रतलाम । जिले के स्व सहायता समूह द्वारा मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत बैंक सखी प्रदर्शनी,बाजना वुमन एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा निर्मित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। स्व सहायता समूह द्वारा चप्पल,कांच,खिलौने,महिलाओं के बैग साड़ियां,चूड़ियां,चाय की पत्ती,हाथ कड़े,अचार ,घरेलू मसाले दालें,अनाज आदि के विषय में प्रदर्शनी लगाई गई थी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एवं बेटी है तो कल है के विषय में प्रदर्शनी लगाई गई थी। कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य विभाग सेलाना द्वारा एनीमिया मुक्त भारत और अनीमिया से बचाव के तरीके आदि के बारे में विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । प्रदर्शनी के दौरान माननीय राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल द्वारा सिकल सेल एनीमिया के बारे में विस्तार से चर्चा की गई । कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर ननावरे ने सिकल सेल एनीमिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस संबंध में मंचासीन महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल ने सिकल सेल एनीमिया के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति की रक्त कणिकाएं हासिए के आकार की होने के कारण इसे सिकलसेल कहा जाता है, इसके आदिम जाति समुदाय में अधिक मरीज मिलते हैं। इस बीमारी से पीड़ित होने पर इलाज मुश्किल हो जाता है । इससे बचाव के लिए शादी के पहले वर और वधु दोनों की रक्त की जांच कराई जाना चाहिए । साथ ही गर्भावस्था के समय गर्भवती महिला की जांच एवं प्रसव के 72 घंटे के भीतर शिशु के रक्त की जांच अनिवार्य रूप से कराई जाना चाहिए । सिकल सेल एनीमिया के रोगी दो प्रकार के होते हैं जिसमें एक प्रकार, रोग से पीड़ित व्यक्ति का एवं दूसरे प्रकार में संक्रमित व्यक्ति केवल रोग वाहक की कार्य करता है। अतः विवाह के पहले सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति की सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति से अथवा रोग वाहक पुरुष की रोग वाहक महिला से विवाह नहीं किया जाना चाहिए । किंतु सामान्य व्यक्ति रोग वाहक व्यक्ति से और सामान्य व्यक्ति सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति से विवाह कर सकता है । माननीय महामहिम राज्यपाल ने अधिक से अधिक लोगों से सिकल सेल एनीमिया की जांच कराने एवं इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने और लोगों में जागरूकता लाने की अपील की । उन्होंने कहा कि सिकल सेल से पीड़ित बच्चों क्या विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है ऐसे बच्चों को अच्छे से अच्छा और सकारात्मक वातावरण दिया जाना चाहिए। सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति तैलीय पदार्थों का उपयोग न करें अच्छी प्रकार से व्यायाम करें और इनके माता-पिता आवश्यक रूप से अपनी जांच कराएं। सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति के प्रमुख लक्षणों में शारीरिक वृद्धि का रुक जाना,शरीर में कमजोरी महसूस होना,माथा बड़ा हो जाना ,उदर बड़ा होना आदि मुख्य है,शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी होने पर नजदीकी आरोग्य केंद्र,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और शासकीय अस्पताल में अपनी जांच अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।