पालकी में हो के सवार चली रे…, मैं तो अपने प्रभु के द्वार
इंदौर । श्वेताम्बर जैन समाज की दीक्षार्थी युवती सुश्री कृति कोठारी के सांसारिक जीवन से वैभव और ऐश्वर्य की चीजों के परित्याग का सिलसिला आज भी चलता रहा। एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग से निकले वरघोड़ा में जब दीक्षार्थी कृति रंग-बिरंगे परिधान, सोलह श्रृंगार और आंखों पर काला चश्मा लगाकर सुसज्जित बग्घी में सवार हुई तो अमृतसर से आए बैंड दल और महिलाओं के बैंड दल की सुर लहरियों की धुनों पर हजारों श्रद्धालु थिरक उठे। बैंड दलों ने जब ‘पालकी में हो के सवार चली रे…, मैं तो अपने प्रभु के द्वार’ गीत बजाया तो कृति भी खुद को थिरकने से नहीं रोक पाईं। गच्छाधिपति आचार्य जिमणणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. अपने साधु साध्वी भगवंतों के साथ इस शोभायात्रा में पूरे समय पैदल चले। कृति की दीक्षा का मुख्य महोत्सव सोमवार को सुबह 6.30 बजे से प्रारंभ हो जाएगा। इसके साथ ही उसे नया परिवेश और नया नाम भी मिल जाएगा।
महावीर बाग पर आज सुबह से ही देशभर से समाज बंधुओं एवं साधु साध्वी भगवंतों के आगमन का सिलसिला शुरू हो गया था। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ जानकी नगर के दिनेश डोसी, प्रेमचंद कटारिया एवं नवीन ललवानी जैन ने बताया कि सुबह सोलह श्रृंगार में सजी दीक्षार्थी कृति कोठारी के महावीर बाग पहुंचते ही वहां मौजूद बैंड दलों ने अपनी सुर लहरियां बिखेरना शुरू कर दी, वैसे ही शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से आए समाज बंधु भी स्वयं को थिरकने से रोक नहीं पाए। एक सुसज्जित बग्घी में दीक्षार्थी कृति के साथ उनकी माता पुष्पा देवी, छोटी बहन श्रृति बोथरा, जीजा मनीष बोथरा, भाई पीयूष जैन भी सवार होकर शोभायात्रा में निकल पड़े। दीक्षार्थी ने पूरे यात्रा मार्ग में अपने संसारी जीवन में काम आने वाली विभिन्न वस्तुएं आज भी लुटाई। इसके पूर्व महावीर बाग में मनोज ओस्तवाल एवं मनीष बोथरा ने तलवारों के समर्पण के साथ इस जुलूस का शुभारंभ किया। पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, पूर्व पार्षद दीपक जैन टीनू, जानकी नगर श्रीसंघ के दिलसुखराज कटारिया, महावीर बाग के प्रकाश भटेवरा, सुजानमल चौपड़ा, ललित सी.जैन, प्रीतेश ओस्तवाल, मोहनसिंह लालन, पदम छल्लाणी, दिनेश हुंडिया सहित शहर के सभी जैन श्रीसंघों के प्रतिनिधियों ने दीक्षार्थी एवं उनके परिजनों का स्वागत किया।
आदिवासी नृतकों ने दी प्रस्तुतियां – जुलूस में सबसे आगे केशरिया परिधान में पुणिया सामायिक संगठन की बहनें मंगल कलश लेकर और अन्य महिलाएं जैन ध्वजाएं लेकर चल रहीं थीं। महिलाओं का बैंड दल और अमृतसर से विशेष रूप से बुलवाए गए बैंड दल, झाबुआ जिले से आए तीर-कमानधारी आदिवासी नृतक दल की प्रस्तुतियां पूरे समय आकर्षण का केन्द्र बनी रहीं। गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. एवं तीस से अधिक साधु साध्वी भी जुलूस के मध्य में पैदल चलते हुए शामिल हुए। एक अन्य रथ पर एक और दीक्षार्थी बाडमेर के रवीन्द्र बोथरा भी इस जुलूस में शामिल हुए, जिनकी दीक्षा अगले माह राजस्थान में होगी। महावीर बाग से प्रारंभ हुई शोभायात्रा एयरपोर्ट रोड होते हुए कालानी नगर पहुंची और वहां से वापस उसी मार्ग से महावीर बाग आई, जहां दीक्षार्थी को उनके परिजनों ने बग्घी से उतारकर फूलों से सुसज्जित एक पालकी में बिठाकर सभागृह तक पहुंचाया। सभागृह में भी एक रेम्प बनाया गया था, जिस पर चलते हुए दीक्षार्थी ने नाचते-गाते हुए एक बार फिर संसारी सुख और वैभव के साधनों को लुटाना शुरू कर दिया। इनमें नोट, सूखे मेवे, वस्त्र, चावल, सिक्के, बिंदिया एवं अन्य वस्तुएं शामिल थीं।
परिजनों ने बिठाया बग्घी से उतारकर पालकी में – दीक्षार्थी के परिजनों ने यात्रा के समापन पर महावीर बाग के प्रवेश द्वार पर पुष्पों से लकदक पालकी में दीक्षार्थी को उठाकर बिठाया तो महावीर स्वामी के जयघोष से सभा स्थल गूंज उठा। महावीर बाग से कालानी नगर होते हुए शोभायात्रा पुनः महावीर बाग पहुंची। सभागृह के मंच पर लगी मेगा स्क्रीन पर यह दृश्य देखकर अनेक समाज बंधु भाव विभोर होते रहे।