इंदौर, । भगवान गणेश ने अपनी कमियों को कभी अपना नकारात्मक पक्ष नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाया। उनके जन्म को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि भगवान शिव ने ही उन्हें विघ्न विनाशक और संकटमोचक बनाया है। आज भी हम किसी भी मंगल प्रसंग के शुभारंभ पर सबसे पहले गणेशजी को ही याद कर उनका पूजन करते हैं। देवताओं में सबसे पहले गणेशजी के पूजन की परंपरा हजारों वर्ष से चली आ रही है। शिव परिवार भी अनेक सीख और सबक देता है। यह भगवान शिव का ही चमत्कार है कि वे एक दूसरे के कट्टर दुश्मनों को अपना परिजन बनाकर उनके साथ रहकर सृष्टि का पालन करते हैं।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने अग्रवाल संगठन नवलखा क्षेत्र द्वारा आनंद नगर स्थित आनंद मंगल परिसर में चल रही शिव पुराण कथा में मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा में आज भगवान गणेश का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला तथा विधायक आकाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने व्यासपीठ का पूजन किया। पहले साध्वी कृष्णानंद ने और बाद में कैलाश विजयवर्गीय ने भजन सुनाकर समूचे सभागृह को भी खूब थिरकाया।
अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष राजेश बंसल, संतोष गोयल, अग्रसेन महासभा के अध्यक्ष जगदीश बाबाश्री,मीना अग्रवाल, आदि ने वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमचंद गोयल के साथ शिव पुराण ग्रंथ का पूजन किया। संगठन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, महामंत्री राजेन्द्र अग्रवाल ने अतिथियों की अगवानी की। पार्षद मृदुल अग्रवाल, राजेन्द्र समाधान सुरेश रामपीपल्या ने आरती में भाग लिया। अध्यक्ष सुनील अग्रवाल के अनुसार रविवार 30 अप्रैल को द्वादश ज्योतिर्लिगों की कथा एवं फूलों की होली के साथ इस दिव्य महोत्सव का समापन होगा।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि कलयुग के प्रभाव में समाज में अनेक तरह की विसंगतियां बढ़ती जा रही हैं। हमें घर और परिवार कैसे संभाले जाते हैं, यह भगवान शिव के परिवार से सीखना चाहिए। एक दूसरे के कट्टर दुश्मन सर्प और मोर, सांप और चूहा ये सब एक दूसरे के दुश्मन होते हुए भी शिवजी के परिवार के सदस्य है। शिव परिवार विपरीत स्वभाव के लोगों को भी जोड़कर रखने का संदेश देता है। शिव का अर्थ ही कल्याण है। समाज में समता एवं त्याग की भावना तभी बढ़ेगी, जब हम शिवपुराण जैसे ग्रंथों के संदेशों को आत्मसात करेंगे। शिवपुराण के श्रवण से भक्ति, भक्ति से प्रेम, प्रेम से सदभाव और सदभाव से भेदभाव मुक्त समाज का सृजन होता है।


