इंदौर । शहर के पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख आस्था केन्द्र अन्नपूर्णा आश्रम पर नवनिर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। देश के तीन राज्यों के शिल्पकार और वास्तुविद मिलकर यहां 6600 वर्गफुट आकार में अन्नपूर्णा माता के नए मंदिर के निर्माण में जुटे हुए हैँ। आश्रम के न्यासी मंडल ने महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अब तक हुए निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि फरवरी 2023 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। 2023 के फरवरी माह में माघ सुदी तेरस को मंदिर में माताजी की स्थापना का मुहूर्त प्रस्तावित है। अब तक इस मंदिर पर 8 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जबकि न्यासी मंडल ने इस कार्य के लिए 5 करोड़ रुपए और मंजूर किए हैं। दानदातओँ के सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य पूरी गति से चल रहा है।
आश्रम के न्यासी श्याम सिंघल ने बताया कि न्यासी मंडल की बैठक में गोपालदास मित्तल, विनोद अग्रवाल, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, पवन सिंघानिया, जगदीश पटेल, सत्यनारायण शर्मा सहित सभी प्रमुख न्यासी मौजूद थे, जिन्होंने अब तक हुए निर्माण कार्य की समीक्षा के साथ ही नवनिर्माण का अवलोकन भी किया। सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि मंदिर के शेष कार्य हेतु 5 करोड़ रुपए की धनराशि, जो दानदाताओं के सहयोग से प्राप्त हुई है, जारी का जाए। मंदिर के मुहूर्त के लिए माघ सुदी तेरस की तिथि प्रस्तावित की गई है, जो वर्ष 2023 के फरवरी माह में आएगी। मंदिर की स्थापना ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंद गिरि महाराज ने माघ सुदी तेरस को वर्ष 1959 में की थी, उसी तिथि के दिन नए मंदिर का मुहूर्त प्रस्तावित किया गया है।
आश्रम के स्वामी जयेन्द्रानंद ने बताया कि अन्नपूर्णा माता के इस नए मंदिर में लोहे की एक कील का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सम्पूर्ण मंदिर मकराना मार्बल के 50 स्तम्भों पर आधारित होगा और इसका शिखर जमीन से 81 फीट ऊंचा रहेगा। उड़ीसा के 32 कलाकारों ने यहां दीवारों पर चारों और अपने हाथों से विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियों को उकेरा है। इस सम्पूर्ण परियोजना पर करीब 20 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है। मंदिर की लंबाई 110 फीट और चौड़ाई 55 फीट रहेगी। चबूतरे को 12 फीट नीचे खुदाई कर काले पत्थर, चूने एवं सीमेंट से तैयार किया गया है। सभा मंडप में नवदुर्गा, दस महाविद्या और चौसठ योगिनियों की मूर्ति उकेरने का काम लगभग पूरा हो चुका है। चबूतरे को महाभारत काल के कृष्णलीलाओँ के शिल्पांकन से सजाया जा रहा है। वर्तमान मंदिर से नया मंदिर दोगुने से भी अधिक विस्तारित होगा, जिससे भक्तों को मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना सहित विभिन्न कार्यों में सुविधा होगी।