शहरों की जैव विविधता’ पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन 5-6 अगस्त को

 

इंदौर,  जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है और पूरे विश्व में शहर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, शहरों के तेज़ी से बढ़ते तापमान और जैव विविधता पर इसके असर पर पहला राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया जा रहा है।

“द नेचर वालंटियर्स”व “वर्ल्ड रिसर्च आर्गेनाईजेशन” मिलकर पहले “राष्ट्रीय शहरी जैव विविधता संरक्षण सम्मेलन” का आयोजन इंदौर में करने जा रहे हैं, जिसमें देश के नामी शहर नियोजक तथा जैव विविधता विशेषज्ञ शिरकत करेंगे, इस सम्मलेन में विशेषज्ञ शहरों की जैव विविधता को बचाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

कॉन्फ्रेंस के समन्वयक रवि गुप्ता ने बताया कि बढ़ते तापमान का सीधा संबंध लगातार कम होती शहरों की हरियाली, तालाब, पेड़ व बड़े बगीचों पर संकट से है। बढ़ती आबादी, मकान-दुकान, मॉल संस्कृति के चलते हमारे शहर सीमेंट काँक्रीट के जंगलों में तब्दील होते जा रहे हैं। ऐसे में शहरों में जैव विविधता संरक्षण का महत्व और बढ़ जाता है।

इस महंत्वपूर्ण सम्मेलन में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (चेन्नई) के अध्यक्ष डॉक्टर विनोद माथुर, डबल्यूडबल्यूएफ़ के विषय-विशेषज्ञ, वेटलँड्स इंटर्नैशनल के भारतीय प्रमुख डॉक्टर रितेश कुमार, यूनाइटेड नेशन पर्यावरण विभाग के भारतीय प्रतिनिधि, शहरीकरण के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर पी राव (डायरेक्टर, एसपीए), डॉक्टर हितेश वैद्य, डायरेक्टर, एनआईयूए, दिल्ली तथा मध्य प्रदेश जैव विविधता बोर्ड के प्रमुख श्री अतुल श्रीवास्तव तथा प्रसिध्द पर्यावरणविद् व वृक्ष विशेषज्ञ श्री प्रदीप क्रिशन के अलावा पुणे, कोचिन, हैदराबाद, पुदुच्चेरी, भोपाल व अन्य शहरों के प्रतिनिधियों तथा मध्य प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी शिरकत करेंगे। दो दिवसीय आयोजन होटेल रैडिसन व केशर पर्वत, महू पर आयोजित होगा। शहरी नियोजन व पर्यावरण पढ़ने वाले विद्यार्थी भी इसमें सहभागी होंगे।

सभी बाहरी डेलीगेट्स सिरपुर तालाब का निरीक्षण भी करेंगे। टीएनवी के प्रयासों से सिरपुर एवं यशवंत सागर को शीघ् अंतर्राष्ट्रीय दर्जा (रामसर साइट) मिलने की सम्भावना हैं।

सम्मेलन के दूसरे दिन ६ अगस्त को ‘इंदौर डेक्लरेशन’ (जैव विविधता पर इंदौर घोषणा-पत्र) भी जारी किया जावेगा जिसमें जैव विविधता को बचाने के सुझाव व माँगो का ज़िक्र होगा और सरकार से अपेक्षा रहेगी की इस विषय पर विशेष ध्यान दें व केंद्रीय अधिनियम का पालन करवाने हेतु प्रयासों को ठोस रूप प्रदान करें। यह कार्यक्रम केशर पर्वत ( महू) पर सुबह ११ से ५ बजें तक संपन्न होगा।

भारत सरकार ने जैव विविधता अधिनियम २००२ में बनाया था। उसके पश्चात केन्द्र ने राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (चेन्नई) का गठन किया और साथ में हर राज्य ने अपने-अपने बोर्ड्स का गठन किया, जैव विविधता को लेकर कई सारे नियम भी बनाए गए इसके बावजूद शहरी जैव विविधता संरक्षण के प्रयास बेहद कम ही रहे हैं। यही कारण है कि शहरों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे जैव विविधता तेजी से समाप्ति की ओर बढ़ रही हैं । शहरों में खुली भूमि, औषधियों के पौधे, हरियाली, झाड़ी-झुर्मुट, वृक्ष, बड़े-छोटे तालाब, बड़े बग़ीचे व नदियाँ विलुप्त होते जा रहे हैं। विभिन्न पक्षी, तितलियाँ, छोटेकीटक, मधुमक्खियां, केंचुए, मेंढक आदि गंभीर संकट में हैं। इन्हें बचाना ज़रूरी है। पारस्थितिकी तंत्र का संतुलन (Ecological Balance) बिगड़ रहा है और इसे संभालना मानव के खुद के अस्तित्व के लिए भी जरूरी है।