भगवान शिव से सीखें विपरित स्वभाव के लोगों को एक साथ रखने का गुण

इंदौर,  । गृहस्थी की गाड़ी के दो पहियों में संतुलन होना चाहिए। परिवार में यदि आपको क्षमा करने का भाव आ गया तो घर से लेकर बाहर तक आनंद ही आनंद मिलेगा, लेकिन यदि छोटी-छोटी बातों पर वाद-विवाद होने लगे तो परिवार के सदस्यों के बीच आपसी रिश्ते बिगड़ सकते हैं। विपरित स्वभाव के लोगों को एक साथ रखने का गुण भगवान शिव से सीखना चाहिए। शिव के गले में सर्प और गणेशजी की सवारी चूहा, दोनों ही एक दूसरे के दुश्मन है। इसी तरह शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है जो सांप का शत्रु है। शिव का वाहन नंदी और मां पार्वती का वाहन शेर, ये दोनों भी एक दूसरे के दुश्मन होते हुए शिव परिवार के अंग है।

रामस्नेही संप्रदाय के बड़ौदा से आए राष्ट्रसंत रामप्रसाद महाराज ने आज हवा बंगला, कैट रोड स्थित हरिधाम पर चल रहे शिवपुराण कथा एवं प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। हरिधाम के अधिष्ठाता महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में आज सुबह घनश्यामदास संस्कृत विद्यापीठ के वेदपाठी बटुकों ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत घनश्यामदास महाराज की प्रतिमा के प्रतिष्ठा महोत्सव में पंचांग पूजन एवं मंडल पूजन के बाद प्रतिमा के जलाधिवास की विधि संपन्न की। शुक्रवार 3 जून को सुबह 8 से 12 बजे तक प्रतिमा के पुष्पाधिवास, फलाधिवास, अन्नाधिवास, घृताधिवास, धान्याधिवास, शैय्याधिवास आदि विधियां संपन्न होंगी तथा 4 जून शनिवार को दोपहर 12 बजे विधि न्यास के बाद प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य महोत्सव होगा। इधर, शिवपुराण कथा में व्यासपीठ का पूजन अध्यक्ष मुकेश ब्रजवासी, महामंत्री डॉ. सुरेश चौपड़ा, ओमप्रकाश टिबड़ेवाल, सुधीर अग्रवाल, सुरेश बंसल एवं प्रहलाद गर्ग, दिनेश जिंदल, महेश अग्रवाल आदि ने किया। संचालन सुधीर अग्रवाल ने किया। आज भी कथा में मनोहारी भजनों पर भक्तों द्वारा नाचने-गाने का सिलसिला चलता रहा। संध्या को आरती में नारायण अग्रावल, नूतन जायसवाल, उमा परिहार, रंजना भिसे, पायल चौपड़ा, रेखा अग्रवाल, उषा झंवर, प्रवीण पांडे, रवीन्द्र पाल आदि ने भाग लिया। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक होगी।

संत रामप्रसाद ने कहा कि शिवपुराण के श्रवण से ज्ञान, धन, सत्संग, स्वास्थ और समाज एवं परिवार को जोड़ने सहित सात तरह की समृद्धि प्राप्त होती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान तो है ही, स्वास्थ और परिवार का भी संवर्धन होता है। गृहस्थी की गाड़ी को सही तरीके से चलाने के लिए जरूरी है कि हम ‘शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कम खाना सीखो और मन को स्वस्थ रखना हो तो गम खाना सीखो’ वाली कहावत को अमल में लाएं। आजकल ज्यादा खाने वाले लोग ज्यादा बीमार होते हैं। जीवन में मुस्कराहट का भी बहुत महत्व है। जिस तरह तबले को बजाने के पहले चढ़ाना पड़ता है और बजाने के बाद वापस उतारना जरूरी होता है उसी तरह मस्तिष्क रूपी तबले को भी चौबीस घंटे चढ़ाकर रखेंगे तो खराब हो जाएगा।