जीवन में एक मंत्र, एक ग्रंथ और एक संत का आश्रय अवश्य लें – संत रामप्रसाद

इंदौर, ।  जो सत्य है वही श्रेष्ठ है, जो श्रेष्ठ है वही सुंदर और कल्याणकारी है। भगवान शिव का किसी भी रूप में स्मरण करें, आपके आत्मबल को बढ़ाने वाला पुरुषार्थ होता है। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को एक मंत्र, एक ग्रंथ और एक संत का आश्रय अवश्य लेना चाहिए। इंदौर तो साक्षात शिव की नगरी है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इंदौर पर भगवान शिव की विशेष कृपा है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में से महाकालेश्वर और औंकारेश्वर के बीच बसे इंदौर को मानों इन दोनों ज्योतिर्लिंग की विशेष कृपा मिली हुई है। यहां की रानी अहिल्याबाई ने भी भगवान शिव की उपासना कर उनकी साक्षी में ही राजपाट चलाया। आज के शासकों को भी अहिल्या की कल्याणकारी नीतियों से सबक लेना चाहिए।

        ये प्रेरक विचार हैं बड़ौदा से आए रामस्नेही संप्रदाय के राष्ट्रसंत रामप्रसाद महाराज के जो उन्होंने आज हवा बंगला केट रोड स्थित हरिधाम पर चल रहे शिवपुराण कथा एवं मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव में व्यक्त किए। इस अवसर पर आश्रम के महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में संतश्री को आयोजन समिति, अग्रसेन महासभा, अग्रवाल परिषद, संस्था अग्रश्री, अग्रसेन सेवा संगठन, जय अग्रसेन ग्रुप, अग्रसेन क्लब, सराफा एसो., दलाल एसो., अन्नपूर्णा क्षेत्र अग्रवाल महासंघ, वैश्य महासम्मेलन,  राधे सत्संग ग्रुप एवं महिला प्रगति क्लब की ओर से आचार्य पं. संदीप शुक्ला, पं. अश्विनी मिश्र एवं अभिषेक पांडे द्वारा वैदिक मंगलाचरण के बीच गरिमापूर्ण विदाई देकर सम्मानित भी किया गया। समिति के अध्यक्ष मुकेश बृजवासी, उपाध्यक्ष सुधीर अग्रवाल, गोविंद मंगल, स्वागताध्यक्ष नारायण अग्रवाल ने शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर संत रामप्रसाद का सम्मान किया।  आज भी कथा पांडाल पूरे समय खचाखच भरा रहा। अंत में महंत शुकदेवदास महाराज ने सभी श्रद्धालुओँ और स्नेहीजनों के प्रति भाव विभोर होकर आभार व्यक्त किया।

        संत रामप्रसाद ने कहा कि भगवान शिव के अनंत अवतार हैं। उन्होंने जगत के कल्याण के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में देश के 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना तो की ही, चित्रकूट में अतरेश्वर महादेव, ऋषिकेश में हरेश्वर महादेव और कालांजर पर्वत पर नंदीश्वर महादेव के नाम से तीन ज्योतिर्लिंग भी स्थापित हैं, जिनका महत्व द्वादश ज्योतिर्लिंग के समान ही माना गया है। दक्ष के दामाद चंद्रमा के साथ दक्ष की 27 कन्याओं के विवाह हुए थे लेकिन रोहिणी नामक कन्या के साथ चंद्रमा का विशेष लगाव था। शेष 26 ने जब दक्ष से इसकी शिकायत की तो दक्ष ने चंद्रमा को शाप दे दिया कि यदि तुम्हें अपने सौंदर्य पर इतना अभिमान है तो अब तुम्हारे शरीर का क्षय होना शुरू हो जाएगा। चंद्रमा ने घबराकर ब्रह्माजी की सलाह पर भगवान शिव की आराधना की तब कहीं शिवजी ने चंद्रमा को यह रियायत दे दी कि तुम्हारा शरीर 15 दिन घटेगा, लेकिन अगले 15 दिन बढ़ेगा। इस तरह चंद्रमा आज भी पंद्रह-पंद्रह दिनों की घट-बढ़ के कारण अभिशप्त है। हम सबके जीवन में भी सत्यम, शिवम, सुंदरम का भाव होना चाहिए अर्थात जो सत्य है वही श्रेष्ठ या शिव है और जो शिव है वही सुंदर है और जो सुंदर है वही कल्याणकारी है। हमारा शरीर भी चंद्रमा की तरह कभी घटता और कभी बढ़ता है। इसलिए जीवन में हमेशा शिव की आराधना और उपासना नियमित रूप से करते रहेंगे तो जिंदगी आनंदमय बनी रहेगी।