व्यापारियों को आ रही दिक्कतों के संबंध में सुझाव
इंदौर। सांसद प्रतिनिधि डॉ संतोष वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि जीएसटी में सरकार द्वारा बनाई गई व्यवस्था के तहत ही एक खरीददार अपना माल या सेवा का क्रय करते समय विक्रेता को कर का भुगतान करता है और ऐसे में विक्रेता से कोई भूल हो जाए या वह कर ना चुकाए अथवा अपना रिटर्न ना भरे या किन्ही कारणों से ना भर पाए तो इसके जो भी परिणाम हो उस पर क्रेता का कोई अधिकार नहीं होता है लेकिन यदि ऐसे में क्रेता के इनपुट क्रेडिट रोक दी जाये तो यह क्रेता को बिना उसकी कोई गलती के दिया हुआ दंड होता है , ऐसे में जीएसटी काउंसिल एवं केंद्र सरकार से अनुरोध है कि इस सम्बन्ध में जो कोई भी प्रक्रिया हो वह क्रेता की जगह विक्रेता पर लागू की जाए।
*धारा 16 और नियम 36 पर विचार किया जावे*

इसके अतिरिक्त जीएसटी के मूल स्वरुप में यह था कि क्रेता से उसकी खरीद की सूचना ली जाए और उसे विक्रेता द्वारा दी गई बिक्री की सुचना से मिलाया जाए और आने वाले फर्क के लिए विक्रेता को पाबन्द किया जाए लेकिन यह व्यवस्था प्रारम्भ ही नहीं की गई इसीलिये जीएसटी इनपुट की बहुत सी समस्याएं खड़ी हो रही है।जीएसटी में कर चोरी को रोकने के सरकार के प्रयास सराहनीय है और हमेशा इन क़दमों एवं प्रयासों की प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन जीएसटी कानून की धारा 16(4) एवं नियम 36 (4) एवं कई अन्य प्रावधान ऐसे है “गलती और विलम्ब” तथा कर चोरी के बीच के अंतर को ही मिटा दिया है । तकनीकी गलतियों के भी डीलर्स को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।
न्दौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट


