प्राकृतिक चिकित्सा में सौर ऊर्जा की भी महत्वपूर्ण भूमिका

इंदौर,। मनुष्य जीवन के लिए सूर्य का प्रकाश भी संजीवनी की तरह काम करता है। प्राकृतिक चिकित्सा के लिए सौर ऊर्जा का का भी महत्वपूर्ण योगदान है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति भी जीवन बचाने के लिए बहुत उपयोगी है, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। दादा-दादी और नाना-नानी के नुस्खे आज भी प्रासंगिक और उपयोगी हैं, लेकिन आज की व्यस्त दिनचर्या में ये सब पीछे छूटते जा रहे हैं।

उदयपुर स्थित कंचन प्राकृतिक चिकित्सा सेवा केन्द्र के डॉ.छैलबिहारी शर्मा एवं डॉ. रामअवतार शुक्ला ने आज बायपास स्थित अग्रसेन महासभा के मांगलिक भवन पर गत 25 फरवरी से चल रहे प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के समापन पर आयोजित सम्मान समारोह में उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि तांबे के बर्तन में रातभर रखे पानी में नींबू का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक चिकित्सा में जिस मिट्टी और तेल का प्रयोग कर रहे हैं, उसमें सूर्य की ऊर्जा का बहुत बड़ा योगदान है। इस अवसर पर महासभा के अध्यक्ष राजेश बंसल, शिविर संयोजक मोहनलाल बंसल ने बताया कि शिविर में पिछले सात दिनों में 1200 से अधिक मरीजों को अत्यधिक लाभ मिला है। कई असाध्य और जटिल तथा बरसों पुरानी बीमारियों के मरीज भी यहां ठीक होकर गए हैं। प्रारंभ में महासभा की ओर से जगदीश बाबाश्री, अरुण आष्टावाले, विनोद सिंघानिया, राजेश जिंदल, अजय आलूवाले, कैलाश नारायण बंसल, विनोद सिंघानिया, भोलाराम राखोड़ीवाले, अभय मित्तल, सुरेश अग्रवाल आदि ने उदयपुर से आए 15 सदस्यों का स्वागत किया। अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में चिकित्सकों ने शहर के आतिथ्य सत्कार, सेवा भावना और साफ-सफाई की भी प्रशंसा की। उन्होंने शिविर के संयोजक एवं अन्य सभी सदस्यों का सम्मान किया और विश्वास व्यक्त किया कि प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति उनका यह विश्वास हमेशा बना रहेगा। संचालन मोहनलाल बंसल ने किया और आभार माना अध्यक्ष राजेश बंसल ने।

इस अवसर पर शिविर में लाभांवित हुए चुन्नीलाल गौड़ नामक 60 वर्षीय मरीज ने बताया कि पिछले सात वर्षों से वे अपने पैर पर एक केमिकल गिरने के कारण बहुत पीड़ित थे, लेकिन यहां आने पर मात्र तीन दिनों की प्राकृतिक चिकित्सा से उन्हें चमत्कारिक लाभ हुआ है। इसी तरह प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराने वाले राजकुमार विजयवर्गीय, रेशम अग्रवाल, गिरिजा विजयवर्गीय, श्वेतकेतु वैदिक एवं स्वयं मोहनलाल बंसल ने भी इस शिविर में अपना उपचार कराने के बाद कहा कि वे अब बहुत राहत महसूस कर रहे हैं। सभी ने इस तरह के प्राकृतिक चिकित्सा शिविर हर वर्ष लगाने का आग्रह किया।