इंदौर, । मैसूर स्थित श्री योगानंदेश्वर सरस्वती मठ मैसूर के पीठाधिपति जगदगुरु श्री श्री शंकर भारती महास्वामी ने आश्वस्त किया है कि आगामी 26-27 मार्च को अयोध्या में आयोजित धर्माचार्यों की बैठक में वे भारतीय तिथियों एवं पर्वों को लेकर पंचागों की मत भिन्नता के बारे में चर्चा करेंगे।
जगदगुरु महास्वामी आज शहर के धर्माचार्यों एवं विद्वानों के साथ गीता भवन के साधना कक्ष में पंचांगो की मत भिन्नता के बारे में चर्चा कर रहे थे। म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा ‘वैदिक’ एवं दत्त माउली संस्थान के प्रमुख सदगुरु अण्णा महाराज के साथ इस अवसर पर अखंड धाम आश्रम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतनस्वरूप, महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद, रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास, खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट, संस्कृत के विद्वान पं. विनायक पांडे, पं. चंद्रभूषण व्यास सहित बड़ी संख्या में विद्वान मौजूद थे। आचार्य पं. शर्मा ने महास्वामी को बताया कि वे पंचांगों की मत भिन्नता को लेकर अब तक श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ सहित सभी प्रमुख शंकराचार्यों एवं अन्य संतों को अवगत करा चुके हैं। असल में तिथि एवं पर्वों की विसंगतियों के कारण भारतीय समाज में अनेक तरह के भ्रम एवं संशय की स्थिति बनती रहती है। देश में जो पंचांग प्रकाशित हो रहे हैं उनमें मात्र पांच पांचाग ही परंपरागत पद्धति से प्रकाशित होते हैं, जबकि कम्प्यूटर की गणना से प्रकाशित होने वाले पंचागों की संख्या 125 से भी अधिक है। भारत सरकार की ओर से भी एक पंचाग का प्रकाशन किया जाता है, लेकिन वह आम लोगों की पहुंच से दूर ही है।
पं. ‘वैदिक’ ने महास्वामी से आग्रह किया कि वे ‘सौंदर्य लहरी’ की तरह दुर्गा सप्तशती का भी अपने प्रवचनों के माध्यम से प्रचार-प्रसार करें, क्योंकि दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय के 24, 25 एवं 26वें श्लोक में भी ‘सौंदर्य लहरी’ की तरह विभिन्न रोगों से मुक्ति के मंत्र दिए गए हैं। जन मानस के हित में इस तरह के जनकल्याणकारी प्रकाशनों की जानकारी यदि महास्वामी जैसे तपोनिष्ट संत के माध्यम से जन-जन तक पहुंचेगी तो सर्वजन हिताय… सर्वजन सुखाय की भावना और बलवती होगी। महास्वामी ने सभी प्रश्नों को गंभीरता से सुनते हुए आश्वस्त किया कि वे अयोध्या में होने वाली धर्माचार्यों की बैठक में इन मुद्दों को भी उठाएंगे।