इंदौर । “वैदिक”,अध्यक्ष, मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद ,,,,,,, इस वर्ष रक्षा बंधन को लेकर संशय की स्तिथि बनी हुई है,पर्व कब और किस दिन मनाया जाए?।धर्मशास्त्रों के जानकार मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व *भद्रा रहित अपरान्ह व्यापिनी पूर्णिमा तिथि में मनाने की शास्त्र आज्ञा है* इस वर्ष पूर्णिमा तिथि की स्तिथि इस प्रकार है;-11 अगस्त गुरुवार को पूर्णिमा
प्रातः 10.39 बजे से शुरू होगी जो 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 7.05 बजे तक रहेगी। 11 अगस्त को भद्रा का साया भी रहेगा। 11 अगस्त को भद्रा प्रातः 10. 39 बजे से रात्रि 8.52 बजे तक रहेगी। इस इस प्रकार11 अगस्त को अपरान्ह काल मे पूर्णिमा तो रहेगी किंतु भद्रा के चलते रक्षाबंधन का पर्व रात्रि 8.52के बाद ही मनाया जा सकेगा। 12 अगस्त उदय कालीन *पूर्णिमा तिथि त्रिमुहुर्त ( तीन मुहूर्त ) से कम होने से पर्व 11 अगस्त को ही मनाया जाना धर्म व शास्त्र सम्मत भी है।। सामान्यतः भद्रा को शुभ कार्यों में वर्जित किया गया है। *भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा* धर्मशास्त्रों की स्पष्ट मान्यता है कि श्रावणी अर्थात रक्षाबंधन व फाल्गुनी अर्थात होलिका दहन को भद्राकाल में वर्जित किया गया है;
आचार्य शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की संशययुक्त स्तिथि के चलते रात्रि में निशीथ काल प्रारम्भ होने के पूर्व प्रदोष काल मे ही रक्षा पर्व मना लेना शास्त्र सम्मत रहेगा।। आचार्य शर्मा ने यह भी बताया कि 11 अगस्त को मकर राशि का चन्द्रमा होने से *पाताल लोक* की भद्रा है.अतः यदि अति आवश्यक व अपरिहार्य कारण हो तो *भद्रा का मुख* छोड़कर *भद्रा के पुच्छ* काल अर्थात शाम 5.18 से 6.18 बजे तक श्री गणेशजी, शिवजी ,कुलदेवी व अपने कुलदेवता को रक्षाबंधन कर पर्व मनाया जा सकता है?.*भद्रा के मुख काल* में रक्षाबंधन कदापि नही करें।उचित यही होगा कि भद्रा रहित समय मे ही रात्रि 8.52 के पश्चात अपनी अपनी कुल परम्परा के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत रहेगा।