जागरुकता से लड़ी जा सकती है जन्मजात जानलेवा बीमारी के खिलाफ जंग

 

इंदौर:सिकल सेल एनीमिया एक जन्मजात जानलेवा बीमारी है। किसी भी पैथी के इलाज से इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन सामान्य सावधानियां रखी जाए तो इससे लड़कर इसके प्रभाव को कम कर मरीज को राहत दी जा सकती है और इससे होने वाली मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। इसके मरीजों और परिजनों में इलाज और सावधानियों के प्रति जागरूकता लाने के लिए इंदौर की पिप्लियाहाना क्षेत्र में ग्रेटर ब्रजेश्वरी कॉलोनी स्थित एडवांस्ड इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैरामेडिकल साइंसेज पर 19 जून 2022 को वर्ल्ड सिकल सेल डे के अवसर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इसमें होम्योपैथी के साथ एलोपैथी और आयुर्वेद के विशेषज्ञ चिकित्सक अपने विचार रखेंगे एवं इलाज व सावधानियों की जानकारी प्रदान करेंगे।

*राज्यपाल से चर्चा के बाद हो रहा विशेष आयोजन

केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर एके द्विवेदी ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया एक जन्मजात जटिल रोग है। यह अनुवांशिक बीमारी पहले आदिवासी क्षेत्रों तक ही सीमित थी, लेकिन अब अन्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके मरीज मिलने लगे हैं। इसे लेकर हाल ही में महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल से चर्चा हुई थी और उन्होंने जागरूकता के उद्देश्य के साथ इस तरह का कार्यक्रम रखने की बात कही। इसके बाद यह विशेष कार्यक्रम किया जा रहा है। इसके माध्यम से सभी पैथी के विशेषज्ञ एक मंच पर आएंगे और मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज देने की दिशा में मार्गदर्शन देंगे।

*ये होंगे वक्ता*

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के निदेशक डॉक्टर आनंद चतुर्वेदी (होम्योपैथ), वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर संतोष शर्मा (एलोपैथी) इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर मनोचिकित्सक डॉ. वैभव चतुर्वेदी (एलोपैथी), पूर्व महापौर डॉॅ. उमाशशि शर्मा (आयुर्वेद) वक्ताओं के रूप में संबोधित करेंगे। होम्योपैथी विशेषज्ञ व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ‘ सिकल सेल एनीमिया एंड होम्योपैथी” विषय पर संबोधित करते हुए विशेष जानकारी प्रदान करेंगे। इस अवसर पर सिकल सेल बीमारी से पीड़ित एक महिला मरीज भी उपस्थित होगी और विभिन्ना समस्याओं पर चर्चा करेगी।

*क्या है सिकल सेल एनीमिया*

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि सामान्य व्यक्ति में आरबीसी गोलाकार होते हैं। लेकिन सिकल सेल बीमारी में इनका आकार बदलकर अर्धचंद्र अथवा मिलते-जुलते आकार का हो जाता है। इससे कोशिकाओं को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। खून की कमी से मरीज की हालत लगातार गंभीर होती जाती है। हाथ-पैर, मांसपेशियों, हडि्डयों में असहनीय दर्द होता है, बुखार बना रहता है और कई बीमारियां होती जाती हैं। इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन जागरूकता लाकर इससे होने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है और मरीज को राहत दी जा सकती है। यह आयोजन इस बीमारी के मरीजों के लिए, परिजनों के लिए और आम जनों के लिए बेहद शिक्षाप्रद और लाभप्रद होगा।