अज्ञान और मोह की कुंभकर्णी निंद्रा से जगाते हैं गुरू – स्वामी केदारनाथ

मां आनंदमयी पीठ पर अनाथाश्रम और वेद-वेदांग विद्यापीठ की स्थापना होगी

इंदौर,  । ए.बी. रोड, एमजीएम मेडिकल कालेज के पास स्थित श्रीश्री माता आनंदमयी पीठ पर गत 16 मई से चल रहे चार दिवसीय मातृ जन्म महोत्सव के समापन अवसर पर पीठ के अध्यक्ष स्वामी केदारनाथ महाराज ने जल्द ही अनाथ बच्चों की देखभाल और वेद-वेदांग विद्यापीठ प्रारंभ करने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त नहीं करना भी एक दोष है। अज्ञान और मोह की कुंभकर्णी निंद्रा से गुरु ही मुक्त करा सकते हैं। मां आनंदमयी अपने नाम के अनुरूप आनंद का ही पर्याय है। जीवन की सार्थकता और धन्यता यही है कि हम सबकी भगवत दृष्टि बनी रहे।

मां आनंदमयी के 127वें जन्म महोत्सव के समापन अवसर पर आज तड़के 4 बजे से ही भक्तों का आगमन शुरू हो गया था। भगवान श्री पूर्ण ब्राह्मनारायण प्राकट्य दिवस के रूप में मां के मंदिर में अभिषेक, पूजा-आरती के बाद विष्णु सहस्त्र नामार्चन एवं ललिता सहस्त्र नामार्चान से सैकड़ों भक्तों ने श्रीयंत्र का कुमकुम से पूजन अभिषेक किया। आश्रम परिसर के अमरनाथ महादेव मंदिर पर आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में हवन एवं कन्या पूजन का आयोजन भी सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में संपन्न हुआ। वेदांत सम्मेलन में कुरुक्षेत्र हरियाणा से आए आदर्श महामंडलेश्वर स्वामी विरागानंद, अमरकंटक से आए स्वामी योगेश्वरानंद एवं स्वामी मुक्तानंद, उज्जैन के चार धाम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद, आचार्य रामस्वरूप, स्वामी दिव्यानंद, स्वामी परमानंद, एम फॉर सेवा के म.प्र. प्रमुख स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती, महाराष्ट्र से आए स्वामी हंसानंद, गुना से आए स्वामी शंभूगिरि, गिरनार से आए स्वामी परमानंद, पंचकुइया राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद, खातीपुरा राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास, बिजासन रोड अखंड धाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, स्वामी परिपूर्णानंद, स्वामी कृष्णानंद सहित बड़ी संख्या में उज्जैन एवं ओंकारेश्वर से आए संत, विद्वानों ने भाग लिया और मां आनंदमयी के चित्र पर पुष्पांजलि समर्पित की। प्रारंभ में आश्रम परिवार की ओर से जेपी फड़िया, मुकेश कचोलिया, डॉ. विजय निचानी, रामनारायण शर्मा, नरेन्द्र माखीजा, मनोज भाया, अनिरुद्ध चौहान, दीपक द्रविड़, अशोक बवेजा, रमेश भाया, पूजा मित्तल, राजू कुकरेजा आदि ने सभी अतिथि संतों का स्वागत किया। वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकुमार अष्ठाना सहित विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनों के प्रमुख भी उपस्थित थे।

इस मौके पर सैकड़ों भक्तों ने सुश्रृंगारित मां आनंदमयी के मंदिर की परिक्रमा भी की। संचालन मुकेश कचोलिया एवं स्वामी कृष्णानंद ने किया। बाल व्यास माधव ने गुरू वंदना एवं भजन प्रस्तुत किए। चारधाम मंदिर उज्जैन के आचार्य रामस्वरूप ने ओजस्वी कविता प्रस्तुत की। करीब तीन हजार भक्तों ने महाप्रसादी का पुण्य लाभ उठाया। संध्या को आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

अनाथाश्रम एवं वेद-वेदांग विद्यापीठ की योजना – समापन अवसर पर मां आनंदमयी पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी केदारनाथ महाराज ने कहा कि सदगुरु की कृपा के बिना जीव के विषयों का त्याग नहीं हो सकता। भगवत दृष्टि सज्जनों की कृपा के बगैर नहीं मिल सकती। संतों की वाणी, अनमोल धन जैसी है। मां आनंदमयी से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए मातृवाणी की व्याख्या करते हुए स्वामी केदारनाथ महाराज ने कहा कि संसार में मां से पृथक कुछ भी नहीं है। जो कुछ है वह मां ही है। जब तक हमारी चेतना का तादाम्य परमात्मा से नहीं जुड़ेगा, तब तक हमारे बंधन नहीं खुलेंगे। बुद्धि ज्ञान और अज्ञान की साक्षी होती है। अज्ञान की अनुभूति भी ज्ञान ही है। भगवान के नाम का मंत्र किसी भी स्थिति में याद करें, अनुभूत होगा। मूर्ति को पत्थर मानेंगे तो दर्शन नहीं होंगे। अपने आत्म तत्व को प्रकाशित कर सच्चिदानंद स्वरूप का बोध कराने वाले गुरू ही होते हैं। स्वामी केदारानाथ महाराज ने सभी संतों और भक्तों का स्वागत करते हुए संकल्प व्यक्त किया कि जल्द ही मां आनंदमयी पीठ इंदौर पर अनाथ बच्चों की देखभाल करने और योग्य बच्चों को वेद-वेदांग की शिक्षा के लिए एक विद्यापीठ की स्थापना की जा रही है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।