महायज्ञ की पवित्र अग्नि में मन के अंदर घुसे बैठे विकार नष्ट होते हैं

इंदौर,  । पितृ पर्वत स्थित हनुमंत धाम पर चल रहे शिवशक्ति महायज्ञ का शुभारंभ सुबह गौसेवा के साथ हुआ। यज्ञशाला की परिक्रमा और यज्ञ देवता के जयघोष करने वाले भक्तों का सैलाब प्रतिदिन बढ़ रहा है । रविवार को को तो यज्ञशाला एवं परिक्रमा मार्ग के आसपास की भूमि पर पैर रखने की जगह भी बमुश्किल बच पाई। इस अवसर पर श्री श्रीविद्याधाम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने विद्वानों, आचार्यों एवं साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि यज्ञ क्रिया से मन निर्मल होता है। जब यज्ञ क्रिया के कारण पवित्र अग्नि प्रज्ज्वलित होती है तो मन में घुसपैठ किए बैठे क्रोध, लोभ, ईर्ष्या एवं राग-द्वेष जैसे विकार नष्ट हो जाते हैं।

सोमवार को इस महायज्ञ का षष्ठम दिवस था। संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी ने बताया कि यज्ञ में भागीदार बनने के लिए बड़ी संख्या में देश के अन्य राज्यों के श्रद्धालु भी आ रहे हैं। मुंबई से रवि बूबना, जयपुर से पवन शर्मा, अजमेर से संजीव खंडेलवाल, जालंधर से संजय गोकुल एवं दिल्ली से पूर्व महापौर प्रीति अग्रवाल भी इस यज्ञ में आहुतियां समर्पित करने आए हैं। आज त्र्यंबकेश्वर से पूर्णानंद सरस्वती एवं अन्नपूर्णा आश्रम इंदौर के स्वामी सत्यप्रकाशानंद गिरि ने भी यज्ञशाला में पहुंचकर महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती, आचार्य पं. राजेश शर्मा, आचार्य पं. प्रशांत अग्निहोत्री, आचार्य पं. आनंद शर्मा, आचार्य पं. अमित शर्मा, आचार्य पं. मनीष शर्मा, आचार्य पं. शिव पुरोहित, आचार्य पं. आनंद शुक्ला, आचार्य पं. हरीश पुरोहित एवं आचार्य पं. अभिषेक शर्मा के साथ राष्ट्र के निरोगी रहने, विश्व शांति एवं जनकल्याण के उद्देश्य से आहुतियां समर्पित की। उत्तराखंड में कल रात हुई बस दुर्घटना में मारे गए चार धाम के तीर्थ यात्रियों की आत्मशांति के लिए भी प्रार्थना की गई। यज्ञ में आने वाले साधकों एवं संतों का स्वागत दीपक खंडेलवाल, शैलेष पोरवाल, अमित शर्मा, सुनील मालू, शैलेष मूंदड़ा, बलदेव जाजू, नितिन माहेश्वरी, महेश खंडेलवाल, नरेन्द्र वाजपेयी, अर्पण वाजपेयी अशोक मेहता आदि ने किया। म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक, आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री एवं अन्नपूर्णा आश्रम के आचार्य पं. किशोर जोशी का भी सम्मान किया गया।

यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए अनेक दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालु भी अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंच रहे हैं। परिक्रमा के लिए 15 फुट चौड़े मार्ग पर कारपेट बिछाए गए हैं। बुजुर्ग भक्तों की मदद के लिए ट्रायसिकल की व्यवस्था भी रखी गई है। यज्ञ में अनेक श्रद्धालु सेवा कार्य के लिए भी पूरे दिन पितृ पर्वत पर डेरा डाले हुए हैं। करीब 30 श्रद्धालु महिला-पुरुष यज्ञ में आहुति के लिए पान के बीड़े तैयार कर रहे है। प्रतिदिन प्रत्येक कुंड पर 1100 बीड़े समर्पित किए जा रहे हैं। यज्ञ नारायण के साथ पितरेश्वर हनुमान की आरती एवं उनकी पुष्प सज्जा का क्रम भी पहले दिन से ही चल रहा है। महामंडलेश्वरजी ने कहा कि यज्ञ कर्म भी तप की श्रेणी में आता है। देवताओं के निमित्त किए गए कर्म मनुष्य को अनंत सुख और आनंद की प्राप्ति कराते हैं।

संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी ने बताया कि महायज्ञ की पूर्णाहुति 9 जून को गंगा दशहरे के दिन होगी। इस मौके पर प्रख्यात संत मां कनकेश्वरी सहित अनेक धर्माचार्य, विद्वान एवं महामंडलेश्वर भी आएंगे। आहुतियों का क्रम 8 जून तक जारी रहेगा। महायज्ञ में प्रतिदिन भाग लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज 25 कुंडों पर 240 साधकों ने आहुतियां समर्पित की। महायज्ञ में गणपति, श्रीयंत्र एवं रूद्र का राजोपचार अभिषेक भी रजत मंडित पात्रों में फलों और फूलों के रस, स्वर्ण एवं रजत भस्म तथा रत्नों से किया जा रहा है। मंगलवार को हनुमानजी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा हालांकि प्रतिदिन पितरेश्वर हनुमंत का पुष्प बंगला भी पहले दिन से ही श्रृंगारित किया जा रहा है।