आज नगर प्रवेश पर पार्श्व कल्पतरु धाम में स्नेह बरसा
चतुर्मास : दुख का विसर्जन और सुख का सृजन करने का अवसर- पूज्य आचार्य मुक्ति सागर सुरिश्वर महाराज
इंदौर । 8 महीने सांसारिक कार्यों में रहते हैं और 4 महीने हमें आत्मा का कल्याण के लिए निकलना है जब तक और स्वाध्याय के माध्यम से गुरु की वाणी को सुनकर परमात्मा से लगन लगानी है अगले 4 माह स्वयं को जानने में लगाना है चातुर्मास में दुख का विसर्जन और सुख का सृजन करना है।
यह विचार श्री धरणीधर पार्श्वनाथ प्रभु की छत्रछाया में पार्श्व कल्पतरु धाम हाईलिंक सिटी मालव मार्तंड पूज्य आचार्य भगवंत मुक्ती सागर जी सुरीश्वर महाराज सा ने व्यक्त किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष पुंडरीक पालरेचा ने बताया महाराज जी के श्री सन्घ मे आचार्य भगवंत अचल मुक्तीसागर सुरीश्वरजी महाराज आदि ठाना, पूज्य साध्वी जी पूर्णहिताश्री जी महाराज सा के भव्य नगर प्रवेश पर समाज जनों ने बैंड बाजे के साथ सत्कार कर अगवानी की । आचार्य भगवंत मुक्ती सागर जी महाराज सा. का 25 वर्षों बाद इंदौर के पीपली बाजार मे गुरुदेव का चातुर्मास करने का अवसर आया है। आज नगर प्रवेश के दौरान ट्रस्ट के शांतू पालरेचा , दिलीप खिमेसरा , पुंडरीक पालरेचा दीपक सुराणा, अर्पित मारू , अनिल महाराज, प्रदीप बंबोरी, सुरेश बोथरा, विशाल बम, कपिल कोठारी आदि ने प्रमुख रूप से अगवानी की। पार्श्व कल्पतरु धाम पर कार्यक्रम का संचालन शेखर गेलडा ने किया आभार सुरेश जैन ने माना।
सुख को पाना … दुख को भगाना
आचार्य भगवंत ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में 8 महीने सांसारिक गतिविधियों के लिए होते हैं और 4 महीने देव गुरु और धर्म की आराधना के लिए होते हैं सुख को पाना है और दुख को भगाना है यह संभव है परमात्मा के नजदीक जाना और परमात्मा के पास जाने के लिए यह चार महीने का चातुर्मास आराधना को समर्पित रहेगा तो जीवन के कष्ट दूर हो जाएंगे।


