शिवशक्ति महायज्ञ में पितृ पर्वत पर सुबह-शाम गूंज रही मंत्रों और स्वाहाकार की मंगल ध्वनि

 

प्रतिदिन 200 साधक 25 कुंडों पर 121 विद्वानों के निर्देशन में समर्पित कर रहे हैं तीन लाख आहुतियां

इंदौर, । पितृ पर्वत स्थित हनुमंत धाम के प्राकृतिक पर्यावऱण में इन दिनों सुबह-शाम शिवशक्ति महायज्ञ से स्वाहाकार की मंगल ध्वनि गुंजायमान हो रही है। प्रतिदिन 200 साधक 25 यज्ञ कुंडों पर 121 विद्वानों के निर्देशन में यहां 3 लाख आहुतियां समर्पित कर रहे हैं। इस महायज्ञ में 9 जून तक 51 लाख आहुतियों का लक्ष्य रखा गया है। प्रतिदिन चार विद्वान यहां चारों वेदों का पारायण भी कर रहे हैं। अनुष्ठान के प्रेरणा स्त्रोत महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने आज यज्ञशाला में साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि यज्ञ की अग्नि से काम, क्रोध, लोभ, मोह और राग-द्वेष जैसे विकारों का नाश होता है। पृथ्वी पर जितने अधिक यज्ञ होंगे, देवता उतने अधिक प्रसन्न होंगे। यज्ञ से प्रकृति और पर्यावरण के बीच संतुलन भी कायम होता है। हमारे सभी धर्मग्रंथों में यज्ञ की महत्ता बताई गई है।

पितृ पर्वत पर बुधवार से शिवशक्ति साधना समिति के तत्वावधान में प्रारंभ हुए इस महायज्ञ में आज सुबह स्थापित देवताओं के पूजन, गायत्री हवन, भैरव-शीतला हवन, गणेश-गौरी हवन, गृहशांति, अघोर मंत्र और लक्ष्मीनारायण हवन में सभी साधकों ने मुख्य यजमान दीपक खंडेलवाल के साथ उत्साहपूर्वक भाग लिया। महायज्ञ संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी, ब्रह्मचारी आचार्य पं. प्रशांत, पं. आदर्श शर्मा, पं. मनीष शर्मा सहित ऐसे अनेक विद्वान भाग ले रहे हैं, जिन्होंने 20 वर्ष पूर्व श्री श्रीविद्याधाम में लक्ष्यचंडी महायज्ञ में भी शिरकत की थी। प्रारंभ में आयोजन समिति एवं विद्याधाम परिवार की ओर से सुरेश शाहरा, राजेन्द्र महाजन, रमेश पसारी, सुरेश शर्मा, महेश दलोद्रा, हरीश विजयवर्गीय, मनोज मोहता (कोलकाता), पुलकित खंडेलवाल आदि ने महामंडलेश्वरजी एवं अन्य आचार्यों की अगवानी की। महामंडलेश्वरजी ने ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ के चित्र का पूजन कर यज्ञानुष्ठान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक भी उपस्थित थे।

पं. उमेश तिवारी ने बताया कि ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की मंगल कामना के साथ हो रहे इस अनुष्ठान में भागीदारी के लिए उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र एवं मालवा-निमाड़ अंचल के श्रद्धालु भी आए हुए हैं। यज्ञशाला के चारों और कारपेट बिछाकर परिकृमा मार्ग बनाया गया है, जिस पर आज से सैकड़ों भक्तों ने परिकृमा शुरू कर दी है। अनेक दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालु भी परिकृमा के लिए आ रहे हैं। महायज्ञ में आज तीन हजार पान के बीड़ों की आहुतियां भी समर्पित की गई।

51 लाख आहुतियां समर्पित होंगी – शिवशक्ति महायज्ञ में प्रतिदिन दुर्गा पाठ से 900, ललिता सहस्त्रानाम से 1100, गृहशांति की 1100 और रूद्राष्टाध्याय की 350, इस तरह प्रतिदिन करीब 35 हजार आहुतियां प्रत्येक साधक समर्पित करेगा। एक कुंड पर 5 से लेकर 12 साधक इस अनुष्ठान में भाग ले रहे हैं अतः प्रतिदिन 3 लाख से अधिक आहुतियां यहां दी जा रही है। इनमें ऐसी समिधा का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें सुगंधित पदार्थ भी हैं। इस कारण समूचे पितृ पर्वत क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालु यहां इस विशिष्ट सुगंध की अनुभूति भी कर रहे हैं। यजमानों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसलिए समूचे महायज्ञ में 51 लाख आहुतियों का संकल्प किया गया है। अनुष्ठान में गाय के दूध का करीब 2 हजार किलो शुद्ध घी भी प्रयुक्त होगा।

महामंडलेश्वर के आशीर्वचन – श्री श्रीविद्याधाम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अग्नि, देवताओँ तक हमारी मनोकामनाएं पहुंचाने वाली दूत है। अग्निदेव की पत्नी का नाम ‘स्वाहा’ है इसीलिए यज्ञ- हवन के समय स्वाहा नाम का उच्चारण किया जाता है। अग्नि की ज्वाला ऊपर की ओर बढ़ती है, उसी तरह यज्ञ कार्य में शामिल साधकों के शुभ संकल्पों का लक्ष्य भी निरंतर ऊपर की ओर बढ़ता है। यज्ञ का अर्थ है अपने जीवन और कर्म को ईश्वर के प्रति समर्पित करना। हम अपने स्वार्थमय जीवन को छोड़कर प्रकाशमय और ज्ञानयम जीवन की ओर बढ़ें, यही हमारे इस यज्ञ का लक्ष्य होता है। यज्ञ से मन में श्रेष्ठ विचारों और हमारी चेतना का विस्तार भी होता है। इस तरह के यज्ञ से साधकों को तो शांति और सुख मिलते ही हें, पूरे विश्व का भी कल्याण होता है।