसे घृणित शब्दों से नवाजा। यह बयान न केवल एक सम्मानित सैन्य अधिकारी का अपमान है, बल्कि भारतीय सेना और देश की हर उस बेटी के सम्मान पर हमला है जो राष्ट्र के लिए जी-जान से लड़ती है। लेकिन इससे भी शर्मनाक है बीजेपी और मुख्यमंत्री मोहन यादव की खामोशी, जो इस बेलगाम मंत्री को बर्खास्त करने की बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं।

विजय शाह की बेशर्मी: सेना पर हमला, देश पर धब्बा

विजय शाह, जो पहले भी विवादास्पद बयानों के लिए कुख्यात रहे हैं, ने मऊ में एक सार्वजनिक मंच पर कर्नल सोफिया के खिलाफ नफरत भरी भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “मोदी जी कपड़े नहीं उतार सकते थे, इसलिए आतंकियों के समाज की बहन को भेजा।” यह घृणित टिप्पणी न केवल कर्नल सोफिया की व्यक्तिगत गरिमा पर हमला है, बल्कि यह भारतीय सेना को आतंकवादियों से जोड़ने की निंदनीय कोशिश है। क्या बीजेपी और मोहन यादव को लगता है कि सेना का अपमान इस तरह सार्वजनिक मंचों पर हो और वे आँखें मूंद लें?

कर्नल सोफिया कुरैशी ने 2016 में फोर्स 18 जैसे बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना का नेतृत्व कर इतिहास रचा। वह गुजरात की बेटी हैं, जिनके परिवार की तीन पीढ़ियाँ सेना में सेवा दे चुकी हैं। ऑपरेशन सिंदूर के तहत उन्होंने देश को पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाइयों की जानकारी दी, जिसे हर भारतीय ने गर्व से देखा। लेकिन बीजेपी के इस मंत्री को शायद यह गर्व बर्दाश्त नहीं हुआ। विजय शाह का यह बयान सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि देश की एकता, सेना की गरिमा और महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है।

मोहन यादव की चुप्पी: कमजोरी या सहमति?

मुख्यमंत्री मोहन यादव, जो खुद को मध्य प्रदेश का “मजबूत नेता” बताते हैं, इस मामले में पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं। विजय शाह के इस घृणित बयान के बाद जनता सड़कों पर और सोशल मीडिया पर उबल रही है। लोग माँग कर रहे हैं कि इस मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाए। लेकिन मोहन यादव की चुप्पी सवाल उठाती है—क्या वह विजय शाह की इस नफरत भरी भाषा से सहमत हैं? क्या उन्हें भी कर्नल सोफिया “आतंकवादियों की बहन” नजर आती हैं?
यह पहली बार नहीं है जब विजय शाह ने अपनी जीभ को बेलगाम छोड़ा हो। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह पर डबल मीनिंग वाली टिप्पणी करने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया गया था। लेकिन बीजेपी ने उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर यह साबित कर दिया कि उनके लिए सत्ता और वोट की राजनीति नैतिकता से ऊपर है। क्या मोहन यादव को लगता है कि सेना का अपमान करने वाला यह व्यक्ति मध्य प्रदेश की जनता का प्रतिनिधित्व करने लायक है?

बीजेपी का दोहरा चरित्र: राष्ट्रवाद का मुखौटा, सेना का अपमान

बीजेपी हमेशा खुद को राष्ट्रवादी पार्टी बताती है। “भारत माता की जय” और “सेना के साथ खड़े होने” के नारे उनके हर मंच पर गूंजते हैं। लेकिन जब बात अपनी गलतियों को सुधारने की आती है, तो यह पार्टी चुप्पी साध लेती है। विजय शाह का बयान बीजेपी के उस दोहरे चरित्र को उजागर करता है, जहाँ एक तरफ वे सेना के नाम पर वोट माँगते हैं और दूसरी तरफ अपने नेताओं को सेना का अपमान करने की खुली छूट देते हैं।

कर्नल सोफिया: देश की शान, बीजेपी की नजर में क्या?

कर्नल सोफिया कुरैशी सिर्फ एक सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि देश की हर उस बेटी का प्रतीक हैं जो अपने हौसले और मेहनत से नई ऊँचाइयाँ छूती हैं। वह एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के फैसले में उदाहरण के तौर पर पेश किया था। उनकी बहन शायना सुनसारा, जो एक मॉडल और पर्यावरणविद् हैं, ने भी उनकी उपलब्धियों पर गर्व जताया है। लेकिन बीजेपी के लिए क्या कर्नल सोफिया सिर्फ एक “मुस्लिम” चेहरा हैं, जिसे निशाना बनाकर अपनी सांप्रदायिक राजनीति को चमकाना है?

विजय शाह का बयान सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि एक सोची-समझी सांप्रदायिक रणनीति का हिस्सा लगता है। यह वही बीजेपी है जो एक तरफ “सबका साथ, सबका विकास” की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ अपने नेताओं को अल्पसंख्यकों और सेना के खिलाफ जहर उगलने की छूट देती है। क्या यह वही पार्टी नहीं, जिसके एक नेता ने मुस्लिम विधायक को धमकी दी थी और उसे कोई सजा नहीं मिली? क्या यह वही पार्टी नहीं, जो कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाने की कोशिश करती रही है?

मोहन यादव, अब चुप्पी तोड़ो!

मोहन यादव और बीजेपी के लिए यह समय आत्ममंथन का है। अगर वे वाकई राष्ट्रवादी हैं, अगर वे वाकई सेना का सम्मान करते हैं, तो विजय शाह जैसे लोगों के लिए उनकी सरकार में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। कर्नल सोफिया पर यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि देश की आत्मा पर हमला है। मोहन यादव को तुरंत विजय शाह को बर्खास्त करना चाहिए और देश से माफी माँगनी चाहिए।
लेकिन अगर मोहन यादव और बीजेपी इस मामले में चुप रहते हैं, तो यह साफ हो जाएगा कि उनके लिए सत्ता और वोट की राजनीति देश के सम्मान से ऊपर है। यह चुप्पी उनकी सहमति होगी—सहमति उस बयान से, जो सेना को आतंकवादियों से जोड़ता है; सहमति उस मानसिकता से, जो देश की बेटी को अपमानित करती है।

देश माँग रहा है जवाब

  1. भारत की जनता कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ खड़ी है। वह एक ऐसी बेटी हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और साहस से देश का मस्तक ऊँचा किया। लेकिन बीजेपी और मोहन यादव की चुप्पी देश को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या वे भी विजय शाह की नफरत भरी भाषा का समर्थन करते हैं। यह समय है कि बीजेपी अपने “राष्ट्रवाद” के मुखौटे को उतारे और देश को दिखाए कि वह सेना और उसकी बेटियों के सम्मान में कितनी गंभीर है।